Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Aug, 2017 10:16 AM
10 साल बाद प्रदेश की सत्ता में दोबारा आई कांग्रेस के हालात बद से बदतर हो रहे हैं। वर्षों तक पार्टी की तन-मन और धन से सेवा करने वाले अधिकांश नेताओं की उम्मीदें राज्य की सत्ता में काबिज होने के बाद धूमिल होने लगी हैं।
जालंधर(रविंदर शर्मा) : 10 साल बाद प्रदेश की सत्ता में दोबारा आई कांग्रेस के हालात बद से बदतर हो रहे हैं। वर्षों तक पार्टी की तन-मन और धन से सेवा करने वाले अधिकांश नेताओं की उम्मीदें राज्य की सत्ता में काबिज होने के बाद धूमिल होने लगी हैं। 10 साल तक अकाली सरकार की तशद्दद व झूठे केस झेलने वाले वर्कर तथा नेताओं को सत्ता में आने पर अपनी सरकार से खासी उम्मीदें थीं। इसी उम्मीद में ही अधिकांश नेताओं ने पानी की तरह पैसा बहाया।
यहां तक कि कई नेता तो अपना कारोबार तक छोड़कर अकाली-भाजपा सरकार के खिलाफ मुहिम में कूद पड़े थे। कई नेताओं पर तो लाखों-करोड़ों का कर्जा तक चढ़ गया था मगर उन्हें यह आस थी कि उनकी सरकार सत्ता में आएगी तो उनके दिन भी फिरेंगे, लेकिन ऐसा न हो सका, सब उम्मीदें धरी की धरी रह गईं। कैप्टन सरकार के 4 महीने बीतने के बाद भी इन नेताओं को अब अपना भविष्य अंधकारमय दिखाई दे रहा है। अब न तो उनका कारोबार रहा और न ही राजनीति में कोई उम्मीद।
कैप्टन की नीतियों से निचले स्तर पर वर्करों व नेताओं में खासा आक्रोश पनप रहा है। जल्द ही यह आक्रोश लावा बनकर फूट सकता है। अधिकांश नेता नगर निगम चुनाव से पहले कैप्टन को तगड़ा झटका देने की फिराक में हैं। कई नेता तो अब यहां तक आरोप लगाने लगे हैं कि कैप्टन पूरी तरह से केंद्र की सत्ता में काबिज भाजपा के हाथों में खेल रहे हैं। कैप्टन को अपने खिलाफ स्विस बैंक खातों का जिन्न बाहर निकलने का डर सता रहा है इसलिए वह भाजपा के साथ साइलैंट गेम खेल रहे हैं और इस गेम में वह जमकर कांग्रेस का नुक्सान कर रहे हैं।
पार्टी नेताओं का कहना है कि अब तो हालात पहले वाली सरकार से भी ज्यादा बुरे हो गए हैं। अकाली सरकार में तो फिर भी उनका कोई कामकाज हो जाता था, मगर जब से उनकी पार्टी सत्ता में आई है, उनका एक भी काम नहीं हो पा रहा। ब्यूरोक्रेसी के आगे हर कोई खुद को बेबस महसूस कर रहा है। पार्टी विधायकों के हालात भी ज्यादा बेहतर नहीं हैं। सी.एम. दरबार में उनकी कोई सुनवाई नहीं है। सी.एम. से मिलने तक के लिए उन्हें महीनों इंतजार करना पड़ रहा है।
दूसरी तरफ चेयरमैनी की दौड़ में चल रहे नेताओं में भी निराशा पनपने लगी है। ये वे नेता हैं जिन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के दौरान झुनझुना पकड़ाया गया था। कैप्टन ने इन नेताओं से वायदा किया था कि जिन्हें टिकट नहीं मिलेगी, उन्हें बाद में सरकार आने पर चेयरमैनी दी जाएगी। सरकार को सत्ता में आए 4 महीने हो गए हैं, मगर इनमें से अधिकांश नेताओं की तो अब सीधी एंट्री तक सी.एम. हाऊस में बैन हो गई है। सी.एम. आफिस में अधिकारियों की लॉबी के हावी होने से इनकी कद्र-ओ-कीमत कम होने लगी है। वर्षों से पार्टी की सेवा कर इनमें से कई नेता तो कंगाल तक हो चुके हैं।