Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Sep, 2017 12:34 AM
पूर्व डिप्टी स्पीकर प्रो. दरबारी लाल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा पंचकूला हिंसा का ठीकरा पंजाब ....
अमृतसर(कमल): पूर्व डिप्टी स्पीकर प्रो. दरबारी लाल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा पंचकूला हिंसा का ठीकरा पंजाब पर फोडऩे पर सख्त प्रतिक्रिया व्यक्त करते कहा कि खट्टर अपनी असफलताओं और दुर्भावनाओं के लिए खुद ही जिम्मेदार हैं। पंचकूला हिंसा से पंजाब सरकार का कुछ लेना-देना नहीं है। पंचकूला हरियाणा का जिला है न कि पंजाब का।
पंजाब पुलिस के 8 जवानों पर आरोप लगाते हुए खट्टर ने कहा कि ये जवान राम रहीम को भगा कर ले जाने की फिराक में थे। क्या उन्हें यह आकाशवाणी हुई है या इस तरह का भ्रामक व आधारहीन बयान देकर हरियाणा वासियों को भ्रमित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राम रहीम ने जो किया उसकी सजा उसे कोर्ट ने दे दी, लेकिन एक आदमी के चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो, पेशी पर जाने से इतना बड़ा उपद्रव हो जाए, यह हरियाणा सरकार की सबसे बड़ी त्रासदी है।
सरकार ने पहले धारा-144 लागू कर दी, जिसमें बसें, गाडिय़ां व इंटरनैट सेवाएं स्थगित कर दीं, 17 नाके लगा दिए। इतनी बड़ी कार्रवाई के बावजूद पंचकूला में 2 लाख से अधिक लोगों का एकत्रित हो जाना समझ से ही बाहर है। इतने बड़े समूह को शांत रखना मुश्किल ही नहीं, बल्कि असंभव कार्य था। वास्तव में खट्टर के कई मंत्री राम रहीम का खुल कर समर्थन कर रहे थे। पंचकूला में इतने बड़े पैमाने पर जानी-माली नुक्सान हुआ, जबकि पंजाब में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने अपनी कार्यकुशलता से स्थिति को नियंत्रण में रखा।
खट्टर पहले बाबा रामपाल के मामले में बुरी तरह असफल रहा और फिर जाट आंदोलन के दौरान एक विशेष समुदाय के लोगों की दुकानों को जलाकर राख कर दिया गया। पूर्व डी.जी.पी. प्रकाश चंद की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि कुछ अधिकारी तमाशबीन बने रहे और कुछ ने आंदोलनकारियों का समर्थन किया। केंद्र सरकार ने खट्टर को नैतिक आधार पर त्याग-पत्र देने के लिए कहने की बजाय उसका समर्थन किया और पंचकूला हिंसा ने हरियाणा के इतिहास में कत्लो-गारत के सभी रिकार्ड तोड़ दिए। भाजपा पिछले कई वर्षों से नैतिक आदर्शवाद का ढिंढोरा पीटती रही। अब खट्टर के मामले में मूकदर्शक बनकर क्यों बैठ गई।