Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Aug, 2017 01:47 AM
केंद्र सरकार द्वारा पंजाब के पड़ोसी राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड के उद्योगों...
जालंधर(धवन): केंद्र सरकार द्वारा पंजाब के पड़ोसी राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड के उद्योगों को 1 जुलाई 2017 से 31 मार्च 2027 तक जी.एस.टी. व आई.जी.एस.टी. में छूट से पंजाब में उद्योग व व्यापार प्रभावित होगा।
पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के प्रधान प्यारे लाल सेठ, महामंत्री सुनील मेहरा, समीर जैन, वित्त सचिव सुदर्शन वधवा तथा सचिव एल.आर. सोढी व महिन्द्र अग्रवाल ने कहा कि जी.एस.टी. बिल जब लोकसभा व राज्यसभा में पास हुआ था तब व्यापारियों के साथ एक देश एक टैक्स का वायदा किया गया था परंतु अब पंजाब के पड़ोसी राज्यों के उद्योगों को जी.एस.टी. में छूट देकर पंजाब को नजरअंदाज किया गया है, जिससे उद्योग व व्यापार बुरी तरह से प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि पंजाब के साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पंजाब के उद्योगों को नजरअंदाज कर रही है तथा यह मामला मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को केंद्र सरकार के सामने उठाना चाहिए। पहले पिछले 10 वर्षों तक पंजाब के उद्योगों का बुरा हाल रहा है तथा उन्हें कोई राहत नहीं दी गई। व्यापार मंडल ने कहा कि अगर पड़ोसी राज्यों को जी.एस.टी. से छूट दी जाती है तो फिर पंजाब में पैदा होने वाला माल महंगा हो जाएगा। पंजाब का व्यापारी काफी समय से बार्डर जिलों के लिए टैक्स में रियायतों की मांग कर रहा है। ऐसे में व्यापारियों के हितों की अनदेखी करने से व्यापार व उद्योग तबाही की तरफ बढ़ेगा। पंजाब में ज्यादातर कच्चा माल बाहर से मंगवाया जाता है तथा उसे प्रोसैस करके देश के दूसरे राज्यों में व्यापारी को बेचने जाना पड़ता है। ऐसे में पड़ोसी राज्यों से महंगे माल की दर पंजाब के व्यापार पर भारी पड़ेगी।
व्यापारी नेताओं संतोष गुप्ता, राधे श्याम आहूजा, ओ.पी. गुप्ता, परमिन्द्र बहल, यश महाजन व निर्मल मल्होत्रा ने मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह से आग्रह किया कि वह पंजाब के उद्योग व व्यापार को राहत प्रदान करें। पंजाब में पहले ही पिछले एक दशक के दौरान 20 हजार औद्योगिक इकाइयां बंद हुईं जबकि 62 हजार पंजीकृत वैट डीलरों ने अपने वैट नंबर सरकार के पास सैरेंडर कर दिए। राज्य में बेरोजगारी बढ़ी है, जिस पर काबू पाना शेष है। उन्होंने कहा कि पंजाब में एक बार फिर बगावती सुर उठ सकते हैं।