Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Nov, 2017 10:43 AM
सूफियां चौक के नजदीक पड़ती प्लास्टिक फैक्टरी में हुए दर्दनाक हादसे संबंधी मामले को लेकर पंजाब केसरी के 21 नवम्बर को प्रकाशित समाचार अंक में ‘लेबर विभाग के सरकारी रिकार्ड में रजिस्टर्ड नहीं थी फैक्टरी’ शीर्षक समाचार के बाद डायरैक्टर ऑफ फैक्टरी विंग...
लुधियाना (खुराना): सूफियां चौक के नजदीक पड़ती प्लास्टिक फैक्टरी में हुए दर्दनाक हादसे संबंधी मामले को लेकर पंजाब केसरी के 21 नवम्बर को प्रकाशित समाचार अंक में ‘लेबर विभाग के सरकारी रिकार्ड में रजिस्टर्ड नहीं थी फैक्टरी’ शीर्षक समाचार के बाद डायरैक्टर ऑफ फैक्टरी विंग लेबर विभाग मामले की जांच-पड़ताल को लेकर सक्रिय हो चुका है। इसके लिए बकायदा विभाग को सैक्रेटरी संजय कुमार के निर्देशों पर चंडीगढ़ स्थित मुख्यालय से विभाग के एडीशनल डायरैक्टर सोढी मल्ल द्वारा मामले की जांच का काम शुरू कर दिया गया है।
यहां बताना अनिवार्य रहेगा कि गत 20 नवम्बर को महानगर के सूफियां चौक के नजदीक एक प्लास्टिक फैक्टरी ब्लास्ट कोड के बाद फैक्टरी की 6 मंजिला इमारत धराशाही हो गई थी और हादसाग्रस्त फैक्टरी के मलबे तले दब जाने के कारण करीब 16 इंसानी जिंदगियां राख के ढेर में तबदील हो चुकी हैं लेकिन लेबर विभाग के अलग डिपार्टमैंटों के अधिकारी फैक्टरी के रजिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी एक-दूसरे के कंधों पर डाल रहे हैं।
इसमें जहां डायरैक्टर ऑफ फैक्टरी विंग के ए.डी.एफ. (असिस्टैंट डायरैक्टर फैक्टरी) सुखविंद्र सिंह भट्टी यह तर्क दे रहे हैं कि हादसाग्रस्त फैक्टरी में 10 से कम कर्मचारी काम कर रहे थे इसलिए फैक्टरी को लाइसैंस देने की जिम्मेदारी शॉप इस्टैलिमैंट एक्ट के मुताबिक संबंधित लेबर अफसर हरप्रीत सिंह की बनती है। इस गुत्थी को सुलझाने के लिए कोई भी विभागीय अधिकारी तैयार नहीं हो रहा है कि उनके इलाके में पिछले करीब 7-8 वर्षों से चल रही अनरजिस्टर्ड फैक्टरी में किसी ने भी विजिट कर सुरक्षा प्रबंधों संबंधी अपनाई जा रही खामियों को चैक करना या फिर फैक्टरी को सरकारी रिकार्ड में रजिस्टर्ड करना मुनासिब क्यों नहीं समझा।