Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Sep, 2017 09:20 AM
पंजाब में पूरी तरह से पुलिस की पावरगेम चल रही है। पंजाब में सरकार की ओर से इंडियन सॢवस रूल की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
जालंधर (रविंदर शर्मा): पंजाब में पूरी तरह से पुलिस की पावरगेम चल रही है। पंजाब में सरकार की ओर से इंडियन सॢवस रूल की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इंडियन सॢवस रूल की धज्जियां उड़ाते हुए पंजाब सरकार ने राज्य में 10 डी.जी.पी. लगाए हुए हैं। इन 10 डी.जी.पी. रैंक का अतिरिक्त बोझ भी राज्य पर पड़ रहा है और यह राज्य की आॢथक कंगाली में हिस्सेदार बन रहे हैं।
ऊपर से इन सबके पास बेमतलब के पोर्टफोलियो हैं यानी सिर्फ राज्य में डी.जी.पी. पोस्ट की खानापूॢत की जा रही है। अपराध का यह हाल है कि राज्य में कहने को तो 10-10 डी.जी.पी. हैं, मगर अपराधों की संख्या कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रही है। राहत भरी बात यह है कि अभी 20 दिन पहले राज्य में 11 डी.जी.पी. थे, मगर 31 अगस्त को जी.डी. पांडे बतौर डी.जी.पी. रिटायर हो चुके हैं, जबकि पंजाब कैडर के एक डी.जी.पी. रैंक के अधिकारी एस.के. गोयल सैंट्रल डैपुटेशन पर चल रहे हैं। पंजाब पहला ऐसा राज्य है, जहां 10-10 डी.जी.पी. की पोस्ट क्रिएट की गई हैं और राज्य में ए.डी.जी.पी. से ज्यादा डी.जी.पी. हैं।
इंडियन पुलिस सॢवस रूल के हिसाब से पंजाब में डी.जी.पी. के 2 पदों को मंजूरी दी गई है। राज्य सरकार इसके अलावा 2 और डी.जी.पी. रैंक अधिकारियों की नियुक्ति कर सकती है, मगर मौजूदा पंजाब सरकार तो पूरी तरह से डी.जी.पी. रैंक व इंडियन पुलिस सॢवस रूल की धज्जियां उड़ा रही है। यहां दो या चार नहीं बल्कि 10 पद डी.जी.पी. के क्रिएट किए जा चुके हैं, जो सॢवस रूल का भी सीधे तौर पर उल्लंघन है।
वहीं दूसरी तरफ पंजाब सरकार के खजाने पर भी इसका असर पड़ रहा है, क्योंकि डी.जी.पी. रैंक देने से सरकार पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। सैलरी के साथ-साथ इनकी सुरक्षा व्यवस्था व रहने के खर्चे का भी खासा असर राज्य की आॢथक व्यवस्था पर पड़ रहा है। आइए जानते हैं कि अन्य राज्यों में डी.जी.पी. की क्या स्थिति है। पंजाब की तुलना में हरियाणा में 4 डी.जी.पी., हिमाचल प्रदेश में 2, आतंकवाद प्रभावित राज्य जम्मू-कश्मीर में 4, मध्यप्रदेश जैसे बड़े राज्य में 5, महाराष्ट्र में 5 डी.जी.पी. हैं। यही नहीं पंजाब से तीन गुणा ज्यादा बड़े राज्य उत्तर प्रदेश व बिहार में भी डी.जी.पी. रैंक के 8 अधिकारी हैं।
अकेला पंजाब ही ऐसा राज्य है जहां 10-10 डी.जी.पी. काम कर रहे हैं और अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। जबकि पंजाब में ए.डी.जी.पी. की संख्या इनसे कम यानी 9 है। इनमें से 2 डी.जी.पी. 2018 में रिटायर होने जा रहे हैं। इनमें सुमेध सैनी 30 जून, 2018 को और डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा 30 सितम्बर, 2018 में रिटायर होंगे। इन दोनों के रिटायर होने के बाद भी डी.जी.पी. की संख्या तय संख्या से 4 ज्यादा होगी। 2019 में डी.जी.पी. हरदीप सिंह ढिल्लों व जसमिंदर सिंह की रिटायरमैंट है।
अकाली-भाजपा सरकार में पुलिस के विभिन्न विंगों में 8 डी.जी.पी. थे, मगर कांग्रेस सरकार बनते ही प्रदेश में डी.जी.पी. की फौज खड़ी नजर आ रही है। 10-10 डी.जी.पी. रैंक होने के बावजूद प्रदेश भर में अपराधी पुलिस पर भारी पड़ रहे हैं। अनट्रेस मामलों की फाइलों का ढेर लगातार ऊंचा हो रहा है। गैंगस्टरों की संख्या लगातार बढ़ रही है और थानों मेें पुलिस व पब्लिक के बीच का नैटवर्क पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। थानों में अधिकारी स्तर पर कोई तालमेल नहीं है और जनता की थानों में कोई सुनवाई नहीं है। कमिश्ररेट सिस्टम भी महानगरों में पूरी तरह से फ्लाप साबित हुआ है। क्राइम की बात करें तो आज क्राइम कंट्रोल में पंजाब का नंबर 26वां है, जो बेहद शर्मनाक है। क्राइम रेट 129.06 है, जबकि देश में 220.05 है।
डी.जी.पी. रैंक अधिकारी रिटायरमैंट
1. सुरेश अरोड़ा 30 सितम्बर, 2018
2. सुमेध सैनी 30 जून, 2018
3. हरदीप सिंह ढिल्लों 31 मार्च. 2019
4. जसमिंदर सिंह 31 अगस्त, 2019
5. सी.एस.आर. रैड्डी 31 दिसम्बर, 2020
6. मोहम्मद मुस्तफा 28 फरवरी, 2021
7. एस. चट्टोपध्याय 31 मार्च, 2022
8. एम.के. तिवारी 28 फरवरी, 2022
9. दिनकर गुप्ता 31 मार्च, 2024
10. वी.के. भंवरा 31 मई, 2024
ए.डी.जी.पी. रैंक
1. रोहित चौधरी
2. इकबाल प्रीत सहोता
3. संजीव कालरा
4. बी.के. बावा
5. एम.एस. चौहान
6. हरप्रीत सिंह सिद्धू
7. गौरव यादव
8. कुलदीप सिंह
9. आर एस. बराड़