Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Feb, 2018 10:07 AM
विजीलैंस ब्यूरो पंजाब ने बहु-करोड़ी सिंचाई घपले के संबंध में मुख्य आरोपी ठेकेदार गुरिंद्र सिंह व सेवानिवृत्त इंजीनियरों के खिलाफ एस.ए.एस. नगर की अदालत में चालान दायर किया है। विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि आरोपियों को अदालत में देरी से...
चंडीगढ़ (ब्यूरो): विजीलैंस ब्यूरो पंजाब ने बहु-करोड़ी सिंचाई घपले के संबंध में मुख्य आरोपी ठेकेदार गुरिंद्र सिंह व सेवानिवृत्त इंजीनियरों के खिलाफ एस.ए.एस. नगर की अदालत में चालान दायर किया है। विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि आरोपियों को अदालत में देरी से चालान पेश होने का लाभ लेने से रोकने के उद्देश्य से यह पहला चालान पेश किया गया है।
घोटाले में शामिल कुछ और उच्च सरकारी अधिकारी और प्राइवेट साजिशकर्ताओं की भूमिका संबंधी जांच जारी है और केस से संबंधित सभी आरोपियों के खिलाफ मुकद्दमा अदालत में अनुपूरक चालान बाद में दाखिल किया जाएगा। जिक्रयोग्य है कि विजीलैंस द्वारा कार्यकारी इंजीनियर गुलशन नागपाल, बजरंग लाल सिंगला, मुख्य इंजीनियर (सेवानिवृत्त) परमजीत सिंह घुम्मन, हरविन्द्र सिंह और गुरदेव सिंह सियान पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
पहले चालान में 3 केस शामिल
इस पहले चालान में 3 केस शामिल किए गए हैं, जिसमें 100 करोड़ रुपए की निर्माण लागत वाला शाहपुर कंडी हाइडल डैम, लगभग 15 करोड़ रुपए के निर्माण वाली कंडी नहर और लगभग 25 करोड़ रुपए की लागत वाला होशियारपुर जिला के नारा गांव में एक छोटा डैम शामिल हैं। घोटाले की जांच को मुकम्मल करने के लिए ब्यूरो ने सिंचाई विभाग को पिछले वर्षों में चलाए गए 42 प्रोजैक्टों का विवरण पेश करने को कहा है। ब्यूरो को अब तक सिर्फ 35 प्रोजैक्टों के दस्तावेज ही मिले हैं।
निर्माण में पाई गई खामियां
कंडी नहर के निर्माण में कई कमियां मिली हैं, जिसमें उसकी लागत में विस्तार शामिल है। जिक्रयोग्य है कि शाहपुर कंडी डैम के अभी आने वाले वर्षों में मुकम्मल होने के आसार नहीं हैं परंतु डैम से निकलने वाली कंडी नहर को ठेकेदार की मदद के लिए अधिकारियों ने पहले ही तैयार करवा लिया। प्रवक्ता ने कहा कि जांच के दौरान खेती के कामों के लिए बनाए गांव नारा के डैम के निर्माण में कई कमियां पाई गई हैं, जहां से गुरिंद्र सिंह ने करीब 2 करोड़ रुपए की अतिरिक्त कमाई की। इस ठेकेदार ने मिट्टी उठाने के लिए महकमे से 1 करोड़ की अदायगी तो प्राप्त कर ली परंतु इस डैम के लिए गांव की जमीन में से ही मिट्टी उठाकर पंचायत को मिट्टी के बदले बनते 80 लाख रुपए वापस नहीं किए।
पहाड़ को गिरा कर डैम में किया मिट्टी का प्रयोग
चालान में यह आरोप भी शामिल है कि गुरिंद्र सिंह ने होशियारपुर जिले के गांव नारा में डैम के निर्माण के दौरान साथ लगती सरकारी मलकीयत की एक छोटी पहाड़ी को ही गिराकर डैम में मिट्टी के तौर पर इस्तेमाल कर लिया और महकमे को यह बिल भेजकर बड़ी रकमें प्राप्त कीं कि उसने बहुत दूर से मिट्टी लाकर डैम का निर्माण किया है। इस केस में सिंचाई विभाग ने सारा हिसाब रखने वाली किताबें (एम.बीज) भी नष्ट कर दीं।
अधिकारियों की मिलीभगत
प्रवक्ता ने बताया कि विभाग के अधिकारियों ने मिलीभगत से गुरिंद्र सिंह को ठेके देने के समय पर बहुत से कामों के दौरान पक्षपात किया और कई कामों को जोड़कर मर्जी मुताबिक टैंडर बनाकर एक ही टैंडर देने वाली इस ठेकेदार की अकेली कंपनी को डी.एन.आई.टी. की शर्तों के विपरीत करीब 27 फीसदी अधिक दरों पर कामों के ठेके अलाट किए। इसके अलावा ई-टैंडरों द्वारा अलाट किए कई कामों के ठेके की पड़ताल के दौरान यह पाया गया कि पिछले समय के दौरान एक ही ठेकेदार गुरिंद्र को विभाग के कुल कामों में कीमत मुताबिक 60 प्रतिशत से अधिक काम स्थापित नियमों और हिदायतों की अनदेखी करते हुए अलाट किए थे।
4 करोड़ से 300 करोड़ हो गया सालाना कारोबार
प्रवक्ता ने बताया कि गुरिंद्र ने विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर 7-8 सालों के दौरान करीब 1000 करोड़ रुपए के कामों के ठेके लिए। विजीलैंस को दस्तावेजों की जांच दौरान यह भी पता लगा कि गुरिंद्र का सालाना कारोबार साल 2006-07 के दौरान 4.74 करोड़ रुपए से 2016-17 में करीब 300 करोड़ रुपए हो गया।