Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Nov, 2017 11:30 PM
जालंधर बाईपास के निकट सिल्वर कुंज इलाके में शनिवार को कारपेंटर चाचा-भतीजा एक निर्माणाधीन कोठी में मृत पाए गए। वे पिछले 9 महीने से इस कोठी में लकड़ी का काम कर रहे थे और वहीं रह रहे थे। बताया जाता है कि सर्दी से बचने के लिए शुक्रवार रात को उन्होंने...
लुधियाना(महेश): जालंधर बाईपास के निकट सिल्वर कुंज इलाके में शनिवार को कारपेंटर चाचा-भतीजा एक निर्माणाधीन कोठी में मृत पाए गए। वे पिछले 9 महीने से इस कोठी में लकड़ी का काम कर रहे थे और वहीं रह रहे थे। बताया जाता है कि सर्दी से बचने के लिए शुक्रवार रात को उन्होंने ड्रैसिंग रूम में आग जलाई जो उनका काल बनकर आई। पुलिस का कहना है कि प्रारम्भिक जांच में धुएं के कारण दम घुटने से दोनों की मौत हुई है।
मृतकों की पहचान 30 वर्षीय इशरत व उसके भतीजे 21 वर्षीय फिरोज के रूप में हुई है। दोनों उत्तर प्रदेश के बिजनौर के गांव चिराग खेड़ी के रहने वाले थे। थाना सलेम टाबरी की पुलिस ने शवों का पंचनामा करके उन्हें पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भेजकर उनके परिजनों को सूचित कर दिया है। घटना का पता प्रात: करीब 10 बजे चला जब कोठी में काम करने वाले अन्य कारीगर आए। तमाम प्रयासों के बाद जब अंदर से फिरोज और इशरत में से कोई भी गेट खोलने के लिए बाहर नहीं निकला तो उन्होंने कोठी के मालिक तरुण बहल को फोन पर इसकी जानकारी दी।
कोठी में निर्माण कार्य के चलते तरुण बहल ने सिल्वर कुंज इलाके में ही एक घर किराए पर ले रखा है। उसके पहुंचने के बाद एक कारीगर दीवार फांद कर अंदर गया जिसने मेन गेट खोला। जब दोनों की तलाश शुरू की गई तो एक बैडरूम के साथ लगते 7 बाई 6 के ड्रैसिंग रूम में उनकी लाशें मिलीं। बहल ने बताया कि फिरोज ने उल्टी की हुई थी और उसके मुंह से झाग निकल रही थी। कुछ ही दूरी पर मलबा ढोने वाली एक कढ़ाही में जली हुई लकडिय़ां व उसकी राख पड़ी हुई थी। उन्होंने इसकी सूचना तत्काल पुलिस कंट्रोल रूम को दी। सूचना मिलने पर ए.डी.सी.पी. रत्न सिंह बराड़, ए.सी.पी. ट्रैफिक गुरदेव सिंह, जिनके पास ए.सी.पी. नॉर्थ का अतिरिक्त कार्यभार भी है, थाना प्रभारी इंस्पैक्टर अमनदीप सिंह बराड़ पुलिस पार्टी सहित मौके पर पहुंचे।
घटनास्थल का मौका-मुआयना करने के बाद पुलिस ने बताया कि शुरूआती जांच में दोनों की मौत धुएं के कारण दम घुटने से हुई लगती है। इनके शरीर पर किसी भी तरह के कोई निशान नहीं पाए गए। अमनदीप ने बताया कि जिस जगह से इन दोनों की लाशें मिली हैं उसमें वैंटीलेशन को कोई रास्ता नहीं हैं जिसके चलते आग से निकला धुआं छोटे से डै्रसिंग रूम में इकट्ठा होता रहा और इनकी दम घुटने से मौत हो गई।
तरुण ने बताया कि दोनों उसकी कोठी में लकड़ी का काम करते थे। इन 9 महीनों में 2 से 3 बार ये दोनों गांव भी गए थे और वापस लौट कर सीधे उसके पास ही आए थे। कोठी की देखभाल के लिए उसने दोनों को यहीं रहने की इजाजत दे रखी थी। शुक्रवार रात 9 बजे बाकी कारीगर छुट्टी करके चले गए थे। पुलिस का कहना है कि इनके परिजनों को सूचित कर दिया गया है। जिनके आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। मृतकों के जानकारों ने बताया कि इशरत शादीशुदा था। उसकी एक बेटी भी है, जो अपनी मां के साथ गांव में रहती है जबकि फिरोज अविवाहित था।