Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Nov, 2017 09:44 AM
‘हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा, इंसान की औलाद है इंसान बनेगा।’ इस गाने को चरितार्थ करते हुए आज मुस्लिम समुदाय से संबंधित यतीम बच्चों ने इंसानी सेवा की अनूठी मिसाल कायम की। कहते हैं कि इंसान का इंसानी मजहब से बढ़कर कोई और मजहब (धर्म) नहीं होता है।
लुधियाना(खुराना): ‘हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा, इंसान की औलाद है इंसान बनेगा।’ इस गाने को चरितार्थ करते हुए आज मुस्लिम समुदाय से संबंधित यतीम बच्चों ने इंसानी सेवा की अनूठी मिसाल कायम की। कहते हैं कि इंसान का इंसानी मजहब से बढ़कर कोई और मजहब (धर्म) नहीं होता है।
इस सच्चाई पर आज एक बार फिर से मोहर लगा दी मुस्लिम समाज से जुड़े उन अनाथ बच्चों ने, जिनके अपने माता-पिता तो चाहे उन्हें छोटी-सी उम्र में यतीम बनाकर इस जहान से रुखस्त हो गए लेकिन वे यह नहीं चाहते कि उनकी तरह कोई और भी अनाथ होकर अपने मां-बाप के आंचल की छांव को तरसे, जिसके लिए जहां इन मासूम बच्चों ने आज सूफियां चौक के निकट हुए फैक्टरी ब्लास्ट कांड के कारण मलबे में दबी इंसानी जिंदगियों की सलामती के लिए अल्लाह के दरबार में सजदे किए, वहीं घटनास्थल पर बचाव कार्यों में जुटे कर्मियों व पीड़ित परिवारों की खिदमत में चाय, पानी व बिस्कुट आदि का लंगर लगाया।
मस्जिद सूफियां बाग चौक में पड़ते मदरसा नूरुल इस्लाम के तालिब-ए-इलम (टीचरों) साबिर आलम और इमरान की अध्यक्षता में अधिकतर यतीम बच्चे पिछले कई दिनों से जरूरतमंद व गरीब परिवारों की मदद के लिए हर संभव प्रयास करने में जुटे हुए हैं। बच्चों में इंसानी सेवा का जज्बा सराहनीय है, जोकि बिना किसी जाति-धर्म व भेदभाव के प्रत्येक व्यक्ति की सेवा करके अपनी खुशबू फूल की भांति चारों ओर बिखेर रहे हैं। इस संबंध में बातचीत करते हुए बच्चों के बतौर वालिद साबिर आलम व इमरान ने बताया कि असल में प्रत्येक व्यक्ति पहले इंसान है और बाद में हिन्दू, सिख या फिर अन्य धर्मों से संबंधित। इसलिए हम बच्चों के जेहन में बचपन से ही यह बात बिठाना अपना धर्म मानते हैं कि दुखी की सेवा ही खुदा की सच्ची बंदगी है। उन्होंने कहा कि जब तक घटनास्थल पर बचाव कार्यों का काम चलता रहेगा, तब तक मदरसे से तालीम हासिल कर रहे उनके 20 बच्चों की टीम इंसानी सेवा के लिए जी-जान से जुटी रहेगी।