Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Aug, 2017 11:35 AM
हर साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री से लेकर देशभर के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और मंत्रिगण राष्ट्रीय झंडे फहराते हुए बड़ी-बड़ी बातें करते हैं।
फिरोजपुर (कुमार): हर साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री से लेकर देशभर के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और मंत्रिगण राष्ट्रीय झंडे फहराते हुए बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। मगर वे क्या जानें कि इस देश को आजाद करवाने के लिए देश के बंटवारे के समय हमारे देशभक्तों और हिंदुस्तानियों ने क्या-क्या खोया है। आज ऐसे बहुत कम लोग रह गए हैं जिन्होंने 1947 के भारत-पाक बंटवारे के समय हुए कत्लेआम का दृश्य देखा है और जिन्होंने देखा है उनमें से एक हैं फिरोजपुर के रहने वाले सुदेश वर्मा। वह शायरी अंदाज में अपना दर्द बयान करते हुए कहते हैं कि वो जुल्म भी देखा है तारीख की नजरों ने, लम्हों ने खता की थी, सदियों ने सजा पाई है। दुख की बात यह है कि हमारी युवा पीढ़ी को यह सब कुछ बताया नहीं जाता और हमारा देश विकास की राह पर बढऩे की जगह भ्रष्टाचार व गुंडाराज की ओर बढ़ रहा है और जिन शहीदों ने देश की आजादी के लिए अपना बलिदान दिया, उन देशभक्तों के सभी सपने अधूरे रह गए हैं और अंग्रेजों की जगह अब हमारा देश काले अंग्रेजों का गुलाम हो गया है।
हुसैनीवाला भारत-पाक बार्डर पर जाकर पता चलता है कि क्या है देशभक्ति
जब लोग हुसैनीवाला स्थित शहीद भगत सिंह व उनके साथियों के स्मारकों पर जाते हैं और भारत-पाक जीरो लाइन पर रिट्रीट सैरेमनी कार्यक्रम देखते हैं तब उन्हें पता चलता है कि देशभक्ति क्या है और हिंदुस्तान क्या है। यहां आकर लोग अपनी जाति, भाषा और प्रांत को भूल कर यह कहने के लिए मजबूर हो जाते हैं कि हम सब हिंदुस्तानी हैं।
‘बंटवारे ने सब कुछ छीन लिया’
फिरोजपुर शहर की बैंक कालोनी के निवासी सुदेश वर्मा (सेवामुक्त एस.बी.आई. अधिकारी) और रमेश चंद्र वर्मा सरकारी ठेकेदार अमृतसर साहिब ने बताया कि भारत-पाक बंटवारे ने हमारा सब कुछ छीन लिया और आज भी हमारे कानों में हमारे पिता डाक्टर राज कुमार वर्मा, हमारी मां, छोटी-सी बहन और रिश्तेदारों की चीखें गूंजती हैं। बंटवारे के समय हिंदू धर्म को छोड़ कर मुस्लिम धर्म न अपनाने की हमें यह सजा मिली। हमारे सामने ही हमारे पिता का कत्ल कर दिया गया और गांव कुम्हारी वाली तहसील पाक पटन जिला मिंट गुमरी की खून से लथपथ हुई पड़ी हवेलियां, सड़कों पर बिखरी पड़ी लाशें और लोगों को लूटते समय उनके काटे गए हाथ व कान आज भी नजरों के सामने आ जाते हैं और कई-कई दिन खुद को संभाला नहीं जाता। कई बेटियों को हमने बेआबरू होते देखा है।