‘इक चन्न मैं बदलां च लबां, इक चन्न मेरी जिंदगी दा माहिया मेरा’

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Oct, 2017 11:55 AM

karwa chauth fast

‘इक चन्न मैं बदलां च लबां, इक चन्न मेरी जिंदगी दा माहिया मेरा’, यह कथनी फगवाड़ा में तब हकीकत होती देखी गई जब फगवाड़ा में करवाचौथ का चांद आकाश में रात को..................

फगवाड़ा(जलोटा) : ‘इक चन्न मैं बदलां च लबां, इक चन्न मेरी जिंदगी दा माहिया मेरा’, यह कथनी फगवाड़ा में तब हकीकत होती देखी गई जब फगवाड़ा में करवाचौथ का चांद आकाश में रात को 8:35 पर आकाश में छाए घने बादलों के मध्य दृष्टिगोचर हुआ और देखते ही देखते लाखों सुहागिनों ने अपने घरों की छतों पर जाकर अपने पति की मौजूदगी में चांद को आकाश में देख अपने सुहाग की दीर्घ आयु की कामना करते हुए अपना करवाचौथ का व्रत पूर्ण किया।PunjabKesariफगवाड़ा में जैसे ही आकाश में चन्द्रमां दृष्टिगोचर हुआ पूरी फिजा पटाखों के शोर से साराबोर हो गई एवं कुछ क्षणों के लिए ऐसा प्रतीत हुआ कि मानों दीपवाली पर्व से पहले ही फगवाड़ा वासियों ने करवाचौथ पर्व पर दीपावली पर्व का आगाज कर दिया है। इससे पहले शहर में हजारों कुंवारी लड़कियों जिन्होंने अपने भावी पति की कामना कर करवाचौथ का व्रत रखा हुआ था, ने बाद शाम आकाश में चमके तारों को देख उसे जल अॢपत कर अपना करवाचौथ का व्रत पूर्ण किया। 

हाईटैक हुआ करवाचौथ
करवाचौथ का पावन व्रत जिसे पूरी तरह से भारतीय संस्कृति का प्रतीक स्वीकारा जाता रहा है। विदेशों में रह रही और दीपावली मनाने सपरिवार पंजाब (फगवाड़ा) में आई एन.आर.आइज बहुओं को खूब भा गया है। हालात की सच्चाई यह भी बन गई है कि अब समय के साथ-साथ उक्त व्रत ‘हाईटैक’ हो गया है। इसके प्रमाण फगवाड़ा में तब खुलकर देखने को मिले जब देर रात शहर के असंख्य घरों में नई-नवेली मॉडर्न बहुओं ने आकाश में चांद का दीदार कर अपना व्रत विदेशी चॉकलेट के साथ अपने पतियों के हाथों से पूर्ण किया।

दिलचस्प बात यह रही कि उक्त बहुओं ने व्रत के सम्पूर्ण होने के बाद पतियों के साथ विदेशी खाना खाया। वहीं विदेशों से पंजाब आई विदेशी एवं आप्रवासी भारतीय युवतियों व पत्नियों ने पारम्परिक रूप से शुद्ध भारतीय भोजन का सेवन कर अपना करवाचौथ का व्रत सम्पूर्ण किया, लेकिन करवाचौथ के व्रत पर सबसे मनमोहक एवं दिलों को छू जाने वाले नजारे तब देखने को मिले जब आकाश में चंद्रमा के गोचर होने के बाद अपने मेहंदी लगे हाथों में सुहाग का चूड़ा पहने कई सुहागिनों को कम्प्यूटर स्क्रीन अथवा लैपटॉप की स्क्रीन के आगे बैठकर इंटरनैट का प्रयोग कर विदेशों में रोजी रोटी कमाने गए हुए अपने पतियों की आरती उतारकर व्रत पूर्ण किया। कुछ ऐसा ही हाल फगवाड़ा में मौजूद रहे प्रवासी श्रमिकों का रहा, जिनकी धर्मपत्नियां बिहार व उत्तर प्रदेश में हैं और वे पंजाब में मजदूरी करने के लिए आए हुए हैं। उक्त पतियों ने मोबाइल फोन पर अपनी पत्नियों से लम्बी बातें कीं।

सोशल मीडिया की भूमिका रही विशेष
फगवाड़ा के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में करवाचौथ का त्यौहार श्रद्धा एवं उत्साहपूर्वक मनाया गया। प्रात: सूर्योदय से पूर्व सरगी सेवन के बाद सुहागिनों ने व्रत की शुरूआत व दिनभर दुल्हन की तरह सज-धज कर सामूहिक रूप से चांद का इंतजार किया। शाम को करवाचौथ की कथा सुनने की रस्म विभिन्न गली-मोहल्लों में पंडितायनों अथवा वृद्ध औरतों ने निभाई। कई जगहों पर तो आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर औरतों को यू-ट्यूब आदि पर भी कथा सुनते देखा गया।

कुंवारी कन्याओं में भी इस व्रत को लेकर बेहद उत्साह था, जहां महिलाओं ने अपने पति-परमेश्वर की लम्बी उम्र की कामना के साथ व्रत को श्रद्धा से रखा व रात को चंद्रमा देखकर जल ग्रहण किया। वहीं पतियों में भी अपनी पत्नियों को बहुमूल्य उपहार भेंट करने की होड़ रही। करवाचौथ के त्यौहार में सोशल मीडिया की भूमिका भी विशेष रही। दिनभर व्हाट्स एप करवाचौथ से संबंधित संजीदा व हास-परिहास से परिपूर्ण मैसेज आते-जाते रहे।

मेहंदी लगे हाथों की जमकर हुई फोटोग्राफी 
करवाचौथ पर्व के पावन मौके पर सोलह शृंगार किए हुए महिलाओं व युवतियों को अपनी फोटो अपने फे सबुक अकाऊंट व व्हाट्स एप पर अपलोड करने की दिनभर होड़ लगी रही। इस मौके पर परियों की भांति तैयार हुई महिलाओं ने अपने मेहंदी लगे हाथों की जमकर फोटोग्राफी की। पंजाब केसरी के साथ वार्तालाप दौरान कई नवविवाहिताओं ने कहा कि जब वह अपनी फोटो फेसबुक पर लगाती हैं तो उसके पति जो विदेशों में गए हुए हैं उसे तुरंत अपना संदेश भेज रहे हैं। वह खुश हैं कि उनका सम्पर्क हजारों किलोमीटर दूर विदेश गए हुए अपने पति के साथ निरंतर बना हुआ है।

करवाचौथ की कथा श्रवण की
सुहागिनों का महापर्व करवा चौथ रविवार को बहुत ही श्रद्धा एवं उत्साह से मनाया गया। प्रात: काल सूर्य उदय से पूर्व उठकर सुहागिनों ने सरगी का सेवन किया तत्पश्चात् मां गौरी की पूजा-अर्चना कर पूरा दिन निर्जल रहने के बाद रात्रि के समय चांद को अघ्र्य देकर अपना व्रत पूर्ण किया। सोलह शृंगार किए सुहागिनों ने सायं के समय थाली पूजा सामग्री के साथ जिसे करवा भी कहा जाता है, को हाथों में लेकर सामूहिक रूप में बैठ कर करवा चौथ की कथा का श्रवण किया और मां गौरी से अपने पतियों की दीर्घायु एवं स्वास्थ्य की कामना करते हुए करवों का आपस में आदान-प्रदान कर पूजा की। तदोपरांत अपने घरों के बुजुर्गों से आशीर्वाद प्राप्त किया। 

नवविवाहिताओं में भी दिखा भारी उत्साह 
करवा चौथ हेतु नवविवाहिताओं में भी भारी उत्साह देखा गया। हाथों में लाल चूड़ा पहने व सुंदर परिधानों एवं पूर्ण शृंगार के साथ नवविवाहिताओं ने इस व्रत को रखा। इसके साथ अविवाहित युवतियों ने मनचाहा पति पाने की कामना से करवा चौथ का व्रत रखकर सायं को अघ्र्य देकर अपना व्रत पूर्ण किया। कहीं तम्बोला गेम तो कहीं हुआ प्रभु नाम का सिमरण करवा चौथ पर रविवार को छुट्टी का दिन होने के कारण बाजारों में भी रौनक कम रही। महिलाओं ने अपना समय व्यतीत करने के लिए सामूहिक रूप से एकत्रित होकर कहीं तम्बोला इत्यादि गेम्स खेलीं तो कहीं प्रभु चरणों में बैठ प्रभु महिमा का गुणगान किया।

इंटरनैट के माध्यम से किए पतियों के दर्शन
पतियों की दीर्घायु व उनके स्वास्थ्य की कामना हेतु रखे जाने वाले व्रत के अवसर पर जिन महिलाओं के पति विदेशों में रोजी-रोटी कमाने हेतु गए हुए हैं, ने आज के आधुनिक युग में इंटरनैट के माध्यम से अपने पतियों के दर्शन कर अपना व्रत पूर्ण किया।

पुराना रिवायत कायम रखी 
सुहागिनों का त्यौहार करवाचौथ का व्रत पवित्र नगरी सुल्तानपुर लोधी में भी रीति-रिवाजों व श्रद्धा भावना से मनाया गया। सुबह 4 बजे उठकर अपनी सास द्वारा दी सरगी खाकर व्रत शुरू किया व उसके उपरांत भूखे पेट रहकर अपने पतियों की लम्बी आयु के लिए कामना की। बेशक लोगों ने चाहे वैज्ञानिक सोच अपना ली है, लेकिन पुरानी रिवायत कायम रखने के लिए पढ़ी-लिखी महिलाओं ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी।

मंदिरों में माथा टेका व कथा श्रवण की
शाम को मंदिरों में माथा टेकने के लिए सुहागिनों की काफी भीड़ देखी गई। सुहागिनों ने मंदिरों में जाकर पूजा-पाठ किया व पंडितों से करवाचौथ की कथा श्रवण की और अपने सुहाग की लम्बी आयु की प्रार्थना की। बताते चलें कि हिन्दू स्त्रियों के लिए यह व्रत अखंड सुहाग प्रदान करने वाला माना जाता है। जो स्त्री इस दिन भगवान शंकर व मां पार्वती की पूजा करती है उसको महादेव के आशीर्वाद का फल प्राप्त होता है। 

चांद को अघ्र्य देकर खोला व्रत
दिनभर कुछ भी न ग्रहण करने उपरांत रात को चांद के दर्शन करने के लिए सुहागिनों में उत्सुकता दिखाई दी। चांद को अघ्र्य देकर अपने पति के हाथों पानी पीकर सुहागिनों ने व्रत को खोला व भगवान से पति की लम्बी आयु की प्रार्थना की।

कुंवारी लड़कियों ने भी रखा व्रत
सुहागिनों के अतिरिक्त कुंवारी लड़कियों ने भी करवाचौथ का व्रत पूरी विधिपूर्वक रखा व भगवान शंकर च मां पार्वती से अपने लिए सुंदर वर की प्रार्थना की। दूसरी ओर कई पतियों ने भी करवाचौथ का व्रत रखा। 
उनका कहना था कि अगर उनकी पत्नियां उनकी लम्बी आयु के लिए व्रत रख सकती हैं तो फिर वह भी अपनी पत्नी की लम्बी आयु के लिए व्रत क्यों नहीं रख सकते।

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