Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Aug, 2017 07:45 AM
अदालत की फटकार के बाद कमिश्नरेट पुलिस की नींद खुल गई है।
जालंधर(रविंद्र शर्मा): अदालत की फटकार के बाद कमिश्नरेट पुलिस की नींद खुल गई है। छेडख़ानी के मामले में युवती पर हत्या के प्रयास का केस दर्ज करने के बाद उससे कोरे कागजों पर हस्ताक्षर करवाने के मामले में पुलिस कमिश्नर ने गंभीरता दिखाते हुए बस स्टैंड चौकी इंचार्ज गगनदीप सिंह सेखों को लाइन हाजिर कर दिया है।
चौकी इंचार्ज के खिलाफ विभागीय जांच भी खोल दी गई है। अदालत के साथ-साथ अब चौकी इंचार्ज को विभाग को भी स्पष्टीकरण देना होगा कि आखिर किस मकसद से युवती से कोरे कागजों पर हस्ताक्षर करवाए थे। बस स्टैंड चौकी इंचार्ज की कमान अब ए.एस.आई. कमलजीत सिंह के हवाले होगी। गौर हो कि जिस युवती के अपहरण की सूचना से शनिवार को पुलिस तंत्र में हड़कम्प मच गया था उसी युवती के खिलाफ पुलिस ने बाद में हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर लिया था। केस दर्ज कर पुलिस ने युवती को हिरासत में ले लिया था और उससे 10 खाली पेपरों पर हस्ताक्षर भी करवा लिए थे। अदालत में पोल खुलने पर पुलिस की जमकर किरकिरी हुई।
ड्यूटी मैजिस्ट्रेट पुनीत मोहनिया ने पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया था कि पूरे मामले में जांच बिठाई जाए और आरोपी पुलिस मुलाजिमों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। दरअसल शनिवार को किसी ने पुलिस कंट्रोल रूम में एक युवती के अपहरण की सूचना दी थी। सूचना पाकर पुलिस ने बस्ती बावा खेल के राजनगर में छापामारी की थी। बाद में यह पता चला था कि युवती का अपहरण नहीं हुआ था बल्कि इस युवती को लेकर सतलुज चौक के पास दो पक्षों में विवाद हुआ था। यह भी पता चला था कि इस विवाद में राजनगर के एक प्रधान का बेटा भी शामिल था।
यह युवती बटाला की थी और इसका नाम मीनू शर्मा था। बाद में पुलिस ने दोनों पक्षों को राजीनामा के लिए बुलाया था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक इसी राजीनामे के दौरान पुलिस ने इस युवती से भी कई खाली पेपरों पर साइन करवा लिए थे। राजीनामे का ड्रामा रच कर पुलिस ने बाद में इस मामले में हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर लिया था जबकि दोनों पक्षों की ओर से किसी ने भी कोई शिकायत नहीं दी थी। पुलिस ने इस हत्या के प्रयास की धारा में पीड़ित युवती को भी आरोपी बना दिया और उसे गिरफ्तार कर लिया।
रविवार को छुट्टी वाले दिन बस स्टैंड पुलिस चौकी ने युवती को ड्यूटी मैजिस्ट्रेट के पास पेश किया था। पुलिस ने यह कह कर युवती का पुलिस रिमांड मांगा था कि इसके अन्य साथियों को गिरफ्तार करना है, मगर अदालत ने पुलिस रिमांड देने से इंकार करते हुए उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अदालत ने इसके बाद फाइल अपने पास रख ली। सोमवार को अदालत ने जब इस फाइल को देखा तो उसमें 10 के करीब कोरे कागज थे और उन पर युवती के हस्ताक्षर लिए गए थे। अदालत को शक हुआ कि युवती से पुलिस ने जबरन खाली पेपरों पर साइन करवाए थे ताकि बाद में उसका कबूलनामा इस केस में डाला जा सके।
अदालत ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए बस स्टैंड चौकी इंचार्ज व केस के इंवैस्टीगेशन अधिकारी समेत इस केस में शामिल अन्य पुलिस मुलाजिमों के खिलाफ जांच का आदेश दिया था। अदालत की फटकार व आदेशों के बाद पुलिस कमिश्नर पी.के. सिन्हा ने एक्शन लेते हुए बस स्टैंड चौकी इंचार्ज गगनदीप सिंह सेखों को लाइन हाजिर कर दिया।
पहले भी लग चुकी थी गगनदीप को फटकार
कुछ दिन पहले पुलिस ने एक मोहल्ले में बुकियों को पकडऩे के लिए जाल बिछाया था। यह जाल बस स्टैंड चौकी इंचार्ज व थाना इंचार्ज की अगुवाई में था। इस दौरान पकड़े गए रुपयों को लेकर चौकी इंचार्ज की गतिविधियां कुछ संदिग्ध पाई गई थीं जिसकी भनक लगने पर थाना इंचार्ज ने फटकार भी लगाई थी।
थाना 7 इंचार्ज की भी खुल सकती है जांच
बस स्टैंड चौकी शहर में कमिश्नरेट पुलिस के थाना नम्बर 7 के अंतर्गत आती है। ऐसे में बस स्टैंड चौकी में दर्ज होने वाले हर केस की जानकारी थाना इंचार्ज को भी होती है। इस केस की पूरी जानकारी भी उन्हें दी गई होगी और ऐसे में पूरे मामले को लेकर थाना इंचार्ज के खिलाफ भी जांच खुल सकती है।