विदेशी की बजाय भारतीय एजुकेशन को प्राथमिकता देगी सरकार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Aug, 2017 09:58 AM

indian education

भारत में विद्यार्थियों को विदेशी शिक्षा उपलब्ध करवाने के अपने प्लान को रोकते हुए अब सरकार ने विदेशी की बजाय भारतीय शिक्षा पर ही

जालंधर (सुमित): भारत में विद्यार्थियों को विदेशी शिक्षा उपलब्ध करवाने के अपने प्लान को रोकते हुए अब सरकार ने विदेशी की बजाय भारतीय शिक्षा पर ही अधिक जोर देने का फैसला किया है। इसके तहत भारत के ही उच्च गुणवत्ता वाले 20 शिक्षण संस्थानों को वर्ल्ड क्लास स्टैंडर्ड के बनाने के प्रोजैक्ट पर फोकस किया जा रहा है। इससे पहले की बात करें तो पिछले कुछ वर्षों से इस बात पर जोर दिया जा रहा था कि भारत में विदेशी यूनिवर्सिटीज के कोर्स विद्यार्थियों के लिए अधिक से अधिक उपलब्ध करवाए जाएं परन्तु अब इसकी बजाय एन.एच.आर.डी. द्वारा अपने डोमैस्टिक इंस्टीच्यूशन्स को वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटीज के स्तर का बनाने की तरफ जोर दिया जा रहा है।

यहां ऐसा नहीं है कि विदेशी यूनिवर्सिटीयों के कोर्सों को भारत में इंटरड्यूस करने का आइडिया बंद कर दिया है, यह कहा जा रहा है कि सरकार द्वारा अभी अपने इस आइडिया को होल्ड कर दिया गया है। अगर सूत्रों की मानें तो सरकार द्वारा कुछ समय पहले एक प्रोजैक्ट शुरू किया गया था, जिसमें भारत के टॉप इंस्टीच्यूशन्स को वल्र्ड क्लास स्तर के बनाने के लिए अलग से फंड व अन्य सहूलियतें सरकार द्वारा मुहैया करवाई जाएंगी। इन 20 इंस्टीच्यूशन्स में 10 सरकारी व 10 प्राइवेट इंस्टीच्यूट्स को शामिल किया जाएगा। सरकार का इस प्रोजैक्ट को लेकर तर्क था कि अगर उनके टॉप इंस्टीच्यूट अपने एजुकेशन व स्ट्रक्चर के स्तर को विश्व स्तर का बनाएंगे तभी भारतीय इंस्टीच्यूशन्स को वर्ल्ड में अच्छी रैंकिंग मिल पाएगी।

इस प्रोजैक्ट पर काम शुरू भी हो चुका है और एन.एच.आर.डी. द्वारा इस प्रोजैक्ट में पूरी दिलचस्पी भी दिखाई जा रही है, वहीं एक अधिकारी रैंक के सूत्र का कहना था कि इस दौर में भारत की खुद की शिक्षा व्यवस्था इस लैवल पर है कि कई नामवर शिक्षण संस्थानों में पढऩे के लिए विदेशी स्टूडैंट्स भी भारत आ रहे हैं। इस माहौल को देखते हुए हमें अपने देश के ही एजुकेशन स्तर को और सुधारना चाहिए न कि अपने विद्यार्थियों को भी विदेशी यूनिवर्सिटी के कोर्सों में उलझाना चाहिए। दूसरी तरफ अगर शिक्षा जगत से जुड़े माहिर लोगों की इस मुद्दे पर राय को जानें तो उनका भी कहना था कि भारतीय शिक्षा को ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उनमें से कई ने माना कि विदेशी यूनिवर्सिटीज में पढ़ाई का स्तर बेहतर हो सकता है परन्तु इसका मतलब यह नहीं कि हम भारत में उस स्तर की पढ़ाई नहीं करवा सकते। इन सभी माहिरों का कहना था कि भारत के 20 शिक्षा संस्थानों को वल्र्ड क्लास बनाने का फैसला भी सरकार द्वारा ठीक लिया गया है। इससे पढ़ाई के स्तर में सुधार होगा।
 

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