लुधियाना-दिल्ली फ्लाइट से संतुष्ट नहीं उद्योग जगत

Edited By Updated: 22 May, 2017 02:11 PM

ludhiana airport

प्रधानमंत्री की उड़ान स्कीम के अंतर्गत करीब 3 साल के लंबे अंतराल के बाद लुधियाना के साहनेवाल एयरपोर्ट से जून में लुधियाना-दिल्ली की फ्लाइट शुरू होने जा रही है।

लुधियाना(बहल): प्रधानमंत्री की उड़ान स्कीम के अंतर्गत करीब 3 साल के लंबे अंतराल के बाद लुधियाना के साहनेवाल एयरपोर्ट से जून में लुधियाना-दिल्ली की फ्लाइट शुरू होने जा रही है। उड़ान स्कीम के तहत 500 किलोमीटर तक या 1 घंटे की फ्लाइट के लिए 50 प्रतिशत सीटें 2500 रुपए प्रति सीट से उपलब्ध होंगी। पंजाब की औद्योगिक राजधानी लुधियाना की हौजरी इंडस्ट्री, बाईसाइकिल, फास्टनर, इंजीनियरिंग, मशीन टूल इंडस्ट्री और निर्यातकों की लंबे समय से मल्टीसिटी एयर कनैक्टीविटी की मांग की जा रही है लेकिन पिछले करीब 5 दशक पूर्व बना साहनेवाल एयरपोर्ट इंडस्ट्री की इस मांग को पूरा करने में नाकाम साबित हुआ है। साहनेवाल एयरपोर्ट का रन-वे करीब डेढ़ किलोमीटर लंबा है, जो अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के मानकों पर तो खरा नहीं उतरता है लेकिन मल्टीसिटी फ्लाइट यहां से अवश्य शुरू हो सकती है। वर्ष 2013 में अकाली-भाजपा ने अपने बजट भाषण में साहनेवाल एयरपोर्ट का विस्तार करने की घोषणा की थी और करीब 10 करोड़ रुपए की लागत से रन-वे का पुर्निवचार भी किया गया था। करीब 130 एकड़ में बने साहनेवाल एयरपोर्ट के विस्तार हेतु यू.पी.ए. सरकार ने ग्लाडा से 330 एकड़ जमीन लेने की भी कोशिश की थी लेकिन फंड की कमी के कारण इस स्कीम को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका।  

साहनेवाल एयरपोर्ट के नाकामयाब होने का कारण 
इस एयरपोर्ट का निर्माण 60 के दशक में हुआ था। जानकारों के मुताबिक साहनेवाल एयरपोर्ट से नियमित उड़ानों का संचालन न होने के कारण रख-रखाव के भारी खर्चों के बोझ तले यह एयरपोर्ट एक सफेद हाथी बनकर रह गया है। राजनीतिज्ञों के अलावा यहां हावी बाबूशाही भी इसकी नाकामी की मुख्य वजह मानी जाती है। राजनीतिक दबाव के चलते आधी-अधूरी जानकारी से फ्लाइट शुरू करने की घोषणाएं विभिन्न सरकारों द्वारा समय-समय पर की जाती रही हैं। इंडस्ट्री की जरूरतों को नजरअंदाज करने की वजह से कई बार शुरू की गई शैड्यूल फ्लाइटें थोड़े अरसे के बाद ही बंद हो जाती हैं। इतने साल बीत जाने के बाद भी एयरपोर्ट को अपग्रेड नहीं किया गया और कमजोर इन्फ्रास्ट्रक्चर के कारण भी इंडस्ट्रीयल हब लुधियाना के कारोबार पर इसका गहरा असर पड़ा है। लुधियाना से दिल्ली की रोड कनैक्टीविटी एयर रूट से बेहतर होने से कारोबारी करीब साढ़े 4 घंटे में दिल्ली पहुंच जाते हैं और टैक्सी का भाड़ा कम होने का फायदा पहुंचता है। वहीं बिना किसी सूचना के खराब मौसम या अन्य कारणों का हवाला देकर फ्लाइट्स रद्द कर दी जाती हैं। लुधियाना के मुकाबले चंडीगढ़ के मोहाली एयरपोर्ट से मल्टीसिटी फ्लाइट्स का प्रावधान होने के कारण कारोबारी वहां से जाना पसंद करते हैं। 

साहनेवाल एयरपोर्ट पर हो छोटे आधुनिक विमानों का इस्तेमाल
कमर्शियल पायलट विवेक भारती का कहना है कि सरकार को बड़े विमानों की जगह सैसना कारवां जैसे छोटे विमानों को इस एयरपोर्ट से उड़ाना चाहिए। करीब 18 करोड़ की लागत का यह विमान 12 यात्रियों को ले जा सकता है और इसे उड़ाने के लिए मात्र 1 किलोमीटर लंबे रन-वे की ही आवश्यकता होती है। इस तरह जहाज चलाने के लिए सरकार को करोड़ों रुपए खर्च करके महंगे इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवैल्प करने की भी जरूरत नहीं है। यह विमान खेतों, जमीन और पानी के ऊपर से भी टेकऑफ और लैंड होने की क्षमता से लैस होते हैं।  

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