नौकरी ने तां मेरे पुत्त नूं खा लेया, डीसी दफ्तर विच्च धक्के खांदे रहे पर किसे ने नहीं सुणी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jan, 2018 04:26 PM

martyr udham singh s heir succumbed on not getting job

नौकरी नहीं मिलने से परेशान शहीद ऊधम सिंह के वारिस ने डेढ़ माह पहले ही आत्महत्या कर ली थी। यह खुलासा मृतक की मां ने किया। ....

संगरूर: नौकरी नहीं मिलने से परेशान शहीद ऊधम सिंह के वारिस ने डेढ़ माह पहले ही आत्महत्या कर ली थी। यह खुलासा मृतक की मां ने किया।

रणजीत कौर ने बताया कि मेरे बेटे रूपिंदर सिंह को सरकारी नौकरी देने के संंबंध में डीजीपी पंजाब की ओर से पिछले साल 27 जुलाई को पत्र जारी किया गया था। लेकिन नौकरी नहीं मिलने से परेशान होकर रूपदिंर सिंह ने जहरीला पदार्थ खाकर करीब डेढ़ माह पहले आत्महत्या कर ली थी। परिवार की एकमात्र सदस्य और उसकी माता रणजीत कौर ने कहा नौकरी ने तां मेरे इकलौते पुत्तर नूं खा लेया, डीसी दफ्तर विच्च धक्के खांदे रहे पर किसे ने नहीं सुणी। इतना कहते ही शहीद की रिश्ते में दोहती लगती रणजीत कौर फूट फूटकर रोने लगी। उन्होंने कहा कि चार वर्ष पहले उसके पति की मौत हो गई थी। अब घर की दीवारें भी उसे खाने को आ रही हैं। 

रणजीत कौर ने बताया कि पंजाब के डीजीपी ने उसके बेटे को ड्राइवर की नौकरी देने के उद्ददेशय से डीसी संगरूर को 27 जुलाई 2017 को पत्र नंबर 9970 लिखकर रिपोर्ट मांगी थी। लेकिन चार माह बीत जाने के बाद भी उक्त रिपोर्ट डीजीपी कार्यालय में नहीं पहुंची। रिपोर्ट को लेकर कई बार डीसी कार्यालय में चक्कर भी लगाए। लेकिन वहां की एमए शाखा के मुलाजिमों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। उनकी नजरअंदाजी ने उसके बेटे को आत्महत्या करने के लिए विवश कर दिया। रणजीत कौर ने मांग की कि उसे इंसाफ दिलाया जाए। ऊधम सिंह के अन्य वारिस हरदियाल सिंह ने कहा कि संगरूर डीसी कार्यालय की एमए शाखा मिसलेनियस असिस्टेंट ब्रांच  की लेटलतीफी के कारण शहीद ऊधम सिंह के वारिसों पर मुसीबतों का पहाड़ टूटा है। 

डीजीपी पंजाब की ओर से नौकरी देने का पत्र जारी करने के बाद भी उक्त शाखा के संबंधित मुलाजिम रिपोर्ट करने में देरी करते रहे और इससे आहत होकर रूपिंदर सिंह ने आत्महत्या कर ली है। वहीं दूसरी तरफ एमए शाखा के प्रभारी बलजिंदर अतरी ने कहा कि मामले के संबंध में उन्हें जानकारी नहीं है। कार्यालय में जाकर ही इस संबंध में कुछ कह सकते हैं। महान शहीद ऊधम सिंह ने जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 को हुए नरसंहार का बदला लेकर देशवासियों का स्वाभिमान लौटाया था। 

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