अगर वाघा बॉर्डर खुल सकता है तो 46 साल से बंद भारत-पाक हुसैनीवाला बॉर्डर क्यों नहीं?

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Nov, 2017 12:26 PM

indo pak border

आगर वाघा भारत-पाक बॉर्डर खुल सकता है तो पिछले करीब 46 साल से बंद पड़ा हुसैनीवाला भारत-पाक बॉर्डर क्यों नहीं खुल सकता? यह प्रश्र फिरोजपुर के लोगों में आज सबसे बड़ा चर्चा का विषय बना हुआ है और फिरोजपुर के लोग यह बात सोचने के लिए मजबूर हो गए हैं कि...

फिरोजपुर (कुमार): आगर वाघा भारत-पाक बॉर्डर खुल सकता है तो पिछले करीब 46 साल से बंद पड़ा हुसैनीवाला भारत-पाक बॉर्डर क्यों नहीं खुल सकता? यह प्रश्र फिरोजपुर के लोगों में आज सबसे बड़ा चर्चा का विषय बना हुआ है और फिरोजपुर के लोग यह बात सोचने के लिए मजबूर हो गए हैं कि क्या फिरोजपुर को ऐसे कोई भी प्रभावशाली लीडर नहीं मिले जितने प्रभावशाली लीडर अमृतसर के लोगों के पास हैं या फिरोजपुर के लोगों की आवाज दिल्ली तक पहुंच नहीं पाती।

1971 की भारत-पाक जंग से पहले खुशहाल था फिरोजपुर 
1971 की भारत-पाक जंग से पहले जब हुसैनीवाला भारत-पाक बॉर्डर व्यापार के लिए खुला हुआ था तब फिरोजपुर खुशहाल था और भारत से अंगूर पाकिस्तान भेजा जाता था तथा पाकिस्तान से भारत में कई चीजें आती थीं। यह जानकारी देते हुए आढ़ती तिलक राज और जट्ट रिजर्वेशन संघर्ष कमेटी के पंजाब के प्रधान करनैल सिंह भावड़ा ने बताया कि 1971 की भारत-पाक जंग के समय हुसैनीवाला बॉर्डर बंद कर दिया गया था और तब से फिरोजपुर आॢथक तौर पर बुरी तरह से पिछड़ गया है। फिरोजपुर में केन्द्र व पंजाब की सरकारों ने आज तक कोई बड़े उद्योग स्थापित नहीं किए, जिस कारण यहां युवाओं के लिए कोई रोजगार नहीं है और पढ़ाई पूरी करने के बाद युवाओं को रोजगार के लिए देश के अन्य बड़े-बड़े शहरों व विदेशों में जाना पड़ता है।

हुसैनीवाला में आए प्रधानमंत्री मोदी भी इस मुद्दे पर खामोश क्यों रहे
फिरोजपुर के युवा एन.जी.ओ. व आढ़ती तहसील गक्खड़ ने बताया कि प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी हुसैनीवाला बॉर्डर पर आए थे और तब फिरोजपुर के लोगों को एक उम्मीद की किरण नजर आई थी व लोगों को लगता था कि प्रधानमंत्री फिरोजपुर के लोगों को जल्द भारत-पाक हुसैनीवाला बॉर्डर खोलने का भरोसा देंगे, मगर उस समय उन्होंने इस बॉर्डर के मुद्दे को लेकर खामोशी रखी और वह कुछ नहीं बोले। आज भी फिरोजपुर के लोग इस बात को लेकर हैरान हैं कि रेडियो पर मन की बात करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उस समय खामोश क्यों रहे। 

शहीदों के स्मारक होने के कारण हुसैनीवाला बॉर्डर का विशेष महत्व
युवा एन.जी.ओ. शङ्क्षलद्र कुमार और रोटरी क्लब के पूर्व प्रधान व उद्योगपति जङ्क्षनद्र गोयल जुगनू ने कहा कि हुसैनीवाला भारत-पाक बॉर्डर पर शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, शहीद बी.के. दत्त और पंजाब माता के स्मारक हैं, इसलिए हुसैनीवाला बॉर्डर का विश्वभर में विशेष महत्व है। हर साल शहीद भगत सिंह और उनके शहीद साथियों के स्मारकों पर 23 मार्च को राष्ट्रीय स्तर की शहीदी कांफ्रैंस का आयोजन किया जाता है तथा यहां पंजाब व केन्द्र स्तर पर सत्ताधारी सरकारों के नेता आते हैं और शहीदों को श्रद्धांजलि भेंट करते हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को फिरोजपुर में बड़े स्तर पर इन शहीदों की याद में बड़े-बड़े उद्योग स्थापित करने चाहिएं, जिससे शहीदों के स्मारक का उक्त स्थल खुशहाल और आॢथक तौर पर मजबूत हो सके। हुसैनीवाला भारत-पाक बॉर्डर ज्वाइंट चैकपोस्ट पर रोजाना शाम के समय रिट्रीट सैरेमनी होती है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग यहां आते हैं।

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