Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Oct, 2017 11:35 AM
नगर निगम के एम.टी.पी. विभाग की मनमर्जियों को लेकर हमेशा ही कार्रवाइयां कागजों तक सिमटी रहीं, नतीजा अधिकारी बेलगाम हो गए हैं। हमेशा ही निगम के हाऊस या बजट की मीटिंग में अवैध बिल्डिंगें पार्षदों के निशाने पर रही हैं लेकिन आज तक चुनिंदा जगहों पर...
अमृतसर(रमन): नगर निगम के एम.टी.पी. विभाग की मनमर्जियों को लेकर हमेशा ही कार्रवाइयां कागजों तक सिमटी रहीं, नतीजा अधिकारी बेलगाम हो गए हैं। हमेशा ही निगम के हाऊस या बजट की मीटिंग में अवैध बिल्डिंगें पार्षदों के निशाने पर रही हैं लेकिन आज तक चुनिंदा जगहों पर कार्रवाई करना विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा करती है।
जब से नए कमिश्नर अमित कुमार आए हैं, तब से उनके द्वारा विभाग पर सख्ती तो की गई है। 13 अक्तूबर को विभाग ने कमिश्नर द्वारा 3 बिल्डिंगों को नोटिस निकलवाए थे, लेकिन 13 दिन बीत जाने के बाद कुछ नहीं किया गया, जिससे विभाग की कार्यप्रणाली साफ नजर आती है। आगे जाकर इस पर कितना अमल होता है यह आने वाला समय बताएगा।
किसी समय निगम का ‘कमाऊपूत’ रहा एम.टी.पी. विभाग आजकल नेताओं की कठपुतली बनकर रह गया है। बुधवार को जब ज्वाइंट कमिश्नर सौरभ अरोड़ा द्वारा एस.टी.पी. तेजप्रीत सिंह को बिल्डिंग के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनके पास 16 बिल्डिंगों की शिकायत आई थी, उसमें से उन्होंने 3 को नोटिस भेजे हैं व तीन-चार को नोटिस आज भेजे जाएंगे, जिससे अरोड़ा ने एस.टी.पी. को हिदायतें दी की शहर में किसी भी प्रकार अवैध निर्माण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
नहीं दिख रहे शहर में हो रहे निर्माण
निगम का बिल्डिंग विभाग आने वाले समय में कमाऊपूत बन सकता है। विभाग से लाखों की मासिक आय हो सकती है, लेकिन विडंबना रही है कि रिकवरी के प्रति यह गंभीर नहीं है। शहर में बिना नक्शे के अभी भी निर्माणों की रफ्तार थम नहीं रही, लेकिन विभागीय इंस्पैक्टरों को शायद यह दिखाई नहीं दे रहे हैं, जिसका सीधा असर निगम की आय पर पड़ रहा है।
मलाईदार सीट है, नहीं छोड़ेंगे राजनीतिक
शहर पर विभाग में चल रही घालमेल का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इंस्पैक्ट ही नहीं विभाग के क्लर्क तक सालों से एक सीट पर कब्जा जमाए बैठे हैं। उन्हें पूछने की हिम्मत तक किसी में नहीं है। विभागीय नियम के मुताबिक पब्लिक सीट पर कोई कर्मचारी 3 साल से ज्यादा नहीं ठहर सकता।
गलियारे के पास मिलीभगत से बन रहे अवैध निर्माण
हाईकोर्ट की पाबंदी के बावजूद गलियारे के आस-पास एवं अंदरूनी शहर में अवैध कमॢशयल निर्माण हुए जा रहे हैं, जिससे साफ नजर आता है कि ये अवैध निर्माण अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहे हैं। कागजों में खानापूर्ति के लिए इन बिल्डिंगों को नोटिस भी निकाले जाते हैं। कुछ माह पहले शहर में एक बिल्डिंग के निर्माण को लेकर एस.टी.पी. से एम.टी.पी. एवं स्टाफ के ऊपर कार्रवाई हो चुकी है व 2012 तक हुए अवैध निर्माणों को लेकर 33 अधिकारी चार्जशीट हो चुके हैं, लेकिन बिना खौफ के निर्माण आज भी वैसे जारी हैं। हालांकि आए दिन निगम में शिकायतें, आर.टी.आई. एवं हाईकोर्ट में रिट डल रही हैं, पर फिर भी निर्माण वैसे के वैसे हो रहे हैं।