करोड़ों के घपले के बाद सिद्धू हुए हैरान,ट्रस्ट का हर क्लर्क करोड़ों की संपत्ति का मालिक

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Sep, 2017 10:56 AM

improvement trust scam

: निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि उन्हें जानकारियां मिल रही हैं कि ट्रस्ट कार्यालयों में तैनात एक-एक क्लर्क करोड़ों की संपत्ति का मालिक है, इस लिए अगर इन सभी की प्रॉपर्टी की जांच करवाई जाए, तो बहुत कुछ सामने आ सकता है। उन्होंने कहा कि...

अमृतसर(महेन्द्र): निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि उन्हें जानकारियां मिल रही हैं कि ट्रस्ट कार्यालयों में तैनात एक-एक क्लर्क करोड़ों की संपत्ति का मालिक है, इस लिए अगर इन सभी की प्रॉपर्टी की जांच करवाई जाए, तो बहुत कुछ सामने आ सकता है। उन्होंने कहा कि करोड़ों के इस घोटाले की जांच अब पुलिस के हवाले की जा चुकी है और अगली जांच रिपोर्ट आने के पश्चात भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों की प्रॉपर्टी की भी जांच करवाई जाएगी।

सिद्धू ने कहा कि कितने हैरत की बात है कि जनता और हम सभी सी.एल.यू. के इर्द-गिर्द ही घूमते रहे और ये लोग करोड़ों के ऐसे बड़े घोटाले करते रहे। करोड़ों की एफ.डी.आर. आफिस में जमा करवा कर फरार हो चुका है अकाऊंट क्लर्क सतनाम सिंह ज्यों ही ट्रस्ट कार्यालय के अकाऊंट विभाग में तैनात क्लर्क सतनाम सिंह को भनक लगी कि करोड़ों के हुए घोटाले में वह खुद भी काबू आ सकता है, तो वह करोड़ों की कुछ एफ.डी.आर. जो कि ट्रस्ट के नाम पर थीं, ट्रस्ट कार्यालय में जमा करवा कर कुछ दिनों पहले वहां से फरार हो गया था। सी.वी.ओ. की जांच रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि अकाऊंट क्लर्क के नाम पर भी चैकों के जरिए लाखों के लेन-देन होते रहे हैं इस लिए करोड़ों के इस घोटाले में उसकी भी संलिप्तता साफ दिखाई दे रही है।  

सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट में हुए घपले का किया खुलासा 
सिद्धू ने बातों-बातों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट के मुद्दे पर कहा कि वह इस प्रोजैक्ट को सामने ले कर सामने आए थे, लेकिन अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के कार्यकाल के दौरान इस प्रोजैक्ट को जिस तरह से लागू किया गया था, उसमें भी भ्रष्टाचार साफ-साफ दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें सब मालूम है कि किस तरह से एक कंपनी इस प्रोजैक्ट को 1800 करोड़ रुपए में लेती है और वह आगे किसी अन्य कंपनी के पास 1400 करोड़ में बेच देती है और इसी तरह वह आगे 1100 करोड़ में और उसके पश्चात इस प्रोजैक्ट को चौथे हाथ 700 करोड़ में बेचा जा चुका है। यह भ्रष्टाचार नहीं है, तो फिर क्या है?

एच.डी.एफ.सी. बैंक के वाइस प्रैजीडैंट ने रखा अपना पक्ष
ट्रस्ट के करोड़ों के घोटाले को लेकर एच.डी.एफ.सी. बैंक की स्थानीय ग्रीन एवेन्यू शाखा का नाम भी उछला था जिस पर कार्पोरेट कम्युनिकेशन्स एच.डी.एफ.सी. बैंक के वाइस प्रैजीडैंट राजीव बैनर्जी ने बैंक की तरफ से अपना पक्ष भेजते हुए कहा कि बैंक द्वारा नियमों के तहत निर्धारित आवश्यक बैंकिंग प्रथाओं का पालन किया गया है। बैंक ने मामले से संबंधित सभी प्रकार के दस्तावेज संबंधित अधिकारियों के पास जमा करवा दिए हैं। बैंक आगे भी इस मामले की जांच कर रहे अधिकारियों को अपना संपूर्ण सहयोग जारी रखेगा। 

सरकारी आडिटर ने लगाए थे 631 एतराज पर सी.ए. संजय कपूर ने नहीं की जांच
सिद्धू ने कहा कि सरकारी आडिटर ने हालांकि ट्रस्ट कार्यालय द्वारा किए गए विभिन्न प्रकार के कार्यों को लेकर 631 एतराज लगाए थे, लेकिन आर.एस.एस. व भाजपा से जुड़े ट्रस्ट कार्यालय के सी.ए. संजय कपूर ने इन घोटालों की कभी कोई जांच ही नहीं की। सिद्धू ने कहा कि यह घोटाला स्थानीय ट्रस्ट कार्यालय का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला हो सकता है। 
 
भाजपा से जुड़े होने को लेकर उठने लगे कई सवाल
स्थानीय नगर सुधार ट्रस्ट में हुए करोड़ों के घोटाले को लेकर ‘पंजाब केसरी’ ने पहले ही सी.ए. संजय कपूर की भूमिका को संदिग्ध बताया था। अब जब घोटाले को लेकर दर्ज एफ.आई.आर. में उनका नाम भी शामिल हो चुका है, उसे देख भाजपा हाईकमान पर भी कई प्रकार के सवाल उठने लगे हैं कि आखिर करोड़ों को होते रहे घोटालों का पर्दाफाश करने की बजाए उस पर पर्दा डाले रखने वाले सी.ए. संजय कपूर के भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरैंस की बात करने वाली भाजपा हाईकमान ने इतने बड़े-बड़े पद क्या सोच कर उसे दिए थे। 

बड़े-बड़े महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहा 
जानकारी के अनुसार संजय कपूर इस समय स्थानीय इंकम टैक्स बार के प्रधान भी बताए जा रहे हैं। इसके अलावा भाजपा हाईकमान ने उन्हें भाजपा राष्ट्रीय सी.ए. सैल का कन्वीनर बनाने के साथ-साथ ओरिएंटल बैंक आफ कॉमर्स का राष्ट्रीय स्तर का डायरैक्टर भी मनोनीत करवाया था, पंजाब के सभी ट्रस्ट कार्यालयों का सारा आडिट पिछले कई वर्षों से संयज ही देखते चले आ रहे हैं। यही नहीं, संजय कपूर अंदरून शहर की वार्ड नंबर 46 से पार्षद का चुनाव भी लड़ चुके हैं जिसमें उन्हें पराजय का ही सामना करना पड़ा था।

इन गुप्त बैंक खातों में बड़ी-बड़ी राशि वाली कुछ एफ.डी.आर. भी जमा करवाई गई थीं जिनकी मैच्योरिटी पर उसका ब्याज ट्रस्ट कार्यालय के खाते में आने के साथ-साथ उस पर टी.डी.एस. भी लगता रहा है, जो कि आयकर विभाग की ऑनलाइन में उपलब्ध होता रहा है, लेकिन कितने हैरत की बात है कि ट्रस्ट के इस बैंक खाते में एफ.डी.आर. पर मिलने वाले ब्याज संबंधी आयकर विभाग के ऑनलाइन रिकार्ड में सारी जानकारी उपलब्ध होने के बावजूद संबंधित सी.ए. संजय कपूर का ध्यान इस पर क्यों नहीं गया और उन्हें इस बैंक खाते का पता क्यों नहीं चला? इन सभी बातों को लेकर उनकी भूमिका पहले चरण में जहां संदिग्ध दिखाई दे रही थी, उसकी पड़ताल करने के पश्चात  संजय के खिलाफ कई प्रकार की कोताहियां सामने आई हैं जिसे जांच एजैंसी मिलीभगत मान रही है। 

शनिवार को बड़े ठाठ-बाठ से खन्ना स्मारक पहुंचा था 
रविवार को ज्यों ही सिद्धू ने ट्रस्ट अधिकारियों के साथ-साथ भाजपा व संघ से जुड़े सी.ए. संजय कपूर के खिलाफ करोड़ों के घोटाले में एफ.आई.आर. दर्ज करवाने का खुलासा किया, तो यह खबर सारे शहर में आग की तरह फैल गई। इस बात का पता चलते ही भाजपा नेताओं एवं पार्टी कार्यकत्र्ताओं द्वारा यह कहा जा रहा था कि अभी एक दिन पहले शनिवार को जब भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी स्थानीय खन्ना स्मारक में आए थे, तो वहां पर सी.ए. संजय कपूर भी बड़े ही ठाठ-बाठ से पहुंचे हुए थे। जो वहां पर बिना किसी खौफ व ङ्क्षचता के हंसी-मजाक के मूड में सभी से बातें कर रहे थे लेकिन अब उनका नाम भी करोड़ों के घोटाले में सामने आ गया है और इस मामले में उन्हें भी नामजद कर लिया गया है, तो वह भी अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए कानूनी दावपेंच खेलते हुए अपनी अग्रिम जमानत करवाने का प्रयास करते हुए भूमिगत हो सकते हैं। 

दमन भल्ला के पश्चात अब अन्य प्रमुख आरोपी भी हो सकते हैं भूमिगत
स्थानीय इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट कार्यालय में हुए करोड़ों के घोटाले को लेकर विभाग के अधिकारी घोटाले में संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करवाने में आनाकानी करते रहे जिसके फलस्वरूप प्रमुख आरोपी डी.सी.एफ.ए. दमन भल्ला फरार होने में कामयाब हुआ है। अब अगर घोटाले में संलिप्त आरोपियों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज कर ही ली गई है, तो उसमें पुलिस ने अभी तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तार करने की चेष्टा तक नहीं की है जिससे घोटाले में संलिप्त अन्य प्रमुख आरोपी भी भूमिगत हो सकते हैं। सिद्धू द्वारा स्थानीय बचत भवन में आयोजित की गई प्रैस कॉन्फ्रैंस के दौरान जब पुलिस कमिश्नर एस. श्रीवास्तव से यह पूछा गया कि क्या इस मामले में किसी आरोपी की कोई गिरफ्तारी की गई है, तो उन्होंने कहा कि अभी किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की गई है। 

बड़े-बड़े अधिकारी दमन भल्ला पर करते थे आंखें मूंद कर विश्वास
सुॢखयों में चल रहे करोड़ों के घोटाले को लेकर ये बातें भी सामने आई हैं कि डी.सी.एफ.ए. दमन भल्ला ने ट्रस्ट के सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों में इतना विश्वास बना रखा था कि हर कोई उस पर आंखें मूंद कर विश्वास करता था। ब्लैंक चैक्स व महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर हस्ताक्षर तक कर दिया करते थे। हालांकि वे किसी भी प्रकार के घोटाले में शामिल भी नहीं थे। यही कारण है कि दमन भल्ला पर हद से ४यादा विश्वास करना ट्रस्ट कार्यालय से जुड़े रहे ई.ओज अरविंद शर्मा, परमजीत सिंह, डी.सी. गर्ग तथा महिला अकाऊंट अफसर टीना वोहरा को काफी महंगा पड़ा है क्योंकि विवादित बैंक खातों से संबंधित कुछ चैक्स पर उनके द्वारा किए गए हस्ताक्षरों के जरिए जो रुपए निकलवाए गए थे, उस कारण इन सभी के नाम भी आरोपियों के तौर पर दर्ज हो गए हैं। 

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