GST से मार्बल कारोबार होगा तबाह, लाखों मजदूरों की रोटी पर संकट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Jun, 2017 09:49 AM

marbel business will be destroyed by gst  crisis on millions of workers   bread

एक देश एक टैक्स का नारा लगाकर पूरे देश में जी.एस.टी. लागू करने की तैयारी हो चुकी है, लेकिन अलग-अलग वस्तुओं पर जी.एस.टी. की अलग-अलग दर लगाने के मामले में वातानुकूलित कमरों में बैठे उच्चाधिकारियों ने कुछ ऐसे भारी-भरकम टैक्स लगा दिए हैं।

अमृतसर(नीरज): एक देश एक टैक्स का नारा लगाकर पूरे देश में जी.एस.टी. लागू करने की तैयारी हो चुकी है, लेकिन अलग-अलग वस्तुओं पर जी.एस.टी. की अलग-अलग दर लगाने के मामले में वातानुकूलित कमरों में बैठे उच्चाधिकारियों ने कुछ ऐसे भारी-भरकम टैक्स लगा दिए हैं।

इससे संबंधित वस्तुओं का समूल ही नाश हो जाएगा। पंजाब में पहले ही पतन की कगार पर खड़े मार्बल व ग्रेनाइट के कारोबार पर चल रहे 14.30 प्रतिशत टैक्स व राजस्थान सरकार में लागू 5 प्रतिशत टैक्स को बढ़ाकर 28 प्रतिशत जी.एस.टी. लागू कर दिया गया है, जिसका पूरे देश में भारी विरोध हो रहा है। मार्बल व ग्रेनाइट पर लगे भारी-भरकम जी.एस.टी. के विरोध में 1 जुलाई से मार्बल सप्लाई की मुख्य मंडी राजस्थान व गुजरात के सभी माइंस व मार्बल के 5000 से ज्यादा थोक व्यापारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं और अपने प्रतिष्ठानों पर ताले लगाकर जी.एस.टी. के खिलाफ रोष प्रदर्शन करने जा रहे हैं।

राजस्थान के साथ-साथ गुजरात में भी 1 जुलाई से टाइल्स के सभी सप्लायर व कंपनियां अपने प्रतिष्ठान बंद करने जा रही हैं, जिससे 2 लाख से ज्यादा मजदूरों की रोजी-रोटी पर भी संकट के बादल छा गए हैं, क्योंकि मार्बल निकालने वाली माइन्स में भारी संख्या में मजदूर काम करते हैं। व्यापारी मांग कर रहे हैं कि मार्बल पर जी.एस.टी. को 28 प्रतिशत से कम करके 18 प्रतिशत कर दिया जाए, ताकि आम जनता को महंगे दामों पर मार्बल खरीदने से बचाया जा सके। इस बंद में मार्बल व ग्रेनाइट की माइनिंग, प्रोसैस्ंिाग, ट्रेडिंग व प्रोडक्शन, इंपोर्ट-एक्सपोर्ट सहित सभी इकाइयां बंद रहेंगी इसके अलावा लोडिंग व अनलोडिंग करने वाले मजदूर भी काम नहीं करेंगे।

प्रॉपर्टी कारोबार का पतन भी मार्बल कारोबार खत्म होने का कारण
पंजाब में पूर्व गठबंधन सरकार की रीयल एस्टेट की गलत नीतियों के कारण कई वर्षों से प्रॉपर्टी का कारोबार मंदी की चपेट में है और लगभग खत्म ही हो चुका है। हालात ये हैं कि सिर्फ अमृतसर जिले में ही 40 हजार से ज्यादा प्रॉपर्टी डीलर बेरोजगार हो चुके हैं और बड़ी-बड़ी मल्टीनैशनल कंपनियां रीयल एस्टेट सैक्टर में पंजाब से पलायन कर चुकी हैं। अब यदि प्लाट नहीं बिकेंगे तो मकान कौन बनाएगा और मकान नहीं बनेगा तो पत्थर कौन लगाएगा। इस मामले में रेत भी ब्लैक होने के कारण प्रॉपर्टी का कारोबार बिल्कुल खत्म हो गया और इसने मार्बल कारोबार को भी अपनी चपेट में ले लिया। मौजूदा हालात में पंजाब के सैंकड़ों मार्बल व्यापारी अन्य राज्यों की तरफ पलायन कर चुके हैं या फिर किसी दूसरे कारोबार में शिफ्ट हो चुके हैं। 

रेत की ब्लैक व नोटबंदी के कारण पंजाब में मार्बल कारोबार के हालात खतरनाक
राजस्थान व गुजरात जैसे राज्यों के साथ-साथ पंजाब में मार्बल कारोबार के हालात पर नजर डालें तो पता चलता है कि पंजाब में कई वर्षों से हो रही रेत की ब्लैक व उसके बाद नोटबंदी के कारण मार्बल कारोबार के हालात अत्यंत खतरनाक हालात तक पहुंच चुके हैं। पंजाब में पहले ही सरकार की तरफ से राजस्थान में 5 प्रतिशत टैक्स की तुलना में 14.30 प्रतिशत एंट्री टैक्स वसूला जा रहा था, ऊपर से रेत की ब्लैक ने और काम तमाम कर दिया।

मार्बल को फ्लोर में लगाने के लिए रेत का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है, लेकिन रेत के हालात यह बन गए कि 800 से 1000 रुपए प्रति सैंकड़ा रेत ब्लैक में 3500 से 4000 रुपए प्रति सैंकड़ा में बिकने लगी। इतना ही नहीं, 5000 रुपए में बिकने वाला रेत का ट्रक 25000 में बिकने लगा और मौजूदा समय में भी यही हालात चल रहे हैं। सरकार की तरफ से रेत खड्डों की नीलामी किए जाने के कारण व इसमें अनियमितताओं के चलते आज भी रेत के हालात खराब चल रहे हैं और लोगों को रेत ब्लैक में खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। मार्बल एसो. पंजाब के प्रधान विजय अग्रवाल ने बताया कि पंजाब में मार्बल कारोबार बंद होने की कगार पर खड़ा है। रेत की ब्लैक होने के कारण हालात और ज्यादा खतरनाक हो चुके हैं।

 

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