Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jul, 2017 11:20 AM
एक बात पत्थर पर लकीर जैसी है कि बुनियादी और आधुनिक सुविधाओं से वंचित सरकारी स्कूलों को पछाड़ते हुए प्राइवेट स्कूलों ने नई पीढ़ी को लेटैस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर देने के साथ-साथ नई टैक्नोलॉजी से जोडने के लिए नई लाइफ-लाइन मुहैया करवाई है। यह भी कड़वा सच है...
बटाला(सैंडी): एक बात पत्थर पर लकीर जैसी है कि बुनियादी और आधुनिक सुविधाओं से वंचित सरकारी स्कूलों को पछाड़ते हुए प्राइवेट स्कूलों ने नई पीढ़ी को लेटैस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर देने के साथ-साथ नई टैक्नोलॉजी से जोडने के लिए नई लाइफ-लाइन मुहैया करवाई है। यह भी कड़वा सच है कि इसी आड़ में बहुत से लोगों ने प्राइवेट शिक्षण संस्थाओं को न सिर्फ कमाई का एक साधन बनाया, बल्कि सुविधाओं के नाम पर भी अंधी लूट की।
इसके मद्देनजर एक प्राइवेट संस्था ने 2009 में माननीय पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित पटीशन डाली थी, जिसका क्या परिणाम आया, उसी को बेस बनाकर सोशल मीडिया पर कुछ स्कूलों के उछाले जा रहे नामों का सच जानने के लिए ‘पंजाब केसरी’ ने एक अहम प्रयास किया है।
गुरदासपुर के कौन-कौन से स्कूल बताए जा रहे हैं ब्लैक-लिस्टिड
इन दिनों सोशल मीडिया पर जंगी स्तर पर एक लिस्ट वायरल हो रही है, जिसमें जिला गुरदासपुर के आधा दर्जन से अधिक नामवर प्राइवेट स्कूलों के नाम हैं, जिनके बारे में लिखा है कि ये स्कूल अधिक फीस लेने के दोषी साबित हुए हैं और हाईकोर्ट की कमेटी द्वारा स्कूलों को अधिक फीस परिजनों को वापस करने के निर्देश दिए हैं। अब देखने वाली बात यह है कि सोशल मीडिया पर डाली गई लिस्ट पर न तो कोई जारी करने की तारीख है व न ही डिस्पैच नंबर व न ही कोई स्टाम्प और न ही किसी जिम्मेदार संबंधित अधिकारी के हस्ताक्षर हैं। इसका सच जानने के लिए पंजाब केसरी ने अपने सूत्रोंं से छानबीन की जिसमें निम्रलिखित तथ्य सामने आए ।
2009 में हुई थी जनहित पटीशन दायर
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही लिस्ट सच्ची होने के पुख्ता सबूत सामने नहीं आए हैं लेकिन इसके बावजूद बारीकी से एकत्रित किए गए आंकड़ों के मुताबिक एंटी करप्शन एंड क्राइम इंटैलीजैंस सैल ने सी.डब्ल्यू.पी. 2545 नं. अधीन 2009 में एक लोकहित पटीशन दायर की थी, जिसमें उन्होंने माननीय पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में परिजनों का यह पक्ष रखा था कि प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा के नाम पर अनावश्यक फीसें वसूली जा रही हैं।
माननीय अदालत ने क्या दिया था फैसला
2009 में दायर की गई रिट पर माननीय अदालत ने 9 अप्रैल 2013 में फैसला देते हुए रिटायर्ड जज अमर दत्त की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी, जिसने कहा था कि वह पंजाब के सारे प्राइवेट स्कूलों का निरीक्षण करके पता लगाए कि उनके द्वारा किस प्रकार और कितनी फीसें ली जा रही हैं। इसके बाद कमेटी के चेयरमैन जस्टिस अमर दत्त की हिदायतों पर सारे प्राइवेट शिक्षण संस्थानों को 2012-13, 2013-14 और 2014-15 के रिकार्ड चंडीगढ़ में संबंधित जांच कमेटी के कार्यालय में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ढंग से पहुंचाने के लिए कहा गया था।
जानकारी अनुसार अधिकतर स्कूलों ने अपने रिकार्ड उक्त कमेटी को सबमिट करवा दिए थे। जोरदार चर्चा रही थी कि जस्टिस दत्त कमेटी ने स्कूलों के आए जवाब के बाद कथित तौर पर पूरे पंजाब में 300 से 400 संदिग्ध स्कूलों को ब्लैक लिस्टिड नहीं बल्कि शॉर्ट- लिस्ट किया था। उन पर क्या एक्शन हुआ, मौजूदा समय में इस संबंधी किसी के पास कोई पुख्ता सूचना नहीं है।
स्कूलों के प्रिंसीपल्ज ने वायरल लिस्ट को नकारा
वायरल लिस्ट में बताए जा रहे स्कूलों में बेरिंग यूनियन क्रिश्चियन स्कूल, आर.डी. खोसला डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल, सेंट फ्रांसिस स्कूल, कैम्ब्रिज स्कूल, देस राज हैरीटेज पब्लिक स्कूल आदि स्कूलों के प्रिंसीपल्ज ने ‘पंजाब केसरी’ से बातचीत करते हुए बताया कि हमने जस्टिस अमर दत्त कमेटी द्वारा आई हिदायत अनुसार अपने-अपने स्कूलों की फीसों का विवरण चंडीगढ़ कार्यालय में प्रत्यक्ष तौर पर पहुंचा दिया था। उसके बाद न तो हमें संबंधित कार्यालय द्वारा कोई फीस कम/ज्यादा संबंधी चिट्ठी जारी हुई है और न ही हमें पता है कि हमारे स्कूलों को ब्लैक या शॉर्ट-लिस्ट किया गया है।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही लिस्ट बिल्कुल बे-बुनियाद और सरासर झूठी है। उन्होंने कहा कि यह किसी शैतानी दिमाग की उपज है, जो हमारे नामवर स्कूलों को बदनाम करने की घटिया हरकत कर रहा है। उन्होंने कहा कि यदि हमें जस्टिस अमर दत्त कमेटी की कोई जरूरी हिदायतें आती हैं तो हम उन पर जरूर अमल करेंंगे।