कैदियों के मन से खत्म होता जा रहा ‘सुधार गृह’ का खौफ

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Mar, 2018 12:26 PM

ludhiana central jail

पिछले कुछ वर्षों से पंजाब की जेलों के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार समेत अन्य कई तरह के लग रहे आरोप जेलों के अक्स को खराब कर रहे हैं। इतना ही नहीं ऐसे में कैदियों व हवालातियों के मन से जेलों (सुधार गृहों) का खौफ भी कम होता जा रहा है। सरकार व जेल विभाग को...

लुधियाना(स्याल): पिछले कुछ वर्षों से पंजाब की जेलों के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार समेत अन्य कई तरह के लग रहे आरोप जेलों के अक्स को खराब कर रहे हैं। इतना ही नहीं ऐसे में कैदियों व हवालातियों के मन से जेलों (सुधार गृहों) का खौफ भी कम होता जा रहा है। सरकार व जेल विभाग को जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाना होगा। वहीं दूसरी ओर नजर दौड़ाएं तो आए दिन जेलों में मोबाइल फोन, बीडिय़ां, जर्दा, नशा व अन्य वर्जित सामान कैदियों व हवालातियों तक पहुंचना यही साबित करता है कि अब जेलें इनके लिए आरामदायक शरण स्थली बनती जा रही हैं और बिना मिलीभगत वर्जित सामान जेलों में नहीं पहुंच सकता।
मौजूदा समय में कथित जेलों में गैंगस्टर किस्म के बंदियों द्वारा मोबाइल प्रयोग करके सोशल साइटें चलाना भी अधिकारियों-कर्मचारियों की कथित मिलीभगत की ओर इशारा करता है। इतना ही नहीं जेलों में बंदियों के गुट बने हुए हैं जिनका कई बार आपस में उलझना सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलता है। अब गुनाहगार कोई भी हो लेकिन उक्त तरह की घटनाओं से जेलों का अक्स खराब होता जा रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो जेलों का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा और गैंगस्टरों का साम्राज्य स्थापित हो जाएगा।

कभी जेल के नाम से छूटती थी कम्पन
कोई समय था जब जेल जाने के नाम से सब कांपते थे, वहीं जिस किसी को जेल होती थी वह बाहर आकर वहां की स्थिति बताता था और उसे सुनकर हर कोई डरता था, क्योंकि जेलों में बाहर के जैसे ऐशो-आराम नहीं होते थे। कैदियों को अपनी पूरी सजा के दौरान जेल की ऊंची-ऊंची दीवारों व कुछ गिने-चुने एक ही तरह के कैदी साथियों के चेहरे देखने को मिलते थे यानी किसी तरह की आजादी नहीं होती थी। मौजूदा समय में स्थिति इसके विपरीत होती जा रही है। यह चर्चा है कि अब जेल जितनी मौज बाहर नहीं। 
 

कैसे सुधरेंगे कैदी और कौन सुधारेगा?  
लुधियाना की सैंट्रल जेल की बात करें तो वर्ष 2017 में 107 मोबाइल फोन बरामद हुए थे, वहीं अन्य वॢजत सामान तो अलग है। जेलें वॢजत सामान को लेकर आए दिन मीडिया की सुर्खियां बनी हुई थीं लेकिन पिछले कुछ समय से जेल अधिकारियों/कर्मचारियों पर आरोप भी लगने शुरू हो गए हैं। कैदियों को सुधारने में जेल प्रशासन का सबसे बड़ा रोल होता है। अगर जेल प्रशासन ही भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाएगा तो फिर कैसे सुधरेंगे कैदी और कौन सुधारेगा?

इन अधिकारियों पर लगे आरोप
हाल ही की बात करें तो कपूरथला जेल के अधिकारी पर अपने गनमैन के जरिए कैदियों को सुविधाएं देने के नाम पर पैसे मांगने के आरोप लगे हैं। इस संबंधी कैदियों के परिजनों ने चंडीगढ़ जाकर प्रैसवार्ता भी की थी। दूसरी ओर मौजूदा समय में पटियाला जेल में तैनात एक अधिकारी पर भी कथित भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। 

सख्ती करने पर लगते हैं आरोप : ए.डी.जी.पी. जेल 
उक्त आरोपों संबंधी जब ए.डी.जी.पी. इकबाल सिंह सहोता से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जब भी जेल प्रशासन गैंगस्टर किस्म के बंदियों पर सख्ती करता है तो वे मनघढ़ंत आरोप लगाकर जेलों समेत अधिकारियों की छवि खराब करते हैं। यही बात कपूरथला जेल अधिकारी ने भी दोहराई। 

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