Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Aug, 2017 03:01 PM
केन्द्रीय पी.डब्ल्यू.डी. द्वारा मलोट से मंडी किलियांवाली तक हाईवे की मुरम्मत के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद शहर से गुजरती नैशनल हाईवे के करीब 3 किलोमीटर भाग में डिवाइडर पर गायब हुए व टूट चुके जंगले दोबारा लगाने का कार्य फिर अधूरा रह गया है।
मलोट(जुनेजा) : केन्द्रीय पी.डब्ल्यू.डी. द्वारा मलोट से मंडी किलियांवाली तक हाईवे की मुरम्मत के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद शहर से गुजरती नैशनल हाईवे के करीब 3 किलोमीटर भाग में डिवाइडर पर गायब हुए व टूट चुके जंगले दोबारा लगाने का कार्य फिर अधूरा रह गया है।
इस मामले को लेकर भले संबंधित विभाग के अधिकारी व ठेकेदार कोई ठोस जवाब नहीं दे रहे, जबकि लोक हितैशी गुटों द्वारा करवाए गए सभी कार्यों की उच्च स्तरीय जांच की मांग की जा रही है। मलोट से मंडी किलियांवाली तक के 3 किलो मीटर के भाग में प्रीमिक्स डालने व शहरों में बने डिवाइडरों पर लोहे के जंगले लगाने के 16 करोड़ के कार्य में कमियां सामने आई हैं। ठेकेदार ने शहर में कई स्थानों पर जंगले नहीं लगाए। इस मामले पर सी.पी.एम. के जिला नेता अलबेल सिंह, शहरी सचिव ज्ञान चंद साहनी व किसान नेता सुरजीत सिंह घग्गा का कहना है कि करोड़ों की लागत से सड़क के कार्यों को नियमानुसार नहीं किया गया, अनेक जगहों पर गंदगी फैंक कर ऊपर प्रीमिक्स डाला गया है।
नेताओं ने मांग की कि प्रीमिक्स डालने के कार्य में विभागीय अधिकारियों की कथित मिलीभगत की विजीलैंस विभाग द्वारा उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए। इस मामले में संबंधित जे.ई. मनेन्द्र सिंह का कहना है कि उनके द्वारा सिर्फ 50 जंगले मंजूर करवाए गए थे।उधर एक जे.ई. ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 100 जंगले आए थे, जिनमें से ज्यादातर किलियांवाली में लग गए हैं। इस मामले पर ठेकेदार संजय सिंगला से बात की तो वह कहने लगे कि खबर छोड़ो हम वैसे मिल लेते हैं।