अगर आप भी चिकन खाने के शौंकीन हैं तो हो जाएं सावधान

Edited By Updated: 26 Apr, 2017 12:01 PM

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अगर आप भी चिकन खाने के शौकीन हैं तो यह खबर आपके लिए अहम हो सकती है। दरअसल, मोटे-ताजे मुर्गे परोसने के लिए पोल्ट्री फार्म प्रतिबंधित दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं

चंडीगढ़ः अगर आप भी चिकन खाने के शौकीन हैं तो यह खबर आपके लिए अहम हो सकती है। दरअसल, मोटे-ताजे मुर्गे परोसने के लिए पोल्ट्री फार्म प्रतिबंधित दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं ,जिससे नॉनवेज के शौकीन लोगों की सेहत बिगड़ सकती है। कमजोर और छोटे मुर्गों को न्यूट्रिशन से परिपूर्ण आहार परोसने के बजाय ग्रोथ एंटीबायोटिक दिए जा रहे हैं। पी.जी.आई. एक्सपर्ट्स की टीम ने 2 सालों के दौरान पंचकूला, बरवाला, मोरिंडा, कुराली में बने 14 पोल्ट्री फार्म्स का औचक निरीक्षण किया। इस रिपोर्ट को पी.जी.आई. के मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमैंट ने वर्ल्ड हैल्थ आर्गेनाइजेशन को सौंपा है। 

मिक्सचर में परोस दी जाती है ग्रोथ एंटीबायोटिक 
रिपोर्ट के अनुसार ये ऐसे एंटीबायोटिक हैं, जो लोगों के पेट में मौजूद गुड बैक्टीरिया को सिर्फ खत्म करने के साथ-साथ बीमारी को ठीक करने वाली दवाओं को भी बेअसर कर देते है। यह भी बताया गया है कि पोल्ट्री फार्म के केयर टेकर्स मुर्गों को खाने के लिए खास किस्म का मिक्सचर देते है, जिसके साथ ही  ग्रोथ एंटीबायोटिक दवाएं डाल दी जाती हैं। कोलिस्टिन ऐसी दवा है, जिसके इस्तेमाल के बाद दूसरी कोई एंटीबायोटिक दवा शरीर पर असर ही नहीं करती।

मुर्गों में मिला साल्मोनेला  इंफेक्शन
मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट की एक्सपर्ट ने बताया कि पोल्ट्री में रखे मुर्गों में से 30 प्रतिशत की इंटेस्टाइन में साल्मोनेला इंफेक्शन मिला है। छोटी सी जगह जिसमें बड़ी मुश्किल 4 मुर्गे रखे जाने चाहिए, वहां एकसाथ 12 मुर्गों को रखा गया है। इस कारण मुर्गों में इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इंफेक्शन होने के बाद मुर्गों के बैक्टीरिया एक-दूसरे के जीन्स को भी बदल लेते हैं और उसके बाद इनकी वजह से नॉन वेजीटेरियन के शरीर में घुसने वाले बैक्टीरिया का इलाज नामुमकिन हो जाता है। वहीं पोल्ट्री फार्म मालिकों का कहना है कि साल्मोनेला इंफेक्शन जो गंदगी की वजह से एक मुर्गे से दूसरे में बड़ी तेजी से फैलता है और मुर्गीखाने के सारे मुर्गों को चपेट में ले लेता है। इसलिए यह बीमारी दूर करने के लिए लेवोफ्लेक्सिन, टेट्रासाइक्लिन,नियोमाइसिन, अमीकासीन, एमोक्सीलिन, परफलोक्सीन के साथ प्रतिबंधित कोलिस्टिन दवा भी दी जा रही है। 


 

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