Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Dec, 2017 10:48 AM
सूफियां चौक स्थित फैक्टरी में आग लगने के बाद बिल्डिंग गिरने के कारण मलबे में दबकर 16 लोगों की मौत होने के मामले में डिवीजनल कमिश्नर वी.के. मीना द्वारा सी.एम. के आदेशों पर की जा रही जांच अंतिम चरण में पहुंच गई है। इसके तहत उन्होंने सोमवार को यहां आकर...
लुधियाना(हितेश): सूफियां चौक स्थित फैक्टरी में आग लगने के बाद बिल्डिंग गिरने के कारण मलबे में दबकर 16 लोगों की मौत होने के मामले में डिवीजनल कमिश्नर वी.के. मीना द्वारा सी.एम. के आदेशों पर की जा रही जांच अंतिम चरण में पहुंच गई है। इसके तहत उन्होंने सोमवार को यहां आकर आला अफसरों के साथ मीटिंग करने सहित संबंधित विभागों से जुड़ा रिकार्ड हासिल किया। जिसमें सामने आए पहलुओं के चलते लेबर डिपार्टमैंट व प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के उन अफसरों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है, जिन्होंने या तो कभी फैक्टरी की चैकिंग ही नहीं की और या फिर मौका देखे बिना ही एन.ओ.सी. जारी कर दी।
यहां बताना उचित होगा कि फैक्टरी में आग लगने के बाद धमाका होने से बिल्डिंग गिरने की मुख्य वजह बड़ी मात्रा में कैमीकल स्टोरेज होने को ही बताया जा रहा है जिसे लेकर फायर ब्रिगेड विंग पहले ही साफ कर चुका है कि न तो फैक्टरी मालिक ने कभी नगर निगम के पास एन.ओ.सी. के लिए अप्लाई किया और न ही उन्होंने कभी मौके पर जाकर चैकिंग की। जिसके बाद इसी बात को लेकर पेंच फंसा हुआ है कि कैमीकल स्टोरेज की मंजूरी किसने देनी होती है और इसके लिए क्या नियम है।इसी बीच यह बात सामने आई कि किसी भी यूनिट में सेफ्टी नियम पूरे करवाने की जिम्मेदारी फैक्टरी व लेबर डिपार्टमैंट की होती है। जबकि हादसाग्रस्त फैक्टरी इन दोनों विभागों के पास रजिस्टर्ड ही नहीं थी। विभागों ने डिवीजनल कमिश्नर को सौंपी अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि 10 से कम मुलाजिमों के काम करने के कारण उस यूनिट की फैक्टरी एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन करवाने की जरूरत ही नहीं थी।
जिसे यह कहकर मानने से इंकार कर दिया गया है कि 5 मंजिला फैक्टरी में 10 से कम मुलाजिमों के काम करने की बात को कैसे मान लिया जाए।इसके अलावा फैक्टरी चलाने के लिए कंसैंट देने वाले प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड वाले अफसर भी जांच अधिकारी के राडार पर आ गए हैं। क्योंकि 5 मंजिला फैक्टरी होने के बावजूद दो मंजिलों में यूनिट चलने की एन.ओ.सी. दी गई है। जिससे साफ हो गया कि पी.पी.सी.बी. के अफसरों द्वारा मौका चैक ही नहीं किया गया। इसके अलावा उन्होंने फायर सेफ्टी बारे निगम की एन.ओ.सी. व निर्माण की मंजूरी सहित कैमीकल स्टोरेज से जुड़े पहलू चैक करने की जरूरत भी नहीं समझी। जिससे उन पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।