Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jul, 2017 08:58 AM
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ओर से देश को दिया गया खादी युग अब दोबारा मोदी युग में फिर लौटने लगा है।
जालंधर(रविंदर शर्मा): राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ओर से देश को दिया गया खादी युग अब दोबारा मोदी युग में फिर लौटने लगा है। एक समय था जब खादी को नेता नकारने लगे थे और आधुनिक पहरावे में लौट आए थे। इससे खादी युग लगभग खत्म होने की कगार पर पहुंचने लगा था, मगर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से एक बार फिर खादी युग देश में लौटने लगा है। देश के नेता अब फिर से खादी पहन कर फख््रा महसूस करने लगे हैं। फख््रा भी ऐसा कि अब नेताओं को खादी पहन कर गुड फीङ्क्षलग होती है।
प्रदेश के कई प्रमुख नेताओं का भी मानना है कि जब तक वह खादी नहीं पहनते तब तक नेता वाली फीङ्क्षलग भी नहीं आती है। वर्तमान में चाहे आधुनिक पहरावे का रूप ले लिया था, मगर नेताओं की असली ड्रैस तो खादी का कुर्ता पायजामा ही माना जाता है। नए दौर के युवा भी अब खादी को तरजीह देने लगे हैं।
बात चाहे प्रदेश की प्रमुख पार्टी कांग्रेस की करें या फिर अकाली दल, भाजपा या आम आदमी पार्टी की। इन पाॢटयों में खुद को स्थापित कर चुके नेता भी खादी को खूब तरजीह दे रहे हैं और खादी के बने कुर्ते पायजामे ही पहनने लगे हैं। खादी युग दोबारा लौटने से खादी की बिक्री में भी बेतहाशा वृद्धि हुई तो खादी उद्योग भी प्रफुल्लित होने लगा है। खादी की प्रोडक्शन भी पिछले सालों के मुकाबले काफी बढ़ गई है। पिछले 3 सालों में जहां खादी की बिक्री में चार गुणा बढ़ौतरी हुई है तो वहीं खादी की प्रोडक्शन भी चार गुणा बढ़ी है। वर्ष 2014-15 में खादी का उत्पादन 879.98 टन था और खादी की बिक्री 1170.38 करोड़ रुपए थी वहीं 2015-16 में खादी का उत्पादन बढ़कर 1065.60 टन और खादी की बिक्री 1510 करोड़ रुपए पहुंच गई।
इसी तरह 2016-17 में जहां खादी का उत्पादन 1395.94 टन रहा तो बिक्री बढ़कर 2005.75 करोड़ पहुंच गई। अब तो सरकार ने खादी को बढ़ावा देने के लिए देश के प्रसिद्ध ब्रांड आदित्य बिरला व रेमंड्स से भी टाईअप किया है और देश के प्रमुख शहरों में खादी लाऊंज से सरकारी शोरूम खोले जा रहे हैं ताकि आने वाले समय में खादी को दोबारा घर-घर पहुंचाया जा सके।