Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jan, 2018 10:03 AM
प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बात हो या फिर प्रदेश सरकार की, कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा है।
जालंधर (रविंदर शर्मा): प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बात हो या फिर प्रदेश सरकार की, कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा है। न तो सरकार की कार्यप्रणाली से प्रदेश की जनता खुश नजर आ रही है और न ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कारगुजारी से पार्टी के पदाधिकारी खुश हैं। सरकार बनने से पहले ऊपरी स्तर पर जिस तरह से प्रताप सिंह बाजवा व कैप्टन अमरेंद्र सिंह लाबी में टकराव चरम सीमा पर था, वैसा ही टकराव अब बाजवा व सांसद तथा पंजाब प्रधान सुनील जाखड़ के बीच चल रहाहै।
राज्यसभा मैंबर बाजवा की सरकार विरोधी टिप्पणियों से जाखड़ खासे खफा चल रहे हैं। बाजवा पर हमला करते हुए जाखड़ ने कहा है कि बाजवा खुद प्रदेश कांग्रेस प्रधान रह चुके हैं और उन्हें मालूम होना चाहिए कि कौन सा मुद्दा किस प्लेटफार्म पर उठाना है। बाजवा की सरकार विरोधी टिप्पणियों से प्रदेश सरकार की छवि खराब हो रही है।
गौर हो कि कैप्टन सरकार के कामकाज से अंदरखाते सभी नेताओं में खासा गुस्सा पाया जा रहा है, मगर बाजवा ने सरकार के कामकाज पर सवाल उठाते हुए सार्वजनिक तौर पर तीखी टिप्पणियां की थीं। जाखड़ का कहना है कि 10 साल बाद कांग्रेस सत्ता में आई है और जनता के हित में पार्टी के नेताओं को सही समय पर सही मुद्दा सही प्लेटफार्म पर उठाना चाहिए ताकि पार्टी का नुक्सान न हो। जाखड़ ने कहा कि बाजवा की सार्वजनिक सरकार विरोधी टिप्पणियों से सरकार की छवि को धक्का लग रहा है और वह इस मुद्दे को पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी व प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के सामने उठाएंगे।
मामला चाहे कुछ भी हो आने वाले दिनों में अब बाजवा बनाम जाखड़ लाबी में जमकर टकराव देखने को मिल सकता है। पार्टी में पिछले दिनों जालंधर में जिस तरह से यूथ नेताओं ने अपने ही विधायकों व सांसद पर जमकर भड़ास निकाली थी, उस बारे बोलते हुए जाखड़ ने कहा कि पार्टी में यूथ को पूरी तरजीह दी जानी चाहिए।
कैप्टन-सिद्धू टकराव की गाज गिर सकती है जाखड़ पर
पार्टी में अपने ही विभाग के मामलों में खुद की अनदेखी को लेकर आजकल स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के बीच खासा टकराव चल रहा है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो इस टकराव की कथित रूप से मुख्य वजह प्रदेश कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ हैं। जिस तरह से कैप्टन ने हर मामले में जाखड़ को तरजीह दी, उसी तरह से सभी मामलों में सिद्धू की अनदेखी की गई। बताया जाता है कि जैसे अमृतसर और पटियाला के मेयर पद के नामों की घोषणा की गई, उस पर भी सिद्धुू ने सवाल खड़े किए हैं और कहीं न कहीं पार्टी के भीतर इसे लेकर भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है। सिद्धू मौजूदा दौर में कैप्टन की बजाय जाखड़ की बढ़ती दखलअंदाजी से ज्यादा खफा हैं। सिद्धू की अनदेखी की पूरी रिपोर्ट राहुल गांधी के दरबार में पहुंच चुकी है और इस मामले का पटाक्षेप प्रदेश कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ की बलि के साथ हो सकता है।