Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Nov, 2017 09:28 AM
प्लास्टिक फैक्टरी हादसे में मारे गए धन बहादुर के मासूम नाबालिग बेटों को नहीं पता था कि उनके सिर के ऊपर से पिता का साया उठ गया है तथा परिवार में कमाने वाला और कोई नहीं है। इसमें बूढ़ी मां, पत्नी व 3 बच्चे (कुल 5) पहाड़ जैसी जिंदगी कैसे बिता पाएंगे।
लुधियाना(मुकेश): प्लास्टिक फैक्टरी हादसे में मारे गए धन बहादुर के मासूम नाबालिग बेटों को नहीं पता था कि उनके सिर के ऊपर से पिता का साया उठ गया है तथा परिवार में कमाने वाला और कोई नहीं है। इसमें बूढ़ी मां, पत्नी व 3 बच्चे (कुल 5) पहाड़ जैसी जिंदगी कैसे बिता पाएंगे।
धन बहादुर के भाई हशिया बहादुर ने कहा कि दोनों मासूम पिता संग फैक्टरी में रहते थे। पिता की मौत का दोनों को नहीं पता था। बस अस्पताल में क्या हो रहा है। चाचा या रिश्तेदारों को टकटकी नजरों से उनके बीच में शायद पिता को ढूंढ रहे हैं जो अब इस संसार में नहीं रहा। दोनों भाई कुछ समय पहले नेपाल में मां के पास गए थे, जहां पाठ-पूजा का आयोजन था। धन बहादुर गांव में परिवार संग कुछ दिन रुका रहा व कुछ दिन पूर्व ही फैक्टरी में ड्यूटी पर आया था। वह फील्ड वर्कर यानी ऑलराऊंडर था।
हशिया भाई के साथ चाय-पानी का काम किया करता था, जो रोते हुए कहा कि उसे क्या पता था कि गांव में पाठ-पूजा करके वापस आने के कुछ दिनों बाद ही उसका भाई नहीं रहेगा। उसे पता होता तो उसे कभी वापस नहीं आने देता। उधर, सी.एम. द्वारा मुआवजे को लेकर की गई घोषणा सरकारी कर्मचारियों को 10-10 लाख व प्राइवेट जो हादसे में मारे गए हैं, को 2-2 लाख रुपए के राशि को लेकर परिवार ने सभी को बराबर राशि दिए जाने की मांग की ताकि परिवार का गुजारा हो सके।