Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Dec, 2017 02:56 PM
दुबई से एस.जी.आर.डी. इंटरनैशनल एयरपोर्ट अमृतसर में आई फ्लाइट की सीट के नीचे से 15 किलो सोने के साथ गिरफ्तार किया गया तरनजीत सिंह उर्फ राजू कोई साधारण यात्री नहीं, बल्कि एक अंतर्राष्ट्रीय स्मगलर है, जिसको 20 वर्ष के बाद डी.आर.आई. की टीम ने पकड़ा है।...
अमृतसर(नीरज): दुबई से एस.जी.आर.डी. इंटरनैशनल एयरपोर्ट अमृतसर में आई फ्लाइट की सीट के नीचे से 15 किलो सोने के साथ गिरफ्तार किया गया तरनजीत सिंह उर्फ राजू कोई साधारण यात्री नहीं, बल्कि एक अंतर्राष्ट्रीय स्मगलर है, जिसको 20 वर्ष के बाद डी.आर.आई. की टीम ने पकड़ा है। हालांकि राजू की गिरफ्तारी कोई पहले से तय नहीं, बल्कि अचानक हो गई है।
जानकारी के अनुसार वर्ष 1992 से लेकर 1998 तक के दौर में जब मोबाइल फोन बहुत कम लोगों के पास होते थे और इनकी बहुत डिमांड होती थी, उस समय तरनजीत सिंह उर्फ राजू बाहरी देशों से महंगे मोबाइल लाकर अमृतसर व अन्य जिलों में सप्लाई करता था और काफी मुनाफा कमाता था। लगातार कई बार एयरपोर्ट पर कस्टम विभाग व डी.आर.आई. द्वारा पकड़े जाने के बाद राजू पर विभाग ने कोफे पूसा लगा दिया, ताकि वह किसी अन्य देश में यात्रा न कर सके और पुलिस सहित अन्य सुरक्षा एजैंसियों की भी उस पर नजर रहे, क्योंकि कोफे पूसा का मतलब भी यही होता है कि जिस व्यक्ति पर कोफे पूसा लगाया गया है, वह किसी भी समय देशद्रोह जैसी गतिविधियों में शामिल हो सकता है।
एयरपोर्ट के अन्दर-बाहर सी.सी.टी.वी. कैमरे फिर भी तस्कर निश्चित
सोने की तस्करी के मामले में चाहे दुबई एयरपोर्ट की बात की जाए या फिर एस.जी.आर.डी. एयरपोर्ट अमृतसर की, तो पता चलता है कि दोनों ही इंटरनैशनल एयरपोर्ट हैं और इनके अन्दर व बाहर सी.सी.टी.वी. कैमरे लगे हुए हैं, लेकिन सोने के तस्करों के हौसलें इतने बुलंद हैं कि उनको सी.सी.टी.वी. कैमरों की भी परवाह नहीं है। इतना ही नहीं, एस.जी.आर.डी. एयरपोर्ट पर तो कस्टम विभाग, कस्टम विभाग के एयर इंटैलीजैंस यूनिट के अलावा देश की सभी सुरक्षा एजैंसियों के अधिकारी तैनात हैं, फिर भी सोने की तस्करी करने वालों की इतनी हिम्मत हो गई कि एक-दो किलो नहीं बल्कि 15 किलो सोने की खेप ही सीट के नीचे छुपा दी, जैसे कि किसी बड़े अधिकारी की में छत्रछाया में यह हुआ हो। यह भी तय है कि फ्लाइट खाली होने के बाद ही फ्लाइट के अन्दर जाने वाले किसी न किसी कर्मचारी ने सोने की इस खेप को निकालना था, क्योंकि डी.आर.आई. द्वारा गिरफ्तार तरनजीत सिंह राजू व उसकी पत्नी फ्लाइट से उतरते समय अपने साथ सोने की इतनी बड़ी खेप को नहीं निकाल सकते थे और सभी सुरक्षा एजैंसियों को सरेआम चकमा देना भी उनके लिए संभव नहीं था।
आखिरकार क्यों जब्त नहीं की जाती तस्करों की चल-अचल संपत्ति
चाहे सोने की तस्करी का मामला हो या फिर हैरोइन की तस्करी का, प्राय: देखने में आया है कि सुरक्षा एजैंसियों, जिसमें पुलिस भी शामिल हैं, की तरफ से मोस्ट वांटेड तस्करों की चल-अचल संपति को जब्त करने के लिए कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की जाती है। बहुत कम ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें सुरक्षा एजैंसियों द्वारा किसी बड़े तस्कर की संपत्ति जब्त की गई हो, जबकि सुरक्षा एजैंसियों के पास शक्ति है जिसके जरिए तस्करों की संपत्ति को जब्त किया जा सकता है, यहां तक कि भारत के मोस्ट वांटेंड दाऊद जैसे अपराधी की संपत्ति भी कई वर्षों के बाद जब्त की गई है।
चौक मोनी अमृतसर में रहता था राजू
तरनजीत सिंह उर्फ राजू के बारे में पता चला है कि वह अमृतसर के वॉल्ड सिटी के इलाके चौक मोनी की एक गली में रहता था। तरनजीत सिंह उर्फ राजू कोफे पूसा लगने के बाद दिल्ली चला गया था और दिल्ली के भीड़-भाड़ वाले इलाकों में छुप कर अपना तस्करी का धंधा जारी रखे हुए था। इसी दौरान वह सोने की तस्करी में शामिल हो गया। जब 15 किलो सोने के साथ पकड़ा गया तो सारा राज खुल गया। यह काफी चिंता का विषय है कि कोफे पूसा होल्डर एक तस्कर दुबई कैसे चला गया। क्या जिस एयरपोर्ट के जरिए वह दुबई गया वहां पर उसके पासपोर्ट की कोई चैकिंग नहीं हुई? यह भी संभव है कि राजू किसी अन्य नाम व पासपोर्ट से विदेश गया हो, फिलहाल डी.आर.आई. की टीम इस मामले की गंभीरता के साथ जांच की जा रही है। हर संदिग्ध कर्मचारी को सम्मन देकर जांच में शामिल किया जा रहा है, जिस पर तस्करों की मदद करने का जरा-सा भी शक हो। विभाग पहले ही एयरपोर्ट की सिक्योरिटी, फ्लाइट के क्रू मैंबर्स व अन्य कर्मचारियोंको जांच में शामिल किया जा चुका है। विभाग के लिए इस केस के मास्टरमाइंड को पकडऩा भी एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि यह मामला सिर्फ सोने की तस्करी का ही नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है। यदि दुबई में रहने वाले सोने के तस्कर एक अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट की सीट में सोना छुपा सकते हैं तो वे हथियार भी छुपा सकते हैं। दुबई एयरपोर्ट जो पूरे विश्व में सुरक्षा के लिहाज से काफी सख्त माना जाता है, में कोई व्यक्ति कैसे एक अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट की सीट में एक-दो किलो नहीं, बल्कि 15 किलो सोना छुपा देता है, एक बड़ा रहस्य है, जिसको सुलझाना सुरक्षा एजैंसियों के लिए बहुत ही जरूरी है।