बिना खर्चे-पानी के आज रवाना होंगी पोलिंग पार्टियां

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Dec, 2017 10:42 AM

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नगर निगम चुनावों में शहर के 80 वार्डों के लिए बनाए गए 553 और 4 नगर कौंसिलों व कमेटियों के लिए बनाए गए 52 पोलिंग बूथों की कमान संभालने के लिए तैनात की गई

जालंधर (अमित): नगर निगम चुनावों में शहर के 80 वार्डों के लिए बनाए गए 553 और 4 नगर कौंसिलों व कमेटियों के लिए बनाए गए 52 पोलिंग बूथों की कमान संभालने के लिए तैनात की गई सारी पोलिंग पार्टियां शनिवार को अपने-अपने पोलिंग स्टेशनों के लिए रवाना होंगी।  वहीं प्रशासन जालंधर नगर निगम चुनाव राम भरोसे करवाने को मजबूर है। प्रशासन के पास चुनाव करवाने के लिए फूटी कौड़ी तक नहीं है। जिला प्रशासन ने चुनावों के लिए तकरीबन 33 लाख रुपए की डिमांड स्टेट इलैक्शन कमेटी के पास भेजी थी।


 
मगर राज्य की आर्थिक व्यवस्था सही न होने के कारण जिला प्रशासन के पास एक भी पैसा नहीं आया। हालत यह है कि चुनावी प्रक्रिया से लेकर अब तक रिटर्निंग अधिकारियों को अपनी ही जेब  में से सारा खर्च करना पड़ रहा है। यहां तक कि पोलिंग पार्टियां भी बिना खर्चे-पानी के ही रवाना होंगी। मतदान वाले दिन भी सभी पोलिंग पार्टियां राजनीतिक पार्टियों पर ही निर्भर रहेंगी। 

 

डी.सी. दफ्तर के सूत्रों की मानें तो जिस दिन से चुनावी प्रक्रिया शुरू हुई है, उस दिन से लेकर आज तक लगभग हर आर.ओ. का अपनी जेब में से 25-30 हजार रुपए का खर्चा हो चुका है। चुनाव सम्पन्न होते-होते यह खर्चा 50 से 60 हजार रुपए तक होने की संभावना  है। इतना ही नहीं बहुत से सरकारी कर्मचारी ऐसे हैं, जो अपनी जेब में से हजारों रुपए छोटे-मोट खर्चे के तौर पर हो कर चुके हैं। मगर अधिकारियों से पैसे न मांगने के लिए मजबूर हैं। इस बार के नगर निगम चुनाव शायद निगम चुनावों के इतिहास में पहले ऐसे चुनाव हैं, जिसके लिए कोई ठोस तैयारी किए बिना ही काम शुरू हो गया। इस कारण बहुत से काम सही समय पर मुकम्मल नहीं हो पाए और काफी काम के लिए चुनावी खर्चे का कोई प्रबंध नहीं हो पाया। इतना ही नहीं पोलिंग पार्टियों को भी मान-भत्ता नहीं मिला है। रिहर्सल और चुनाव वाले दिन दी जाने वाली ड्यूटी के लिए लगभग 1 हजार रुपए प्रति कर्मचारी मान-भत्ता आता है। मगर इस बार किसी भी कर्मचारी को एक पैसे भी नहीं मिला है। इस वजह से कर्मचारियों को ड्यूटी वाले दिन खाने-पीने आदि के लिए अपनी जेब में से पैसे खर्च करने होंगे या फिर राजनीतिक पार्टियों पर पूरी तरह से निर्भर होना पड़ेगा। 

 

7 डिस्पैच सैंटरों पर सुबह 10 बजे जुटेगी पोलिंग पार्टियोंकी भीड़

शनिवार को सुबह 10 बजे तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार सारा चुनावी अमला अपने-अपने हलके के लिए बनाए गए डिस्पैच   सैंटरों पर जुटना शुरू हो जाएगा। 
जिला प्रशासन की ओर से सभी प्रबंध मुकम्मल किए जाने के कारण सारे पोलिंग पार्टियों को ई.वी.एम. व अन्य सामान बांटने के बाद उनको उनके पोलिंग स्टेशनों के लिए रवाना कर दिया जाएगा। डी.सी. वरिंदर कुमार शर्मा ने समूह वोटरों को अपने वोट के अधिकार का प्रयोग बिना किसी डर, लालच एवं नैतिकता के आधार पर करने की अपील की है। उन्होंने बताया कि चुनावों के संबंध में बनाए गए पोलिंग बूथों के लिए पोलिंग पार्टियां चुनाव सामग्री सहित शनिवार को रवाना हो जाएंगी।


शराब और पैसों से वोटर प्रभावित करने पर होगी खास नजर

वोटिंग वाला दिन सबसे नाजुक है, इसलिए इस दौरान जिले में प्रशासन और पुलिस अधिकारी पूरी चौकसी बरतेंगे ताकि किसी भी प्रकार की पैसे और शराब की बांट न हो सके और इनके सहारे वोटर प्रभावित न किए जा सकें। इस काम के लिए जिले में विशेष टीमें और उडऩदस्ते पूरी मुस्तैदी के साथ तैनात रहेंगे। आब्जर्वरों की पूरे जिले में रहेगी पैनी नजर पंजाब चुनाव आयोग की ओर से निगम चुनावों के लिए नियुक्त किए गए आब्जर्वर भी पूरी वोटिंग प्रक्रिया पर पैनी नजर बनाए रखेंगे और 17 दिसम्बर को वोटिंग के दौरान किसी प्रकार की गड़बड़ी की सूरत में तुरंत एक्शन लेंगे। 

 

डिस्पैच सैंटरों पर चाय-पानी और खाने का नहीं होगा कोई प्रबंध
डी.सी. दफ्तर के सूत्रों की मानें तो इस बार के निगम चुनावों में डिस्पैच सैंटरों पर चाय-पानी और खाने का कोई प्रबंध नहीं किया जा रहा, क्योंकि चुनावों के लिए होने वाले खर्चे का बजट अभी तक प्रशासन के पास आया ही नहीं है। अगर किसी डिस्पैच सैंटर पर थोड़ा बहुत प्रबंध किया भी जाता है तो उसका सारा खर्चा आर.ओ. अपनी जेब में से ही करेंगे। गौर हो कि आमतौर पर हर चुनाव में प्रशासन द्वारा अपने-अपने पोलिंग स्टेशनों पर जाने के लिए आए चुनावी स्टाफ की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सभी डिस्पैच सैंटरों पर चाय-पानी के साथ-साथ खाने का विशेष प्रबंध किया जाता है।

 

नोटा से भी है उम्मीदवारों को खतरा, बना हुआ है खौफ
नोटा (नन आफ दी अबव) वाला बटन इस बार पहली बार दबाया जाएगा और इस बटन को लेकर उम्मीदवारों के मन में कई तरह के सवाल चल रहे हैं। लगभग सभी उम्मीदवारों का मानना है कि अगर नोटा बटन ज्यादा लोगों द्वारा दबाया जाता है तो उनके क्षेत्र में आने वाला समय सभी उम्मीदवारों के लिए कठिन हो सकता है। फिलहाल नोटा बटन का खौफ हर उम्मीदवार के मन में व्याप्त है।

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