अकाली दल में जानें की अफवाहों पर जगबीर बराड़ ने लगाया विराम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Dec, 2017 02:11 PM

jagbir brar jalandhar

कैंट हलके से कांग्रेस की टिकट के सशक्त दावेदार रहे पूर्व विधायक जगबीर बराड़ ने अकाली दल में जाने की अववाहों पर विराम लगाते कहा कि ये सब विपक्ष की उनकी छवि खराब करने की साजिश है।

जालंधर(महेश खोसला):  कैंट हलके से कांग्रेस की टिकट के सशक्त दावेदार रहे पूर्व विधायक जगबीर बराड़ ने अकाली दल में जाने की अववाहों पर विराम लगाते कहा कि ये सब विपक्ष की उनकी छवि खराब करने की साजिश है। उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव दौरान नकोदर हलका की विलगा सीट पर कांग्रेस ने 22 वर्ष बाद परचम लहराया जिसकी 10 सीटों को जितवाने में मैंने पूरा जोर लगाया। बराड़ ने कहा अगर मुझे अकाली दल में ही जाना होता तो मैं कांग्रेस के लिए मेहनत क्यों करता। उन्होंने कहा कि विरोधियों को उनकी जीत हजम नहीं हो रही इसलिए वे ऐसी अफवाहें फैला रहे हैं।

 

बता दें कैंट विधानसभा हलके में मिली हार व अब नगर निगम चुनावों में सूपड़ा साफ होने के उपरांत अकाली खेमे में खासी उथल-पुथल मची हुई है। अखबारों में छपी खबर अनुसार अकाली दल की सीनियर लॉबी ने सर्बजीत मक्कड़ के फ्लॉप प्रदर्शन को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है, इसी कारण कैंट हलके से कांग्रेस की टिकट के सशक्त दावेदार रहे पूर्व विधायक जगबीर बराड़ पर अकाली दल में पुन: वापसी के लिए डोरे डालने शुरू कर दिए गए हैं। 

 

उल्लेखनीय है कि बराड़ 2007 के विधानसभा चुनावों में अकाली दल की टिकट से चुनाव जीतकर कैंट हलके के विधायक बने थे परंतु अपने कजन व पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल के बादल परिवार के साथ हुए मनमुटाव के दौरान बराड़ ने भी अकाली दल से किनारा कर लिया था। उस दौरान मनप्रीत ने बराड़ व अन्य साथियों के साथ पी.पी.पी. का गठन किया था। 2012 के विधानसभा चुनावों से ऐन पहले बराड़ ने मनप्रीत का साथ छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया था और कांग्रेस ने उन्हें कैंट हलके से टिकट दिया परंतु बराड़ को इन चुनावों में अकाली दल के प्रत्याशी परगट सिंह के हाथों हार का सामना करना पड़ा। बराड़ ने हार न मानते हुए कांग्रेस का झंडा उठाए रखा और कैंट हलके की जनता के साथ लगातार संपर्क कायम रखा। जिला कांग्रेस देहाती की प्रधानगी मिलने के उपरांत बराड़ ने अपना पूरा विजन कैंट हलके पर रखा और 2017 के विधानसभा चुनावों में अपनी टिकट की दावेदारी को प्रमुखता से बनाए रखा था परंतु राजनीति के पहिए ने एक बार फिर से करवट बदली और राजनीतिक लालसा में बराड़ ने जिस भाई का साथ छोड़ा था वही मनप्रीत बादल 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए।

 

मनप्रीत के साथ अकाली दल से बागी हुए पूर्व विधायक परगट सिंह भी कांग्रेस से जुड़े और कांग्रेस ने बराड़ को टिकट देने की बजाय परगट सिंह पर भरोसा जताया। यूं तो बराड़ को कांग्रेस ने उनका हलका बदल कर नकोदर से चुनाव लड़वाया था परंतु बराड़ वहां से कमजोर प्रत्याशी साबित हुए। अब चूंकि कैंट विधानसभा हलके में विधायक परगट सिंह की स्थिति खासी मजबूत बन चुकी है और निगम चुनावों में परगट सिंह ने अपनी मनमर्जी के उम्मीदवारों को टिकटें दिलवाईं और 11 में से 11 वार्डों पर कांग्रेस की जीत दर्ज करवाते हुए अकाली-भाजपा गठबंधन का सूपड़ा साफ करके अपनी राजनीतिक ताकत भी दिखा दी है। अब बदलते समीकरणों में जगबीर बराड़ के लिए कांग्रेस में रहते हुए कैंट हलके की वापसी की राह खासी मुश्किल भरी दिखाई दे रही है और अकाली दल को इस हलके से मक्कड़ के स्थान पर किसी मजबूत चेहरे की तलाश है। इन्हीं हालातों के चलते राजनीतिक दुश्मनी को भूल कर बराड़ व अकाली दल एक होने की कशमकश में जुट गए हैं। इस कशमकश के खत्म होने के उपरांत बराड़ एक बार फिर से कैंट हलके में अकाली दल का 2022 का चेहरा बनकर जनता के सम्मुख आएंगे। अब बराड़ के अकाली दल में शामिल होने की चर्चाओं पर कब अमलीजामा पहनाया जाएगा इसको लेकर उत्सुकताओं का बाजार खासा गर्म है। 

 

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