Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 May, 2017 01:08 AM
सुखना लेक को लेकर सुखना कैचमैंट एरिया में कंस्ट्रक्शन गतिविधियों पर 5 साल पहले पंजाब....
चंडीगढ़(बृजेन्द्र): सुखना लेक को लेकर सुखना कैचमैंट एरिया में कंस्ट्रक्शन गतिविधियों पर 5 साल पहले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा रोक लगा दी गई थी। इसके बाद शनिवार को जस्टिस राजन गुप्ता ने केस की सुनवाई के दौरान इस बात पर जोर दिया कि यदि प्रशासन द्वारा हाईकोर्ट के उन आदेशों की व्यापक स्तर पर पब्लिसिटी नहीं करने की बात सामने आती है तो हाईकोर्ट उन लोगों को मुआवजा प्रदान किए जाने के लिए यू.टी. प्रशासन के उत्तरदायित्व पर विचार करेगा जिन्होंने कैचमैंट एरिया में कंस्ट्रक्शंस की थीं।
कोर्ट इस निष्कर्ष पर भी पहुंचा कि यदि यू.टी. ने कोर्ट के आदेशों को व्यापक स्तर पर पब्लिश नहीं किया हुआ तो इस बात पर भी विचार किया जाएगा कि क्या यू.टी. को ऐसे किसी भी व्यक्ति को मुआवजा देना आवश्यक होगा जिसने 14 मई, 2012 के आदेशों के बाद कंस्ट्रक्शन की। हाईकोर्ट के ये आदेश तब अहम हो जाते हैं जब मामले में पंजाब सरकार के लोकल बॉडीज के स्पैशल सैक्रेटरी के.के. यादव ने निर्देश लेने के बाद कहा था कि एरिया में निरीक्षण के बाद यहां 80 के करीब गैर-कानूनी कंस्ट्रक्शंस चिन्हित की गई थीं।
सरकारी काऊंसिल ने हाईकोर्ट को बताया कि संबंधित लोगों को नोटिस जारी कर दिया गया है और कोर्ट के आदेशों अनुसार एक्शन लिया जाएगा। जिसे लेकर पालना रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाएगी। वहीं मामले में एमिक्स क्यूरी के राजदीप सिंह चीमा ने कहा कि हाईकोर्ट के उन आदेशों की वास्तविकता से पालना नहीं हुई।