Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 May, 2017 12:22 PM
इंडियन सर्टीफिकेट ऑफ सैकेंडरी एजुकेशन (आई.सी.एस.ई.) की कक्षा 10वीं और इंडियन स्कूल आफ सर्टीफिकेट (आई.एस.सी.) की 12वीं कक्षा का परिणाम घोषित हुआ, जिसके तहत 10वीं की परीक्षा में सेंट जोसेफ गल्र्स स्कूल की छात्रा रवलीन.....
जालंधर (विनीत जोशी): इंडियन सर्टीफिकेट ऑफ सैकेंडरी एजुकेशन (आई.सी.एस.ई.) की कक्षा 10वीं और इंडियन स्कूल आफ सर्टीफिकेट (आई.एस.सी.) की 12वीं कक्षा का परिणाम घोषित हुआ, जिसके तहत 10वीं की परीक्षा में सेंट जोसेफ गल्र्स स्कूल की छात्रा रवलीन कौर चीमा ने 97.8 फीसदी अंक हासिल करके जिले भर में टॉप किया, इसके अलावा इसी स्कूल की साची जुनेजा ने 97.2 फीसदी अंक लेकर जिले में दूसरा, सेंट जोसेफ गल्र्स स्कूल की तानिया मल्होत्रा ने 97 फीसदी अंक लेकर तीसरा और सेंट जोसेफ ब्वायज स्कूल के वैभव मक्कड़ व रमन अरोड़ा ने 96.8 फीसदी अंक प्राप्त करके महानगर में चौथा स्थान हासिल किया। घोषित हुए दोनों रिजल्ट्स में सेंट जोसेफ कान्वैंट स्कूल और सेंट जोसेफ गल्र्स स्कूल के स्टूडैंट्स ने उच्च पोजीशनें हासिल करके स्कूल का नाम रौशन किया है।
‘हमेशा अपनी ‘प्रायोरिटी’ पढ़ाई को बनाया’
मुझे शुरू से ही पढऩे का बहुत शौक रहा है। मम्मी रमिन्द्र कौर व पापा रजिन्द्र सिंह ने मुझे हमेशा पढ़ाई में काफी सपोर्ट किया। मैंने एक्सपैक्ट 99 फीसदी नंबर किए थे पर मेरे 97.8 फीसदी अंक आए हैं जिसे पाकर भी मैं बहुत खुश हूं। मैं भविष्य में सिविल सॢवसिज में जाकर देशसेवा करना चाहती हूं। मैंने पेपरों की कोई अलग से खास ढंग से तैयारी नहीं की, बस स्कूल में टीचर्स ने जो पढ़ाया उसे अच्छे से पढ़ा, घर आकर रिवाइज किया और हमेशा ही अपनी पहली जरूरत (प्रायोरिटी) पढ़ाई को ही बनाया। मोबाइल में मेरा शुरू से ही इंट्रस्ट नहीं रहा।
रवलीन कौर चीमा (10वीं की सिटी टॉपर)
‘डाक्टर बनकर करूंगी मानवता की सेवा’
‘मैं क्लास में हमेशा टीचर्स द्वारा पढ़ाए चैप्टर को ध्यान से सुनती थी, कभी भी एग्जाम को हल्के में नहीं लिया बल्कि परीक्षा के दिनों में अपने डाऊट्स को एक्स्ट्रा क्लासिस में जाकर दूर किया। किसी भी चैप्टर में कोई भी परेशानी आती तो चाहे उसे हल करने में रातभर भी जागना क्यों न पड़ा हो, मैंने हल करके ही अगले चैप्टर को स्टार्ट किया। इसके अलावा सारे सिलेबस के प्रश्नों को भी मैंने सोल्व किया और मैथ्स में मम्मी ने मेरी काफी हैल्प की। भविष्य में मैं डाक्टर बनकर मानवता की सेवा करना चाहती हूं। पेरैंट्स ने हमेशा मेरे पढ़ाई प्रति शौक को देखते हुए आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित किया।|
साची जुनेजा (10वीं में सैकेन्ड)
‘इंजीनियर बनने के लिए एक्सट्रा एफ्र्ट जरूरी’
‘शुरू से ही मैं कुछ नया करना चाहती थी, मैथ्स मेरा फेवरिट सब्जैक्ट है, इसी कारण मैथ्स में 96 नंबर भी आए हैं। पापा राजेश मल्होत्रा व मम्मी नीलम मल्होत्रा के साथ-साथ मेरी छोटी बहन अनन्या ने मुझे हर पल सपोर्ट किया है। अनन्या पढ़ते समय रात-रात तक मेरे साथ जागती रहती थी और जब मेरी आंख लगने लगती तो मुझे जगा देती। मैं नार्मली 10 घंटे रोजाना पढ़ती हूं और परीक्षा के दिनों में 12-12 घंटे तक पढ़ते रहना मेरी आदत बन गई है। साइंस के लिए मैंने इस बार टैस्ट सीरिज भी ज्वाइन की जिसका मुझे काफी लाभ मिला। मैं इंजीनियर बनना चाहती हूं जिसके लिए मैं और अधिक मेहनत करूंगी।
तान्या मल्होत्रा (10वीं में थर्ड)
‘मैडीकल में जाने के लिए पापा ने किया मोटीवेट’
पढ़ाई के साथ अन्य एक्टीविटीज में भी हिस्सा लेना जरूरी है, मैं पढ़ाई के साथ बास्केटबाल व खो-खो मुकाबलों में भी खेलती रही हूं। पापा बलबीर सिंह इंटीरियर डैकोरेटर हैं, मुझे मैडीकल लाइन में जाने के लिए उन्होंने हमेशा मोटिवेट किया। मम्मी मनप्रीत कौर हाऊसवाइफ हैं, घर में पढ़ाई करते समय उन्होंने हमेशा मेरे खाने-पीने और फिटनैस का पूरा ध्यान रखा। परिवार की सपोर्ट और टीचर्स के उचित मार्गदर्शन से ही मैंने यह मुकाम पाया है। भविष्य में हड्डियों की डाक्टर बनकर मैं लोगों की सेवा करना चाहती हूं।
हरमनप्रीत कौर (मैडीकल- सिटी टॉपर)
‘पापा की तरह बनूंगा सक्सैसफुल बिजनैसमैन’
‘पापा इकबाल सिंह अरोड़ा मेरे आइडल हैं, उन्होंने हमेशा सब्जैक्ट के डाऊट क्लियर करके आगे बढऩे की प्रेरणा दी। जब भी मुझे पढ़ाई में मुश्किल आती तो वह मुझे सही गाइड करके मेरी प्राब्लम को सॉल्व करते हैं। हर लैवल पर डाऊट क्लियर हो तो परेशानी की आशंका कम रहती है। मम्मी तजिन्द्र कौर अरोड़ा ने हमेशा मेरे सभी शौक पूरे करने के लिए मदद की। दिन की बजाय मैं रात को पढऩा ज्यादा प्रैफर करता हूं। अकाऊंट्स मुझे बेहद पसंद है। कीॢत मैम ने हर प्रश्न के डाऊट को बड़े सरल ढंग से सॉल्व करने में मेरी मदद की। भविष्य में मैं पापा की तरह सक्सैसफुल बिजनैसमैन बनना चाहता हूं।
जोतप्रकाश सिंह अरोड़ा (कामर्स- सिटी टॉपर)
‘मैडीकल में जाने के लिए पापा ने किया मोटीवेट’
पढ़ाई के साथ अन्य एक्टीविटीज में भी हिस्सा लेना जरूरी है, मैं पढ़ाई के साथ बास्केटबाल व खो-खो मुकाबलों में भी खेलती रही हूं। पापा बलबीर सिंह इंटीरियर डैकोरेटर हैं, मुझे मैडीकल लाइन में जाने के लिए उन्होंने हमेशा मोटिवेट किया। मम्मी मनप्रीत कौर हाऊसवाइफ हैं, घर में पढ़ाई करते समय उन्होंने हमेशा मेरे खाने-पीने और फिटनैस का पूरा ध्यान रखा। परिवार की सपोर्ट और टीचर्स के उचित मार्गदर्शन से ही मैंने यह मुकाम पाया है। भविष्य में हड्डियों की डाक्टर बनकर मैं लोगों की सेवा करना चाहती हूं।
हरमनप्रीत कौर (मैडीकल- सिटी टॉपर)