शहीद के परिवार का छलका दर्द, कहा-'हमारे पिता की कुर्बानी को भूली सरकार'

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Sep, 2017 03:24 PM

martyr family

वतन के लिए मर मिटने वालों की हस्ती कभी खत्म नहीं होती परन्तु देश के लिए जान कुर्बान करने वाले शहीद जवानों के परिवारों को उस

जलालाबाद(सेतिया): वतन के लिए मर मिटने वालों की हस्ती कभी खत्म नहीं होती परन्तु देश के लिए जान कुर्बान करने वाले शहीद जवानों के परिवारों को उस समय पर बड़ा सदमा लगता है जब हमारे देश के राजनेता अपनी राजनीति को चमकाने के लिए तो समागम में बड़े-बड़े भाषण दे जाते हैं परन्तु लम्बे समय तक जब उन पर कोई अमलीजामा नहीं पहनाया जाता, उस समय शहीद परिवारों के दिलों को काफी ठेस पहुंचती है। आज जिस देश की खातिर उनके पारिवारिक मैंबरों ने अपनी जान कुर्बान की है, उसी देश को चलाने वाले नेताओं की कथनी करनी से कहीं परे है। 

 

यह कहानी है शहीद फुम्मण सिंह की
ऐसी ही एक कहानी गांव मिड्ढा के देसा सिंह पुत्र फुम्मण सिंह की है, जिन्होंने 5 जनवरी 2008 को आई.टी.बी.पी. में बतौर जवान अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास पर हुए आतंकवादी हमले में अपनी शहादत दी। जैसे ही उनकी अंतिम यात्रा जद्दी गांव मिड्ढा पहुंची तो बड़ी संख्या में लोग और खासकर राजनेता देसा सिंह के परिवार के साथ शोक प्रकट करने के लिए पहुंचे और वहीं राजनेताओं ने देसा सिंह के परिवार को भरोसा दिया कि समय आने पर उनके पारिवारिक मैंबरों को सरकारी नौकरी दी जाएगी परन्तु शायद देसा सिंह का परिवार राजनेताओं के भरोसे की धीरे-धीरे आस छोड़ता जा रहा है क्योंकि किसी भी राजनेता द्वारा देसा सिंह के पारिवारिक मैंबर की बाजू नहीं पकड़ी जा रही है।


राजनेता शहीद के बेटे को नौकरी देने का वायदा पूरा करें : राजिन्द्र कौर 
जानकारी देते हुए देसा सिंह की धर्मपत्नी राजिन्द्र कौर ने बताया कि उसका एक बेटा निर्मजीत सिंह जो कि बी.एड. कर चुका है और नीलम कौर बेटी है। उसने बताया कि देसा सिंह 56 ए.पी.ओ., 12 बटालियन एस.पी.टी. कम्पनी में बतौर फौजी भर्ती हुए थे। करीब 19 साल तक सेवाएं प्रदान करने के बाद उनकी ड्यूटी अफगानिस्तान में लगा दी गई परन्तु 3 जनवरी 2008 को हुए आतंकवादी हमले में वह घायल हो गए और बाद में उनकी मौत हो गई। राजिन्द्र कौर ने बताया कि 2010 में उनके परिवार को राष्ट्रपति द्वारा शौर्य चक्र के साथ भी सम्मानित किया गया। देसा सिंह ने अपना जीवन देश के लिए कुर्बान कर दिया और उनकी अंतिम यात्रा दौरान बड़े-बड़े राजनेता वायदों की पिटारी लेकर पहुंचे थे परन्तु शायद अब वे देसा सिंह के परिवार को भूल चुके हैं। राजिन्द्र कौर ने कहा कि राजनेताओं का फर्ज बनता है कि वे उन बच्चों की तरफ जरूर देखें जिनके सिर से बाप का साया उठ गया है। राजिन्द्र कौर ने बताया कि देसा सिंह की याद में गांव में एक यादगारी गेट बनाया गया है परन्तु उस यादगार को संवारने के लिए भी किसी का कोई ध्यान नहीं है, परन्तु उसकी मांग है कि जो वायदा राजनेताओं द्वारा किया गया था कि उसके बेटे को नौकरी दी जाएगी, उसको पूरा करना चाहिए।

शहीद के बेटे को नौकरी देने संबंधी सिफारिश भेजी जाएगी: सोढी 
इस संबंधी जब हलका गुरुहरसहाय के विधायक राणा गुरमीत सिंह सोढी के बेटे अनुमित सिंह हीरा सोढी के साथ बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि देसा सिंह के पारिवारिक मैंबर को सरकारी नौकरी देने का मामला उनके ध्यान में है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार को सत्ता संभाले अभी कुछ ही समय हुआ है परन्तु जल्द ही देसा सिंह के बेटे को सरकारी नौकरी देने संबंधी सिफारिश भेजी जाएगी।  

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