फैक्टरी हादसे से दहला लुधियाना,अब तक 10 लोगों के मिले शव-तस्वीरों में देखें अपनों का दर्द

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Nov, 2017 10:08 AM

massive fire at plastic manufacturing factory in ludhiana

आगजनी की घटना के बाद मलबे के ढेर में तबदील हो चुकी सूफिया चौक के पास स्थित 6 मंजिला बिल्डिंग का कोई नक्शा नगर निगम के रिकार्ड में मौजूद नहीं है। यह खुलासा मौके पर पहुंची सेना व एन.डी.आर.एफ. की टीमों को बचाव कार्यों के लिए दिक्कत आने के बाद हुआ।

लुधियाना : लुधियाना  फैक्ट्री में आग लगने से गिरी 6 मंजिला इमारत के मलबे से अब तक 10 लोगों के शवों को निकाला जा चुका है।  पुलिस का कहना है कि अभी इमारत के मलबे में 15 से ज्यादा लोगों दबे होने की आशंका है। ऐसे में मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। दबने वाले लोगों में करीब 6-7 फायरब्रिगेडकर्मी भी शामिल हैं। फायरब्रिगेडकर्मी आग बुझा रहे थे, तभी इमारत गिर गई और वे उसमें दब गए।  

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वहीं आगजनी के बाद फैक्टरी के अंदर गए 4 दोस्तों में से 1 शव मिला है, जबकि बाकी के बारे में कु छ पता नहीं चल पाया है। जानकारी देते हरवीर सिंह ने बताया कि वह फैक्टरी मालिक इंद्रजीत सिंह का दोस्त है। सुबह आगजनी के बाद इंद्रजीत के दोस्त भावाधस के लक्ष्मण द्रविड़ और इंद्रपाल सिंह भी वहां आ गए। हम चारों फैक्टरी के अंदर गए। पहली मंजिल पर जाते ही इतना ज्यादा धुआं देख मैं और फैक्टरी मालिक बाहर आ गए। अभी आकर खड़े ही हुए थे कि एकदम से धुआं हो गया और 2 दोस्त अंदर रह गए। जिसमें से एक की मौत हो गई, जिसका शव कुछ समय बाद मिला है।

 

बचाव प्रबंधों से ज्यादा पब्लिक को मैनेज करने में लगा पुलिस का जोर
मौके पर मौजूद पुलिस फोर्स को बचाव प्रबंधों से ज्यादा पब्लिक को मैनेज करने में जोर लगाते देखा जा सकता था। 
लोगों की मिन्नतें करने के बावजूद वे इमारत के आसपास खड़े रहे और दृश्य देखते रहे। मौके पर बचाव कार्यों में लगे कर्मियों और एंबुलैंस को आने-जाने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ा।

1997 से पहले लागू नहीं थे बायलाज
निगम अफसरों की मानें तो बिल्डिंग 20 साल से भी ज्यादा पुरानी यानी कि 1997 से पहले की बनी है। उस समय बिल्डिंग बायलाज लागू नहीं थे, जिसमें बिल्डिंग की कवरेज व पार्किंग के लिए छोड़ी जाने वाली जगह तय की गई है।  

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एक्ट में नहीं चैकिंग का प्रावधान
अगर इस बिल्डिंग को दो दशक से भी पुराना बताया जा रहा है तो यह भी सवाल पैदा होता है कि क्या उसकी मजबूती को लेकर संबंधित विभाग द्वारा कभी कोई चैकिंग की गई। इसे लेकर जोन बी. के ए.टी.पी. का कहना है कि नक्शा पास होने पर बिल्डिंग बनने के बाद उसकी रैगुलर चैकिंग करने का प्रावधान एक्ट में नहीं है।
 

स्ट्रक्चर सेफ्टी सर्टीफिकेट
जहां तक बिल्डिंग के मजबूत होने बारे स्ट्रक्चर सेफ्टी सर्टीफिकेट लेने का सवाल है, वह नक्शा पास करवाने से पहले लिया जाता है। इसमें आर्कीटैक्ट द्वारा प्रस्तावित प्लान के स्ट्रक्चर की मजबूती वाला डिजाइन बनाने की गारंटी दी जाती है लेकिन बाद में यह चैकिंग करने का कोई प्रावधान नहीं है कि बिल्डिंग का स्ट्रक्चर डिजाइन उस पर पडऩे वाला लोड उठाने के काबिल है या नहीं। 

 

कम्प्लीशन प्लान न लेने का रिवाज भी है गलत
निगम द्वारा जब भी किसी बिल्डिंग का नक्शा पास किया जाता है तो फायर सेफ्टी प्रबंधों के लिए प्रोवीजनल एन.ओ.सी. ली जाती है, जिसका मतलब यही होता है कि प्रस्तावित प्लान में फायर सेफ्टी के प्रबंध किए जाएंगे लेकिन बाद में कोई चैकिंग नहीं होती कि मौके पर फायर सेफ्टी के कोई प्रबंध थे भी या नहीं। इसकी बड़ी वजह कम्प्लीशन प्लान नहीं लेने का रिवाज भी है क्योंकि अगर कम्प्लीशन सर्टीफिकेट अप्लाई किया जाएगा तो ही पता चलेगा कि मौके पर फायर सेफ्टी प्रबंध कर लिए गए हैं लेकिन यहां अधिकतर बिल्डिंगें तो नक्शा पास करवाए बिना ही बनती हैं। जिन पर कम्प्लीशन सर्टीफिकेट लेने का नियम ही लागू नहीं होता और जो नक्शा पास करवाकर बनती है, उनके पूरा होने के बाद निगम द्वारा फायर सेफ्टी प्रबंधों की कोई चैकिंग नहीं की जाती।

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4 माह पहले ही हुआ था फायर सब-आफिसर गिल का अमृतसर से लुधियाना तबादला

लुधियाना बिल्डिंग हादसे में नगर निगम फायर बिग्रेड लुधियाना में तैनात फायर सब-आफिसर समॉन गिल निवासी अमृतसर रामतीर्थ रोड की अपनी सेवाएं देते हुए मृत्यु हो गई। घटना की खबर मिलते ही गिल का सारा परिवार लुधियाना की ओर निकल पड़ा। गिल अपने पीछे पत्नी वीनस गिल, बेटा साहिल गिल जो नगर निगम फायर बिग्रेड अमृतसर में कांट्रैक्ट बेस पर फायर मैन के तौर पर कार्य कर रहा है, बेटी शहनाज गिल बी.एससी. नॄसग कर रही है, उन्हें छोड़ गए। उनके बेटे साहिल ने फोन पर बात करते बताया कि उन्हें फायर बिग्रेड लुधियाना से दोपहर 1.30 पर फोन आया कि उनके पिता बिल्डिंग हादसे में घायल हो गए हैं, आप तुरंत लुधियाना आ जाएं, जिस पर सारा परिवार उसी समय लुधियाना की ओर निकल गया। अस्पताल पहुंचने पर उन्हें पता चला की उनके पिता की मृत्यु हो चुकी है। 4 माह पहले ही उनके पिता का तबादला लुधियाना में हुआ था। राम तीर्थ रोड स्थित लाभ नगर में उनके घर के पास पड़ोसियों ने बताया कि गिल एक मिलनसार व्यक्ति थे और वह हमेशा लोगों से प्रसन्नचित्त हो कर मिलते थे। 

फिलहाल हमारा ध्यान मलबा हटाकर नीचे फंसे लोगों को निकालकर बचाने में लगा हुआ है। नियमों मुताबिक जो भी कार्रवाई करनी है, बाद में देखी जाएगी।    - ज्वाइंट कमिश्नर, सतवंत सिंह

 

जब यह बिल्डिंग बनी तब निगम में जोन सिस्टम नहीं था और रिकार्ड रूम मेन आफिस में था। जहां से रिकार्ड ढूंढने की कोशिश की जाएगी। जहां तक इस बिल्डिंग के मंजूर होने का सवाल है, यह इलाका इंडस्ट्रीयल मिक्सलैंड यूज कैटागरी में आता है और मास्टर प्लान भी बिल्डिंग बनने के काफी देर बाद 2010 में लागू हुआ है। -ए.टी.पी. हरविन्द्र सिंह

 

हम सभी एक साथ आगजनी पर काबू पाने का प्रयास कर रहे थे, मैं साथ की बिल्डिंग पर खड़ा दीवार तोड़कर पानी की बौछार कर रहा था। 15 सैकेंड में इमारत नीचे गिर गई और उसकी आंखों के सामने ही अन्य फायरकर्मी दब गए।    -हरगोबिंद्र सिंह, फायर कर्मी

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