Edited By Updated: 23 Jan, 2017 04:01 PM
घर में बेटी जवान है अभिभावक वर की तलाश कर रहे हैं। जमीनों वाले, डिग्रियां वाले लड़के बहुत मिलते हैं, लेकिन जब खान-पान पर
जीरा (अकालियां वाला): घर में बेटी जवान है अभिभावक वर की तलाश कर रहे हैं। जमीनों वाले, डिग्रियां वाले लड़के बहुत मिलते हैं, लेकिन जब खान-पान पर बात आती है तो जांच के बाद पता चलता है कि युवक तो नशों का आदी है। पूरे पंजाब में ही यह सहम है। हर अभिभावक अपनी बेटी के भविष्य को लेकर चिंतित है। जब कोई अभिभावक अपनी बेटी के लिए वर ढूंढता है तो उसे युवक में बेशक सब पसंद आता है लेकिन उनके मन में यह डर जरूर बना रहता है कि कहीं युवक नशों का आदी तो नहीं है। इस डर व नशों के दौर में आखिर एक अभिभावक अपने बेटी के लिए नशा न करने वाला वर कहां से ढूंढे।
मैडीकल वाले नशे के मरीजों की संख्या बढ़ी
जानकारी के अनुसार 527 मरीज मैडीकल नशे वाले थे, जबकि चिट्टे (स्मैक) का नशा करने वाले मरीजों की गिनती 380 है। रिवायती नशे अफीम की संख्या सिर्फ 40 ही है। पोस्त वाले 210, शराब वाले 325 मरीज जांच के लिए पहुंचे थे। ज्यादातर मरीजों की उम्र 18 से 45 वर्ष के मध्य है।
12 वर्षीय लड़का व एक विवाहिता भी आई थी जांच के लिए
जानकारी के अनुसार इस केन्द्र में एक विवाहिता भी अपनी पति को नशे छोडऩे के लिए जांच करवाने आई थीं। वह अपने पति को नसीहत देने के लिए खुद भी नशे करने लग पड़ी। एक रिक्शा चालक का 12 वर्षीय लड़का भी बुरी संगत में पड़ नशे करने लग पड़ा। यह परिवार अपने लाडले को बचाने के लिए बेगाने शहर चला गया।
सरकारी नशा छुड़ाओ केन्द्र में जांच के लिए पहुंचे 1758 मरीज
जिला फिरोजपुर में चाहे कई निजी नशा छुड़ाओ केन्द्र चल रहे हैं, लेकिन फिरोजपुर के सरकारी अस्पताल में स्थित नशा छुड़ाओ केन्द्र पर मिली जानकारी के अनुसार 1758 मरीज 1 जनवरी 2016 से 31 दिसम्बर 2016 तक अपनी जांच के लिए पहुंचे हैं। जानकारी देते रमनदीप कौर काऊंसिलर का कहना है कि 280 मरीजों ने दाखिल होकर इलाज करवाया, जबकि बाकी मरीज ओ.पी.डी. पर दवाई लेने वाले हैं। उसका कहना है कि नशा छोडऩा संभव है, लेकिन मन बनाने की जरूरत है। विभाग द्वारा सप्ताह में तीन बार लोगों को जागरूक किया जाता है।