Edited By Updated: 26 Mar, 2017 11:03 PM
अंडर बिलिंग के नाम पर पिछले 3 दिनों से थाने खड़े किए गए रेत-बजरी के ट्रकों की खबर....
जालंधर/पठानकोट(पुनीत/शारदा): अंडर बिलिंग के नाम पर पिछले 3 दिनों से थाने खड़े किए गए रेत-बजरी के ट्रकों की खबर को ‘पंजाब केसरी’ द्वारा प्रमुखता से प्रकाशित करने के बाद हरकत में आए प्रशासन ने रविवार को ट्रकों को छोड़ दिया। रेत-बजरी पर गुंडा वसूली करने वालों की कुछ एक अधिकारियों के साथ सैटिंग है जिनके जरिए दबाव बनाकर क्रशर मालिकों को बिना वजह परेशान किया जा रहा ताकि वह खुद-ब-खुद गुंडा टैक्स भरना शुरू कर दें।
मीरथल बैल्ट के अधीन आती क्रशर यूनिटों के मालिक बीते रोज इसी मामले को लेकर एकत्रित हुए। इस दौरान क्रशर यूनियन के नेता ने क्रशर मालिकों पर दबाव बनाया कि माइङ्क्षनग का पैसा क्रशरों पर ही एकत्रित करके माइनिंग माफिया को अदा करें अन्यथा माइनिंग माफिया क्रशर यूनिटों को नहीं चलने देगा। इसका क्रशर मालिकों ने तीखा विरोध किया। माइनिंग माफिया से मोटी रकम वसूलने वाले कई अधिकारी विभिन्न माध्यमों से क्रशर मालिकों को परेशान कर रहे हैं। इनमें कई ऐसे अधिकारी हैं जो सैटिंग होने के कारण कई वर्षों से एक ही सीट पर बैठे हैं। कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद कई अधिकारियों के तबादले किए लेकिन अभी भी ऐसे कई अधिकारी हैं जो अपनी कुर्सी से चिपके बैठे हैं।
क्रशर इंडस्ट्री पर कम होने लगा माइनिंग माफिया का खौफ
माइनिंग माफिया का खौफ क्रशर इंडस्ट्री पर दिनोंदिन कम होता नजर आ रहा है तथा क्रशर मालिक इस संबंध में खुलकर अपना पक्ष रख रहे हैं। क्रशर यूनियन के गगन सिंह गुलेरिया, जोध सिंह पठानिया, मान सिंह, प्रमोद सिंह व शाम सिंह मनकोटिया ने खुलकर कहा कि माइनिग माफिया के थोपे गए कारिन्दे भाग गए हैं। पुलिस द्वारा काबू किए गए ट्रकों को भी छोड़ दिया गया है परन्तु क्रशर इंडस्ट्री को एक अधिकारी ने निर्देश दिए हैं जब तक प्रदेश सरकार की पॉलिसी नहीं आ जाती तब तक क्रशर यूनिटों को बंद रखा जाए। क्रशर उद्यमियों ने कहा कि इन परिस्थितियों में उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वे क्या करें तथा क्या न करें।
क्रशर मालिक शिव शक्ति स्टोन क्रशर के केशव सिंह, हंसपाल स्टोन क्रशर के रंधीर सिंह, बाबा बुड्ढा स्टोन क्रशर के रणजीत सिंह आदि ने सरकार से मांग की कि क्रशर इंडस्ट्री किसी भी सूरत गुंडा टैक्स नहीं देना चाहती अपितु सरकार को एक बेहतर पॉलिसी बनानी चाहिए जिससे मरनासन्न अवस्था में दिन काट रही क्रशर इंडस्ट्री को दोबारा संजीवनी मिल सके।