पुलिस अगर सुनवाई करती तो न मरता किसी का बेटा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Nov, 2017 01:04 AM

if the police listens then no one dies son

अगर पुलिस ने उनकी सुवाई कर काली एजैंट के खिलाफ कार्रवाई की होती जो आज जलालपुर निवासी युवक के साथ ऐसा हादसा न होता। यह बात मंसूरपुर निवासी उसी महिला गुरमीत कौर ने कही जिसके बेटे को भी गांव जलालपुर के ....

टांडा उड़मुड़(पंडित): अगर पुलिस ने उनकी सुनवाई कर काली एजैंट के खिलाफ कार्रवाई की होती तो आज जलालपुर निवासी युवक के साथ ऐसा हादसा न होता। यह बात मंसूरपुर निवासी उसी महिला गुरमीत कौर ने कही जिसके बेटे को भी गांव जलालपुर के एजैंट काली ने 4 साल पहले अमरीका भेजने की बजाए ईरान भेज दिया था। उसके युवा बेटे जसप्रीत सिंह का आज तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है।

टांडा के गांव जलालपुर निवासी तरलोचन सिंह और मंजीत कौर के युवा बेटे गुरप्रीत सिंह की पनामा के पास हुई मौत के बाद ट्रैवल एजैंटों के खिलाफ कार्रवाई की बात मुखर हो गई है। एजैंट काली ने ही अन्य एजैंट शिंदा के साथ मिलकर मुकेरियां के मंसूरपुर निवासी जसप्रीत सिंह पुत्र सुरजीत सिंह को दिसम्बर 2012 को अमरीका भेजने की बजाय ईरान छोड़ दिया था जिसके बाद आज तक जसप्रीत का कोई सुराग नहीं है। 

 

जलालपुर के युवक गुरप्रीत के साथ हुए हादसे के बाद एजैंट काली के खिलाफ पंचायत लेकर आई जसप्रीत की मां गुरमीत कौर ने अपना दर्द बयान करते हुए कहा कि अपने बेटे के गायब होने के बाद उसने मुकेरियां टांडा पुलिस के पास पिछले समय में कई बार एजैंट काली के खिलाफ कार्रवाई की मांग की और अपने बेटे का पता लगाने की गुहार लगाई पर उनकी किसी ने सुनवाई नहीं की। उसने कहा कि अगर कोई कार्रवाई होती तो किसी के घर का चिराग न बुझता।

 

बेट के लगभग हरेक गांव में फैला है सब-एजैंटों का जाल 
नौजवानों को अमरीका और यूरोप के देशों में गैर-कानूनी तरीके से भेजने के लिए बेगोवाल से मुकेेरियां के बेट इलाके में सब-एजैंटों का जाल फैला हुआ है। हर गांव में सब-एजैंट हैं जो दिल्ली या विदेश में बैठे एजैंटों के सम्पर्क में हैं और 25 से लेकर 30 लाख में सौदा तय कर नौजवानों को मैक्सिको, पनामा इत्यादि देशों के बॉर्डर, जंगल, समुद्र व नहरों से पार करवा अमरीका दाखिल करवाते हैं।


लोग खुद फंसते हैं एजैंटों के चक्कर में
अपने बच्चों को विदेश भेजने की भेड़चाल में खुद लोग एजैंटों के साथ सौदा तय करते हैं। जिले में एजैंटों पर ठगी के मामले किसी के बेटे के विदेश न पहुंचने पर ही दाखिल करवाए जाते हैं जबकि इससे पहले खतरों के बारे में सबकुछ मालूम होने के बावजूद लोग लगातार रिस्क ले रहे हैं। गांव के पूर्व सरपंच सुरिन्द्र सिंह ने बताया कि उक्त एजैंट के खिलाफ मंसूरपुर के अलावा तलवंडी डड्डियां से भी पंचायतें आई हैं।

 

लोग ज्यादा जिम्मेदार 
1996 में हुए माल्टा कांड त्रासदी की पैरवी करने वाले बुजुर्ग बलवंत सिंह खेड़ा ने इस बुरे ट्रैंड के लिए ठग नकली एजैंटों से भी ज्यादा लोगों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि हो चुके कई हादसों की जानकारी के बावजूद जो बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों को खतेर में भेजते हैं वे खुद कसूरवार हैं। उन्होंने इस बुरे प्रचलन के लिए माल्टा कांड का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें इस बात का मलाल और गुस्सा है। माल्टा कांड में जिन लगभग 200 लोगों ने मौत को नजदीक से देखा उनमें से ज्यादातर फिर कोई न कोई खतरा लेकर विदेश नाजायज तरीके से चले गए हैं।

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