Edited By Updated: 05 Dec, 2016 09:33 AM
वैसे तो रेलवे मंत्रालय लोगों को बुलेट ट्रेन चलाने के सपने दिखा रहा है लेकिन विभाग की अंदरूनी हालत खस्ता नजर आ रही है।
जालंधर (गुलशन) : वैसे तो रेलवे मंत्रालय लोगों को बुलेट ट्रेन चलाने के सपने दिखा रहा है लेकिन विभाग की अंदरूनी हालत खस्ता नजर आ रही है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शताब्दी जैसी वी.आई.पी. ट्रेन में भी अब खस्ता हालत कोच चल रहे हैं। नई दिल्ली से चलकर अमृतसर जाने वाली शताब्दी एक्सप्रैस जब सिटी रेलवे स्टेशन पर पहुंची तो शताब्दी के कोच देखकर लग रहा था कि यह शताब्दी नहीं बल्कि कोई साधारण ट्रेन है क्योंकि कोच के कई शीशे टूटे हुए थे जिन्हें टेपें लगा कर जोड़ा गया था। कोच की बाहरी हालत काफी खस्ता थी। उल्लेखनीय है कि शताब्दी में ज्यादातर बिजनैसमैन, सम्पन्न परिवारों के अलावा विदेशी लोग सफ र करते हैं।
दूसरी ट्रेनों के मुकाबले शताब्दी का किराया भी ज्यादा है। अब फ्लैक्सी किराए की प्रक्रिया शुरू होने के बाद इसका किराया और ज्यादा बढ़ गया है। किराया बढऩे के बावजूद यात्रियों को सुविधाएं न के बराबर मिल रही हैं। ट्रेन में मिलने वाले खाने को लेकर तो अक्सर शिकायतें सुनने को मिलती रहती हैं। इसके अलावा शताब्दी के खस्ता हालत कोचों में कई बार ए.सी. न चलने के कारण हंगामे भी हो चुके हैं लेकिन फि र भी इन कोचों को बदला नहीं जा रहा। इस ट्रेन में विदेशी पर्यटकों को भी कई बार सफ र के दौरान ए.सी. न चलने व अन्य समस्याओं से जूझना पड़ा है जिस कारण भारतीय रेल की छवि विदेशों में भी खराब हो रही है।
पिछले दिनों शताब्दी से संबंधित एक और शिकायत सुनने को मिली, जिसमें यात्री ने कहा कि 2 महीने पहले टिकट बुक करवाने के बावजूद उसे सफ र वाले दिन सीट नहीं मिली। यात्री का कहना था कि उसे सी-कोच में 70 नंबर सीट अलॉट हुई थी लेकिन टी.टी.ई. ने यह कहते हुए सीट देने से मना कर दिया कि वह कोच खराब हो गया था। उसकी जगह पर जो कोच लगाया गया है इसमें केवल 67 ही सीटें हैं। परेशान हुए यात्री ने जालंधर सिटी रेलवे स्टेशन पर डिप्टी एस.एस. के पास शिकायत भी दर्ज करवाई थी। ऐसी घटनाओं के कारण अब लोगों ने ट्रेनों से मुंह मोड़ कर एयरलाइनों की तरफ रुख करना शुरू कर दिया है। पैसेंजरों की कमी के कारण रेलवे को काफी वित्तीय नुक्सान भी हो रहा है।