Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Oct, 2017 01:30 PM
लोगों को हर तरह के प्रदूषण से जूझना पड़ रहा है, लेकिन सबसे खतरनाक वायु प्रदूषण है, जिससे लोगों को कई खतरनाक बीमारियों की चपेट में आना पड़ रहा है। सरकार व जिला प्रशासन के पास इसका कोई भी स्थायी हल नहीं है। आए दिन वायु में प्रदूषण की बढ़ौतरी हो रही है।
कपूरथला (मल्होत्रा): लोगों को हर तरह के प्रदूषण से जूझना पड़ रहा है, लेकिन सबसे खतरनाक वायु प्रदूषण है, जिससे लोगों को कई खतरनाक बीमारियों की चपेट में आना पड़ रहा है। सरकार व जिला प्रशासन के पास इसका कोई भी स्थायी हल नहीं है। आए दिन वायु में प्रदूषण की बढ़ौतरी हो रही है।
वाहनों का प्रदूषण बेहद खतरनाक
कपूरथला में लगातार वाहनों की संख्या बढ़ रही है, जिसमें टू-व्हीलर व थ्री-व्हीलर वाहन अधिक हैं। सड़कों पर चलने वाले वाहन वायु में पूरी तरह से प्रदूषण फैला रहे हैं, जिससे वातावरण दूषित हो रहा है व लोगों को सांस, दमा व फेफड़ों की बीमारियां हो रही हैं।
औद्योगिक इकाइयां वायु में फैला रही प्रदूषण
शहर व आसपास के क्षेत्रों में ईंट-भट्ठा सहित सैंकड़ों छोटी-बड़ी फैक्टरियां हैं जो शहर में पानी व वायु प्रदूषण फैला रही हैं। कुछ फैक्टरियों का गंदा पानी आसपास क्षेत्र के लोगों को बुरी तरह से कई खतरनाक बीमारियों से प्रभावित कर रहा है। लोगों के बार-बार कहने पर भी पंजाब सरकार व जिला प्रशासन द्वारा ऐसी फैक्टरियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। बड़ी-बड़ी फैक्टरियों व ईंट-भट्ठों पर भी सरकारी नियमों के अनुसार पानी व हवा प्रदूषण को रोकने के लिए उपकरण या योग्य प्रबंध नहीं हैं। संबंधित विभाग के अधिकारी केवल खानापूॢत तक ही सीमित हैं।
धान की नाड़ जलाना बेहद खतरनाक
किसानों द्वारा धान की फसल की कटाई के बाद अगली फसल की तैयारी के लिए नाड़ जलाने का सिलसिला लगातार जारी है, जबकि पंजाब सरकार व जिला प्रशासन ने नाड़ जलाने पर रोक लगा रखी है और कानून अनुसार जुर्माना व सजा का प्रावधान भी है। एक अनुमान के अनुसार नाड़ जलाने के बाद उसका धुआं बेहद खतरनाक है। इससे कार्बनमोनोऑक्साइड गैस निकलती है जो मानव शरीर के लिए बेहद खतरनाक है।
जहरीला धुआं खतरनाक बीमारियों का कारण
इस संबंधी जब शहर के जाने-माने सर्जन जे.पी. नॄसग होम के मालिक डा. अतुल रत्न व डा. अमोल रत्न से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि फैक्टरियों, भट्ठों व नाड़ जलाने के बाद निकलने वाला खतरनाक धुआं धुंध में मिलकर स्मोगका रूप धारण कर लेता है जो मानव जीवन के लिए बेहद खतरनाक है।
इससे व्यक्ति को एलर्जी, सांस में परेशानी, फेफड़ों में जकडऩ व छोटे बच्चों को कई तरह की बीमारियां होती हैं। डा. अतुल रत्न ने बताया कि 1952 में यू.के. के मैनचैस्टर में स्मोग का अटैक हुआ था, जिसमें 4 हजार से अधिक लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था व एक लाख के करीब लोग बीमार हुए थे। करीब 5 दिन तक चलने वाला यह स्मोग अटैक काफी खतरनाक था।