Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Aug, 2017 04:37 PM
कोर्ट व सरकार द्वारा कई बार सख्त आदेश जारी करने के बावजूद महानगर में लगी अवैध निर्माण की भरमार के हालात में कोई सुधार न होने पर
लुधियाना(हितेश): कोर्ट व सरकार द्वारा कई बार सख्त आदेश जारी करने के बावजूद महानगर में लगी अवैध निर्माण की भरमार के हालात में कोई सुधार न होने पर लोकल बॉडीज मंत्री नवजोत सिद्धू ने एक्शन की कमान अपने हाथों में ले ली है। जिसके तहत नगर निगम के इंस्पैक्टरों को अपने इलाके में बिना मंजूरी कोई बिल्डिंग न बनने देने बारे हर हफ्ते रिपोर्ट भेजने के लिए कहा गया है। इसके अलावा एडीशनल चीफ सैक्रेटरी सतीश चंद्रा ने अवैध निर्माणों पर कार्रवाई को लेकर नियमों के पालन संबंधी कई नए आदेश भी जारी किए हैं। जिस पर अमल के लिए एडीशनल कमिश्नर विशेष सारंगल ने बिल्डिंग ब्रांच से जवाबतलबी की है। इससे उन मुलाजिमों में हड़कंप मच गया है, जो पहले मिलीभगत करके अवैध निर्माण करवाते हैं और फिर उन पर कोई कार्रवाई नहींं करते।
यह हैं महानगर में नॉन कम्पाऊंडेबल बिल्डिंगों पर के हालात
निगम द्वारा जितने नक्शे पास किए जाते हैं। उनसे कई गुणा ज्यादा निर्माण फील्ड में हो रहे हैं। जिनके चालान भी पूरी संख्या में नहीं डाले जाते। जिन बिल्डिंगों के चालान डाले भी जाते हैं। उनसे बनता जुर्माना नहीं वसूला जाता। इन सब कैटागरी की बिल्डिंगों में नॉन कम्पाऊंडेबल बिल्डिंगें भी बनकर तैयार हो रही हैं। यही हाल रिहायशी इलाके में बन रही कमर्शियल बिल्डिंगों व नकशा पास वाली बिल्डिंगों में नियमों के उल्लंघन बारे चेकिंग न होने कारण पैदा हो रहे हैं। जिससे मास्टर प्लान की धज्जियां उडऩे सहित निगम के राजस्व का नुक्सान भी हो रहा है। जिसे लेकर स्टाफ पर विजीलैंस की कार्रवाई के अलावा सस्पैंड या चार्जशीट होने का कोई असर नजर नहीं आ रहा।
229 बिल्डिंगों को बचाने के लिए फिर से जारी हुए डैमोलेशन नोटिस
जैसा कि पंजाब केसरी ने पहले ही साफ कर दिया था कि नॉन-कम्पाऊंडेबल डिक्लेयर करने के बाद जिन बिल्डिंगों को डैमोलेशन नोटिस जारी करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। उस बारे में अब सरकार द्वारा आदेश जारी होने पर एक बार फिर नोटिस जारी करने की खानापूर्ति की जाए। इसके मुताबिक बिल्डिंग ब्रांच के अफसरों ने सोमवार से काम शुरू कर दिया। आशंका जताई जा रही है कि यह नोटिस मिलते ही काफी बिल्डिंग मालिक कोर्ट का रूख कर सकते हैं। जिन्हें यह रास्ता उन अफसरों द्वारा ही दिखाया जा रहा है। जिन्होंने पहले मिलीभगत करके बिल्डिंगें बनवाई थीं। यह भी चर्चा है कि इनमें से काफी बिल्डिंगों द्वारा रैगुलराइजेशन पॉलिसी की आड़ में फीस जमा करवा दी गई है। इसके आधार पर जवाब लेकर नोटिस फाइल करने की तैयारी भी चल रही है।
यह हैं कार्रवाई के नियम
नियमानुसार कोई भी बिल्डिंग का निर्माण शुरू होने पर उसका नक्शा पास होने बारे चैकिंग करना एरिया इंस्पैक्टर की जिम्मेदारी है। अगर नक्शा पास है तो उसके मुताबिक निर्माण होने बारे स्टैप वाइज चैकिंग करने के नियम हैं और अगर बिना नक्शा पास करवाए निर्माण शुरू किया गया है तो उसका चालान डालना जरूरी है। जिसमें बिल्डिंग बनाने वाले से प्रपोज कंस्ट्रक्शन का प्लान मांगा जाता है। जिसके कम्पाऊंडेबल होने पर असैसमैंट करके जुर्माना वसूलना चाहिए और नॉन कम्पाऊंडेबल निर्माण को फाऊंडेशन लेवल पर ही गिराने का प्रावधान है। जिसे लेकर जवाबदेही तय करने के लिए कोर्ट द्वारा बनाए मौके की स्थिति बारे फोटो साथ खींचकर लगाने के नियम का पालन करने की जगह चालान न काटने को ही तरजीह दी जा रही है।
सील करने सहित होगी पुलिस केस दर्ज करवाने की कार्रवाई
सरकार द्वारा जारी ताजा आदेशों के मुताबिक कोई भी अवैध निर्माण सामने आने पर उसे तुरंत नोटिस जारी करके जुर्माना लगाया जाए और नॉन कम्पाऊंडेबल होने पर धारा 274 के तहत सीङ्क्षलग की जाए। ए.सी.एस. ने धारा 269 के तहत अवैध निर्माण को गिराने के बावजूद काम बंद न होने पर धारा 393 के तहत मालिक पर पुलिस केस तक दर्ज करवाने के नियमों का पालन करने को कहा है।