Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Oct, 2017 10:57 AM
नगर निगम सांझा संघर्ष मोर्चा के सदस्य डौंकी बैंच कर्मचारियों की मांगों को लेकर ज्वाइंट कमिश्नर सौरभ अरोड़ा से मिले। इस दौरान मोर्चे के पंजाब प्रधान सुरिन्द्र टोना, राज कुमार राजू, सुरिन्द्र शर्मा राजू, महावीर आदि ने ज्वाइंट कमिश्नर को बताया कि इन...
अमृतसर(रमन): नगर निगम सांझा संघर्ष मोर्चा के सदस्य डौंकी बैंच कर्मचारियों की मांगों को लेकर ज्वाइंट कमिश्नर सौरभ अरोड़ा से मिले। इस दौरान मोर्चे के पंजाब प्रधान सुरिन्द्र टोना, राज कुमार राजू, सुरिन्द्र शर्मा राजू, महावीर आदि ने ज्वाइंट कमिश्नर को बताया कि इन कर्मचारियों के साथ सालों से अन्याय होता आ रहा है, पर इनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
उन्होंने कहा कि पूर्व कमिश्नर सोनाली गिरि ने क्लर्कों को हिदायतें दी थी कि इन कर्मचारियों के अकाऊंट में वेतन जाना चाहिए, न कि कैश दिया जाना चाहिए। कमिश्नर के कहने पर अकाऊंट तो बैंकों में खोल दिए गए, लेकिन पैसे उन्हें कैश ही मिलते हैं। उन्होंने कहा कि निगम के अंदर कई कर्मचारी पक्के हुए हैं, पर उन पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
क्लर्क हर बार फाइलें इधर से उधर कर देते हैं। इसे लेकर ज्वाइंट कमिश्नर द्वारा पहले सुपरिंटैंडैंट को बुलाया गया, लेकिन वह नहीं आए, उन्होंने डायरी क्लर्क की ड्यूटी लगा दी है। डायरी क्लर्क को बुलाया, वह भी नहीं आई। उसके बाद संबंधी क्लर्क हरप्रीत सिंह को बुलाया गया, वह न तो सीट पर दिखे और न ही उन्होंने फोन उठाना उचित समझा। इससे किसीकर्मचारी को न आता देख यूनियन वाले उठ चले गए।
यूनियन के सदस्यों ने कहा कि अंदरून शहर के तंग बाजारों व गलियों में डौंकी बैंच के कर्मचारी 3 पीढिय़ों से काम करते आ रहे हैं। अब 28 कर्मचारी काम कर रहे है। इनको रैगुलर करने के लिए इन कर्मचारियों का प्रस्ताव निगम हाऊस में डाला गया था, पर लिस्ट में नाम सही न होने के कारण केस पैंडिंग डाल दिया गया था। इन कर्मचारियों को नगर निगम द्वारा हर माह 2840 रुपए वेतन दिया जा रहा है।
उसके अलावा कोई और वर्दी या कोई भत्ता नहीं दिया जा रहा है। मोर्चे के सदस्यों ने बताया कि लेबर कमिशन के आदेशानुसार 291.53 पैसे प्रति दिहाड़ी एवं 7568 रुपए 2 पैसे मासिक वेतन प्रति कर्मचारी बनता है, लेकिन निगम द्वारा मासिक वेतन 2840 रुपए देकर कर्मचारियों के साथ धक्का किया जा रहा है। मोर्चे के सदस्यों ने कहा कि इन सभी को लेकर दस्तावेज सुबह खुद वह ज्वाइंट कमिश्नर को सौंपेंगे। क्लर्कों द्वारा इन कर्मचारियों के साथ धक्का किया जा रहा है जो सहन से बाहर है। अगर इन कर्मचारियों को न्याय न मिला तो वे संघर्ष का रास्ता अपनाएंगे।