नगर निगम चुनावःवार्ड व वोटर बढ़े लेकिन पिछली बार से 6 फीसदी कम हुआ मतदान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Feb, 2018 08:53 AM

ludhiana municipal corporation election

शनिवार को हुए नगर निगम चुनावों में 59.14 फीसदी वोटिंग होने का आंकड़ा सामने आया है। दिलचस्प पहलू यह है कि 2012 के मुकाबले वार्ड व वोटर बढऩे के बावजूद मतदान प्रतिशत में करीब 6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

लुधियाना (हितेश): शनिवार को हुए नगर निगम चुनावों में 59.14 फीसदी वोटिंग होने का आंकड़ा सामने आया है। दिलचस्प पहलू यह है कि 2012 के मुकाबले वार्ड व वोटर बढऩे के बावजूद मतदान प्रतिशत में करीब 6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इस समय 95 वार्डों के चुनाव हुए हैं जहां वोटरों की संख्या करीब 10.50 लाख दर्ज की गई है, जबकि 6 वर्ष पहले 75 वार्डों के हुए चुनावों में मतदान प्रतिशत 65 फीसदी रहा था और उस समय वोटरों का इस बार से करीब डेढ़ लाख कम यानी कि 9.7 लाख बताया जा रहा है।

वोटिंग टाइम को लेकर रहा असमंजस
मतदान प्रतिशत डाऊन होने की एक वजह वोटिंग टाइम को लेकर असमंजस का माहौल बना रहने को भी माना जा रहा है। क्योंकि आमतौर पर वि.स. व लोकसभा चुनावों में वोटिंग का टाइम 5 बजे तक रहता है। नगर निगम चुनावों में यह टाइम सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक कर दिया गया जिसकी सूचना लोगों को पूरी तरह नहीं मिल पाई। नतीजा यह हुआ कि बड़ी संख्या में लोग 4 बजे या उसके बाद पोङ्क्षलग स्टेशन पर पहुंचते नजर आए जिस कारण उनको मताधिकार से वंचित रहना पड़ा।

छुट्टी संबंधी आदेश पर भी नहीं हुआ अमल
नगर निगम चुनाव को लेकर वैसे तो सरकार ने छुट्टी का ऐलान किया था लेकिन उसका अमल सिर्फ सरकारी दफ्तरों व शिक्षण संस्थानों मेंं ही देखने को मिला और अधिकतर प्राइवेट परिसर खुले थे। जिनके मालिकों द्वारा अपने मुलाजिमों को छुट्टी नहीं दी गई और वे वोट के अधिकार का प्रयोग नहीं कर पाए। यहां तक कि इन परिसरों के मालिक भी सुबह काम पर चले जाने के कारण वोट न डालने वालों की सूची में शामिल रहे। 

6 माह लेट हुए चुनाव
नगर निगम के जनरल हाऊस का कार्यकाल पिछले सितम्बर में खत्म हो गया है जिससे पहले चुनाव करवाने जरूरी थे। नए सिरे से वार्डबंदी का काम पूरा न होने के नाम पर चुनावों को एक के बाद एक करके पैंङ्क्षडग किया गया। जिसके तहत जालंधर, अमृतसर व पटियाला के चुनावों के साथ भी लुधियाना के चुनाव नहीं हो पाए। इस देरी को लेकर कोर्ट में मामला पहुंचने पर सरकार ने तेजी दिखाते हुए 24 फरवरी को चुनाव करवाने का फैसला किया जिसकी वजह से मंत्रिमंडल के विस्तार की प्रक्रि या को भी लेट करना पड़ा। 

संवेदनशील बूथ डिक्लेयर करने के फार्मूले की निकली हवा
जिला प्रशासन ने 1153 पोलिंग स्टेशनों में से 284 संवेदनशील व 116 पोङ्क्षलग बूथों को अतिसंवेदनशील घोषित किया हुआ था। जहां साधारण के मुकाबले डबल फोर्स लगाने के अलावा वीडियोग्राफी तक करवाई गई थी। जिसके लिए पुलिस विभाग द्वारा पिछली बार हुई गड़बड़ी की घटनाओं के रिपोर्ट कार्ड को आधार बनाया गया था। इस फार्मूले की हवा उस समय निकल गई जब संवेदनशील घोषित न किए जाने वाले अधिकतर बूथों पर ही मारपीट की घटनाएं सामने आईं।

बाहरी जिलों के विधायकों व नेताओं ने समर्थकों के साथ जमाए रखा डेरा
नगर निगम चुनावों के लिए वैसे तो बाहरी वार्ड का पोङ्क्षलग स्टेशन तक लगाने से इंकार कर दिया गया था। लेकिन कांग्रेस के अलावा दूसरी कई पाॢटयों के बाहरी जिलों के विधायकों व नेताओं ने डेरा जमाए रखा, जो एक दिन पहले ही समर्थकों के साथ यहां पहुंच गए थे और चुनावों के दौरान अपने उम्मीदवारों के पोङ्क्षलग बूथ पर बैठे नजर आए।

वोट डालते समय फोटो लेने व वीडियो बनाने का चला ट्रैंड
नगर निगम चुनावों के लिए बनाए गए पोङ्क्षलग स्टेशनों पर वैसे तो मोबाइल अंदर ले जाने की मनाही की गई थी। लेकिन वोट डालते समय फोटो लेने व वीडियो बनाने का ट्रैंड खूब चला, जिसे लोगों ने अपने उम्मीदवार को भेजने के अलावा सोशल मीडिया पर भी शेयर किया। 

चुनाव ड्यूटी के चलते चौकों से गायब रही पुलिस
नगर निगम चुनावों के लिए सुरक्षा प्रबंधों के नाम पर पुलिस ने 5009 से ज्यादा मुलाजिम लगाने का दावा किया था। जिसके लिए पी.ए.पी., आई.आर.बी. व कमांडो बटालियन से मदद ली गई। इन मुलाजिमों को पैट्रोङ्क्षलग व नाकाबंदी पर लगाने की बात कही गई थी। चुनाव के दिन सारी फोर्स पोङ्क्षलग स्टेशनों के आसपास ही सिमटकर रह गई जिस कारण प्रमुख चौकों से पुलिस गायब रही और वहां ट्रैफिक जाम खुलवाने वाला कोई मुलाजिम नजर नहीं आया।    

मुलाजिमों को वोट डालने के अलावा ड्यूटी खर्च से भी रहना पड़ेगा वंचित
नगर निगम चुनावों को सिरे चढ़ाने के लिए लगाए गए पुलिस-प्रशासन के करीब 10,000 मुलाजिमों को वोट डालने का अधिकार न मिलने का मुद्दा तो पहले ही गर्माया हुआ है। इसके अलावा इन मुलाजिमों को ड्यूटी के बदले कोई खर्च भी नहीं मिलेगा, जबकि वि.स. व लोकसभा चुनावों मेंं मुलाजिमों को ड्यूटी के अलावा ट्रेङ्क्षनग का खर्च भी मिलता है। हालांकि नगर निगम चुनावों में ये मुलाजिम अपने संबंधित विभाग से टी.ए./डी.ए. क्लेम कर सकते हैं।

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