Edited By Updated: 28 Feb, 2017 02:15 AM
पंजाब में 2017 का वर्ष चुनावों में ही गुजर जाएगा जिस कारण राज्य में
लुधियाना: पंजाब में 2017 का वर्ष चुनावों में ही गुजर जाएगा जिस कारण राज्य में विकास कार्य प्रभावित होंगे। वर्ष के शुरू में विधानसभा चुनाव होने के कारण राज्य में चुनाव आचार संहिता नव वर्ष में ही लग गई थी। गत 4 फरवरी को 16वीं विधानसभा के लिए चुनाव हुए थे जिनके नतीजे 11 मार्च को आएंगे व 15 मार्च तक पंजाब में नई सरकार कार्यभार संभालेगी।
परंतु नई सरकार बनने के बाद राज्य के कई हिस्सों में उपचुनावों भी होंगे। इसका मुख्य कारण यह है कि कई मौजूदा सांसद भी विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। संगरूर से आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद भगवंत मान पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के विरुद्ध जलालाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं। यदि वह सुखबीर बादल को हरा कर जलालाबाद विधानसभा का चुनाव जीतते हैं तो वह संगरूर की लोकसभा सीट से इस्तीफा दे देंगे जिस कारण संगरूर लोकसभा पर फिर से उपचुनाव होगा व राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू हो जाएगी। इसी प्रकार लुधियाना से सांसद रवनीत बिट्टू भी जलालाबाद से सुखबीर बादल व भगवंत मान के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, यदि वह जीत जाते हैं तो वह भी लुधियाना लोकसभा सीट से इस्तीफा दे देंगे व लुधियाना में फिर से उपचुनाव होगा।
इसी प्रकार कैप्टन अमरेन्द्र सिंह पटियाला व लंबी (मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के मुकाबले) से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं, यदि वह दोनों सीटों पर जीत जाते हैं तो उनको एक सीट छोडऩी होगी जिसके चलते कैप्टन द्वारा छोड़ी गई सीट पर फिर से चुनाव होगा। इतना ही नहीं, ‘आप’ की टिकट पर लंबी से ही प्रकाश सिंह बादल व कैप्टन अमरेंद्र के खिलाफ दिल्ली करोल बाग विधानसभा क्षेत्र से ‘आप’ के विधायक जरनैल सिंह भी चुनाव लड़ रहे हैं, अगर वह लंबी विधानसभा सीट से बादल और कैप्टन को हरा कर चुनाव जीतते हैं तो उनको भी दिल्ली करोल बाग विधानसभा सीट से इस्तीफा देना होगा और वहां पर भी दोबारा चुनाव करवाए जाएंगे।
4 नगर निगमों में भी हैं चुनाव
इसके साथ-साथ जुलाई के महीने में जालंधर, अमृतसर, लुधियाना, पटियाला में भी नगर निगम के चुनाव होने हैं। नगर निगम के चुनाव होने पर फिर से चुनाव आचार संहिता लग जाएगी व राज्य में विकास कार्य ठप्प हो जाएंगे इसलिए 2017 का वर्ष चुनावों में ही बीत जाएगा व राज्य में विकास कार्य रुक जाएंगे।