Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Sep, 2017 02:15 PM
देर से ही सही लेकिन सरकार को भी अब स्टूडैंट्स की सेहत की चिंता होने लगी है। यही वजह है कि सी.बी.एस.ई. द्वारा स्कूलों एवं
लुधियाना(विक्की): देर से ही सही लेकिन सरकार को भी अब स्टूडैंट्स की सेहत की चिंता होने लगी है। यही वजह है कि सी.बी.एस.ई. द्वारा स्कूलों एवं यू.जी.सी. की ओर से कालेजों की कैंटीनों में जंक फूड की बिक्री पर रोक लगाने के जारी आदेशों के बाद ऑल इंडिया काऊंसिल फॉर टैक्नीकल एजुकेशन ने भी अपने अंतर्गत आते तकनीकी शिक्षा कालेजों में जंक फूड की बिक्री बंद करवाने के लिए कदम बढ़ाए हैं। इस शृंखला में काऊंसिल ने समूह तकनीकी शिक्षा कालेजों एवं यूनिवर्सिटीज को आदेश दिए गए हैं कि कैंटीन में पिज्जा, बर्गर, समोसा, नूडल्स जैसे फास्ट फूड नहीं बेचें।
स्कूलों-कालेजों ने कैंटीनों में नहीं डिस्प्ले किए निर्देश
यही नहीं कैंटीनों में भी किसी कालेज व स्कूल की ओर से ऐसे निर्देश डिस्प्ले तक नहीं किए गए। डाक्टरों के मुताबिक इस बात में कोई दो राय नहीं कि आज कल अधिकतर बीमारियों की वजह जंक फूड ही बन रहा है। बचपन में ही बच्चे मोटापे जैसी बीमारियों की लपेट में आ रहे हैं लेकिन स्कूलों-कालेजों पर आदेशों का कोई असर नहीं।
कागजों तक सीमित हैं सी.बी.एस.ई.-यू.जी.सी. के निर्देश
हालांकि पहले सी.बी.एस.ई. और बाद में यू.जी.सी. की ओर से भी अपने अधीन आती शिक्षण संस्थाओं को जंक फूड की बिक्री पर अपने संस्थानों में रोक लगाने के जारी आदेश केवल कागजों तक ही सीमित रहे हैं। क्योंकि उक्त आदेशों के जारी होने के लंबा समय बीतने के बाद भी उक्त दोनों अथारिटी की ओर से स्कूलों-कालेजों में किसी तरह की कोई चैकिंग नहीं करवाई गई। यही वजह है कि आज भी स्कूलों व कालेजों की कैंटीनों में सरेआम जंकफूड बिकता आम देखा जा सकता है।
पान-मसाला व सिगरेट की बिक्री पर रोक के लिए करेंगे जागरूक
ए.आई.सी.टी.ई. द्वारा दिए गए ताजा निर्देशों में कालेजों के अंदर जंक फूड की बिक्री पर रोक लगाने के आदेश तो दिए गए हैं, इसी के साथ ही कालेजों के आस-पास की दुकानों पर भी इसकी बिक्री पर रोक लगवाने का सुझाव दिया गया है। इसी के साथ ही गुटखा, पान-मसाला, सिगरेट आदि की बिक्री भी कालेजों के पास प्रतिबंधित करवाने के लिए छात्रों को जागरूक करने के निर्देश हैं।
जंक फूड से होती हैं ये बीमारियां
-थकान,
- शरीर को ऊर्जा कम मिलनी,
- एसीडिटी
- शरीर के हार्मोन का संतुलन बिगडऩा
-स्वभाव और मन के भाव में बदलाव
- ब्लड शूगर
-हैल्दी फैट की जगह बैड फैट
-हृदय संबंधी बीमारियां
- मोटापा आना
- लीवर के सामान्य कार्य में रुकावट
-डायबिटीज का खतरा बढऩा
- शूगर एवं फैट युक्त खाने से कैंसर की संभावना बढऩा
- अधिक सेवन अस्थमा को बुलावा देता है
- पाचन क्रिया पर बुरा असर पडऩा