जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह का कौम के नाम संदेश

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Oct, 2017 01:24 PM

jathedar gyani gurbachan singh

बंदी छोड़ दिवस (दिवाली) के अवसर पर गुरूवार को श्री अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने श्री हरिमंदिर साहब की दर्शनीय डयोढी से कौम के नाम संदेश जारी कर कहा कि गांवों से शराब के ठेके बंद किए जाएं तथा लोग कर्ज लेकर सामाजिक रस्में अदा करने की...

अमृतसरः बंदी छोड़ दिवस (दिवाली) के अवसर पर गुरूवार को श्री अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने श्री हरिमंदिर साहब की दर्शनीय डयोढी से कौम के नाम संदेश जारी कर कहा कि गांवों से शराब के ठेके बंद किए जाएं तथा लोग कर्ज लेकर सामाजिक रस्में अदा करने की फिजूलखर्ची बंद करें।  


इस अवसर पर शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के प्रधान प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर, सच्चखंड श्री हरिमन्दर साहब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी जगतार सिंह, दमदमी टकसाल के प्रमुख ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा और कथा वाचक भाई रणजीत सिंह गौहर ने भी बंदीछोड़ दिवस की मुबारकबाद दी।  जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कौम के नाम दिए संदेश में जहाँ श्री गुरु ग्रंथ साहब जी की बेअदबी की घटनाओं को रोकने के लिए गुरुद्वारा प्रबंधक समितियों को सचेत और सावधान होने के लिए कहा, वहीं कौम को नशों और सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध कड़ा संघर्ष शुरु करने का भी न्योता दिया। उन्होने कहा कि समय -समय पर श्री अकाल त$ख्त साहब की द्वारा संदेश और आदेश जारी करने के बावजूव श्री गुरु ग्रंथ साहब जी के पवित्र स्वरूपों की हो रही बेअदबी की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही है। उन्होने कहा कि इन घटनाओं को रोकने के लिए गुरुद्वारा समितियां सचेत हों तथा गुरूद्वारा में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगवाएं।   


ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कहा कि ग्राम पंचायतें अपने गांवों में से शराब के ठेके हटाने के लिए सर्वसमती से प्रस्ताव पास कर पंजाब सरकार के संबंधित विभाग के पास भेजें। उन्होने सिख समुदाए को सामाजिक रस्मों को सादे ढंग से निभाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि ऐसी रस्मों पर फिजूल खर्ची बंद करें तथा विवाह तथा अन्य कार्यक्रम गुरूद्वारों में ही आयोजित करें। उन्होने कहा कि फिजूलखर्ची रोकने से किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्याओं में भी कमी आएगी।  ज्ञानी सिंह ने कहा कि केंद्र और पंजाब सरकार देश की अलग -अलग जेलों में बंद सकाा पूरी कर चुके बेकसूर सिख कैदियो को तुरंत रिहा करे। उन्होने पंथक संगठनों को भी आपसी टकराव छोड़कर पंथक एकता करने का न्यौता दिया।  एसीजीपीसी के प्रधान प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर ने कहा कि श्री गुरु नानक देव जी ने हिंदुस्तान की बोली, संख्याचार और रीति -रिवाका बचाने के लिए जो मिशन आरंभ किया था उसे छठे बादशाह श्री गुरु हरगोबिंद साहब जी ने ओर आगे बढ़ाते हुए काुल्म और अन्याय के विरुद्ध आवाका बुलंद की थी। उन्होने कहा कि श्री गुरु हरगोबिंद साहब ने लोगों को एक नयी रोशनी, नये जकाबे और नये जोश के रूबरू किया। उन्होने संगत से अपील करते हुए कहा कि धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक और वैज्ञानिक क्रांति का आधार बाँधने वाले गुरू साहिबान की तरफ से दिखाऐ हुए मार्ग को अपनाना आज की बड़ी कारूरत है।   
 

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