Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Sep, 2017 08:51 AM
7 नई पार्किंग साइटों का ठेका अलॉट करने को लेकर एक साल से चल रही आंख-मिचौली के बाद कोर्ट में मामला पहुंचने पर नगर निगम द्वारा अब पुरानी बोली के हिसाब से रिजर्व प्राइस बढ़ाकर नए सिरे से ई-टैंडरिंग करवाने का फैसला किया गया है।
लुधियाना (हितेश): 7 नई पार्किंग साइटों का ठेका अलॉट करने को लेकर एक साल से चल रही आंख-मिचौली के बाद कोर्ट में मामला पहुंचने पर नगर निगम द्वारा अब पुरानी बोली के हिसाब से रिजर्व प्राइस बढ़ाकर नए सिरे से ई-टैंडरिंग करवाने का फैसला किया गया है। यहां बताना उचित होगा कि टै्रफिक समस्या के समाधान के नाम पर पुलिस द्वारा दिए सुझाव के तहत निगम ने पिछले साल जून में 7 नई पार्किंग साइटों का चयन किया था। जिनका ठेका देने के लिए ई-टैंडरिंग की गई तो 43 लाख की रिजर्व प्राइस के मुकाबले 4.52 करोड़ तक की बोली आ गई। लेकिन 3 कम्पनियों ने सिस्टम में खराबी होने कारण बोली जम्प करने का हवाला देते हुए नए सिरे से ई-टैंडरिंग करवाने की मांग की। जिस पर इंफोकॉम ने भी सिस्टम में गड़बड़ी होने की बात स्वीकार करके मोहर लगा दी।
यह मामला फैसला लेने के लिए एफ. एंड सी.सी. के पास पहुंचा तो वहां से कमिश्नर को दोबारा जांच कर रिपोर्ट देने के आदेश दिए। लेकिन काफी देर लटकने के बाद बोलियां रद्द करने की पुरानी सिफारिश के साथ ही फाइल एफ. एंड सी.सी. में भेज दी गई। इस पर यह फैसला हुआ कि जो लोग सिस्टम में खराबी होने का आरोप लगा रहे हैं। उनसे संबंधित पार्किंगों के लिए नए सिरे से टैंडर लगा दिए जाएं। जबकि बाकी इच्छुक पाॢटयों को उनकी अधिकतम बोली के हिसाब से साइटें अलॉट कर दी जाएं।
इस फैसले के खिलाफ एक कम्पनी ने कोर्ट की शरण ले ली कि जब सिस्टम में खराबी होने कारण बोली जम्प कर गई और वह बाकी साइटों के लिए हिस्सा नहीं ले पाए तो सारी साइटों की बोली रद्द करके दोबारा ई-टैंडरिंग की जाए। इस पर कोर्ट ने पार्टी को निगम के सामने अपने पक्ष रखने तथा निगम प्रशासन को उस पर स्पीकिंग ऑर्डर के रूप में फैसला लेने के आदेश जारी किए। इस संबंधी चर्चा के लिए एफ. एंड सी.सी. की स्पैशल बैठक शुक्रवार को बुलाई गई।
जानकारी मुताबिक मैंबर जगबीर सोखी ने सारी बोलियां रद्द करके दोबारा टैंडर लगाने का सुझाव दिया। जिसका डिप्टी मेयर आर.डी. शर्मा ने यह कहकर विरोध किया कि अगर दोबारा टैंडर लगाने पर पहले आ चुकी बोली की रकम न आई तो कौन जिम्मेदार होगा। इस पर फैसला किया गया कि जिन बोलियों पर ठेकेदारों ने अपनी सहमति जताई है, उसे उन साइटों में रिजर्व प्राइस मान लिया जाए। जबकि ऐतराज वाली साइटों के मामले में दूसरे नंबर की बोली को रिजर्व प्राइस बनाया जाएगा।
निगम के नुक्सान का जिम्मेदार कौन?
इस मामले में जब एक साल पहले ई-टैंडरिंग हुई तो कई पाॢटयां अधिकतम बोली पर 4 साइटों का कब्जा लेने को तैयार थी। लेकिन उनकी किसी ने बात ही नहीं सुनी। अब अगर एफ. एंड सी.सी. की दोनों मीटिंगों में फैसलों की बात करें तो सबसे बड़ा सवाल यही खड़ा होता है कि 4 साइटों का कब्जा एक साल पहले क्यों नहीं दिया गया। इसी तरह दोबारा टैंडर लगाने का फैसला लेना था तो पहले ही ले लिया जाता। जिस चक्कर में अब तक हुए निगम के नुक्सान का जिम्मेदार कौन है।
अभी लोकल कोर्ट में भी पैंङ्क्षडग है मामला
हाईकोर्ट ने भले ही बोलियों पर ऐतराज जताने वाली कम्पनी के मामले में फैसला लेने की गेंद नगर निगम के पाले में डाल दी है। लेकिन जो कम्पनियां अपनी दी हुई बोलियों को स्वीकार करने को तैयार है, उन्होंने लोकल कोर्ट में केस किया हुआ है। जिनके मुताबिक वह पार्किंग साइटों का कब्जा लेने को तैयार है। जिनकी डिमांड पर निगम द्वारा फैसला नहीं लिया जा रहा। इस केस में अब 12 सितम्बर को सुनवाई होगी।