प्रवासी मजदूरों की पंजाब में कम आमद के चलते धान काश्त का काम हो रहा प्रभावित

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jun, 2017 03:08 PM

low influx of migrant laborers the work of paddy kasht is being affected

एक-दो दिनों से बरसात होने तथा पंजाब सरकार द्वारा 15 जून से धान की बिजाई की इजाजत मिलने के कारण हर किसान जल्दी से जल्दी अपने खेत में धान की बिजाई का काम पूरा कर लेना चाहता है।

गुरदासपुर (विनोद): एक-दो दिनों से बरसात होने तथा पंजाब सरकार द्वारा 15 जून से धान की बिजाई की इजाजत मिलने के कारण हर किसान जल्दी से जल्दी अपने खेत में धान की बिजाई का काम पूरा कर लेना चाहता है। परंतु प्रवासी मजदूरों की कमी तथा पंजाबी नौजवानों की कृषि कार्यों में दिलचस्पी न होने के कारण धान की बिजाई का काम पंजाब में बहुत बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।

 

क्या है स्थिति धान की बिजाई संबंधी
पंजाब भर में लगभग 72-73 लाख एकड़ भूमि पर धान की काश्त होती है जिस कारण बहुत अधिक मजदूरों की धान बिजाई के लिए जरूरत होती है। पंजाब का नौजवान अब खेतों में काम करने में दिलचस्पी नहीं रखता तथा धान की बिजाई का काम तो वह बिल्कुल करने को तैयार नहीं है। 
धान की बिजाई का काम 90 प्रतिशत प्रवासी मजदूरों पर निर्भर है। इस समय पूरे देश में धान की बिजाई का काम जोरों पर होने के कारण बिहार तथा उत्तर प्रदेश आदि राज्यों से आने वाले मजदूर अब पंजाब आने को तैयार नहीं हैं, फिर जो मजदूर पंजाब आते हैं उन्हें अधिकतर बड़े किसान सरङ्क्षहद तथा मंडी गोङ्क्षबदगढ़ रेलवे स्टेशन पर ही रेलवे पुलिस की मदद से उतार लेते है। गत सालों में यह प्रवासी मजदूर 1800 से 2000 रुपए प्रति एकड़ धान की बिजाई का लेते थे जबकि इस वर्ष 2400 से 2500 रुपए की मांग के साथ तीनों समय का खाना व बीड़ी सिगरेट आदि भी मांग रहे हैं। 

 

क्या कहते हैं किसान
गांव गोत पोकर निवासी किसान बलजिन्द्र सिंह ने बताया कि इतने अधिक पैसे प्रति एकड़ देने से किसान को धान की खेती करने से कुछ नहीं बचेगा। हर किसान का बेटा अब विदेश जाना चाहता है या धान की बिजाई से भागना चाहता है जिस कारण यह समस्या पैदा हुई है।  इसी तरह एक अन्य किसान दिनेश महाजन ने बताया कि धान की बिजाई का काम अब शत-प्रतिशत प्रवासी मजदूरों पर निर्भर हो गया है। यदि यही हालात बने रहे तो पंजाब में धान की फसल अधीन रकबा कम हो जाएगा। दूसरा पंजाब सरकार द्वारा घोषित 8 घंटे बिजली सप्लाई भी नहीं मिल रही है जिस कारण बरसात पर किसान निर्भर कर रहा है। यदि जैनरेटर चला कर धान की बिजाई की जाए तो खर्च बहुत अधिक आता है। 

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