हादसाग्रस्त फैक्टरी से उठते धुएं-मिट्टी के गुबार से बढऩे लगी सांस के रोगियों की तकलीफ

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Nov, 2017 02:16 PM

ludhiana factory collapse

सूफियां चौक के निकट आगजनी के बाद मलबे के ढेर में तबदील हुई बहुमंजिला प्लास्टिक फैक्टरी की इमारत से पिछले करीब 4 दिनों से लगातार उठ रहे धुएं-मिट्टी के गुबार से जहां लोगों को खांसी, गले में खराश व सांस की दिक्कत आने लगी हैं, वहीं सांस व दमे के रोग से...

लुधियाना (खुराना): सूफियां चौक के निकट आगजनी के बाद मलबे के ढेर में तबदील हुई बहुमंजिला प्लास्टिक फैक्टरी की इमारत से पिछले करीब 4 दिनों से लगातार उठ रहे धुएं-मिट्टी के गुबार से जहां लोगों को खांसी, गले में खराश व सांस की दिक्कत आने लगी हैं, वहीं सांस व दमे के रोग से जूझ रहे मरीजों की तकलीफ और बढ़ गई है। इसका बड़ा कारण यह भी माना जा सकता है कि हादसे के बाद स्थानीय सिविल प्रशासन ने घटनास्थल पर पीड़ितों की सहायतार्थ किसी प्रकार का फ्री मैडीकल कैम्प तक लगवाना मुनासिब नहीं समझा, जिसका उनके पास उचित जवाब भी नहीं है। 

बुजुर्ग दम्पति को सांस लेने में दिक्कत
इस संबंध में दौरा करने के दौरान पंजाब केसरी की टीम को मुस्ताकगंज मकान नं. 2201 के रहने वाले बुजुर्ग नछत्तर सिंह व हरजीत कौर ने बताया कि वह पिछले कुछ वर्षों से सांस व दमा जैसे रोगों से पीड़ित हैं, लेकिन अब घर की दीवार से सटी फैक्टरी में हुए धमाके के चलते उठ रहे जहरीले धुएं व मिट्टी के गुबार के चलते उनकी तकलीफ और भी बढ़ गई है। नतीजतन उन्हें दर्द के साथ-साथ अधिक दवाई लेनी पड़ रही है। 

6 वर्षीय अंगद की आंखों का हुआ बुरा हाल
कुछ ऐसी ही तकलीफ के दौर का सामना करना पड़ रहा है 6 वर्षीय अंगद सिंह को, जो कि आंखों की बीमारी से पीड़ित है और कैमिकल व प्लास्टिक बैग्स में लगी आग के चलते फैले धुएं व मिट्टी ने उसकी आंखों की जलन को और बढ़ा दिया है, जिसके चलते उसकी आंखें लाल हुई पड़ी हैं। उसके भाई ने बताया कि पीड़ित अंगद की आंखों का इलाज सिविल अस्पताल के डाक्टरों से करवाया जा रहा है। 

चोट लगने पर मरहमपट्टी व दवाइयों का नहीं इंतजाम 
गौरतलब है कि घटनास्थल पर पिछले कई दिनों से राहत बचाव कार्य निगम अधिकारियों, स्थानीय प्रशासन, इलाका निवासियों, समाजसेवी संस्थाओं व एन.डी.आर.एफ. आदि की टीमों द्वारा युद्ध स्तर पर किए जा रहे हैं और जे.सी.बी. मशीनों के अलावा कटर मशीनें आदि प्रयोग में लाई जा रही हैं, परंतु ऐसे में किसी बचाव कर्मी के चोटिल होने पर उसके लिए मरहमपट्टी व दवाइयों का कोई प्रबंध नहीं किया गया है। 

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