हुसैनीवाला भारत-पाक बॉर्डर खोले सरकार

Edited By Updated: 01 May, 2017 09:37 AM

hussainiwala border

फिरोजपुर भारत-पाक बॉर्डर पर बसा सीमावर्ती शहर है और 1971 की भारत-पाक जंग से पहले फिरोजपुर का हुसैनीवाला बार्डर व्यापार के लिए खुला हुआ था।

फिरोजपुर (कुमार): फिरोजपुर भारत-पाक बॉर्डर पर बसा सीमावर्ती शहर है और 1971 की भारत-पाक जंग से पहले फिरोजपुर का हुसैनीवाला बार्डर व्यापार के लिए खुला हुआ था। हुसैनीवाला भारत-पाक बॉर्डर पर ज्यादा अंगूर (मेवे) का व्यापार होता था। जब हुसैनीवाला बॉर्डर खुला हुआ था तब फिरोजपुर की आर्थिकता मजबूत होती थी और यहां बहुत बड़े-बड़े व्यापारी थे। जैसे ही 1971 की भारत-पाक जंग के बाद यह बॉर्डर बंद हुआ है तब से फिरोजपुर का विकास, रोजगार और खुशहाली रुक गई है। 

हुसैनीवाला बॉर्डर के साथ लगता है पाकिस्तान का जिला कसूर 
हुसैनीवाला भारत-पाक बॉर्डर के साथ पाकिस्तान का जिला कसूर लगता है और फिरोजपुर में कसूर की दूरी दर्शाता एक माइल स्टोन लगा हुआ है, जिस पर फिरोजपुर से जिला कसूर की 14 मील की दूरी दर्शाई गई है। 

बॉर्डर एरिया होने के कारण कोई बड़े प्रोजैक्ट नहीं लगे 
फिरोजपुर बॉर्डर एरिया होने के कारण आज तक की सत्ता में रही केन्द्र व पंजाब की सरकारों ने कभी भी फिरोजपुर में बड़े उद्योग स्थापित करने की ओर ध्यान नहीं दिया, जिसके कारण फिरोजपुर में दिन-प्रतिदिन बेरोजगारी बढ़ रही है और यहां रहते परिवारों के ज्यादातर बच्चे पढ़ाई करने के बाद दिल्ली, मुम्बई आदि बड़े शहरों या विदेशों में सैटल होने के लिए मजबूर हो रहे हैं। 

23 मार्च को मगरमच्छ के आंसू बहाने आते हैं सत्ताधारी नेता 
हर साल 23 मार्च को शहीद भगत सिंह और उनके साथियों को श्रद्धांजलि भेंट करने के लिए आने वाले सत्ताधारी सरकारों के बड़े-बड़े नेता मगरमच्छ के आंसू बहा कर वापस चले जाते हैं और कई ड्रामेबाज शहीदों को श्रद्धांजलि भेंट करते समय अपने भाषण में रोने का नाटक करते हैं, मगर आज तक किसी भी सत्ताधारी केन्द्र व पंजाब की सरकारों ने शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव और शहीद बी.के. दत्त के नामों पर शहीदों को समर्पित कोई बड़े उद्योग या प्रोजैक्ट फिरोजपुर में नहीं लगाए। 

संसदीय चुनावों में नेता बॉर्डर खुलवाने के करते हैं वायदे 
जब भी देश में लोकसभा चुनाव होते हैं तब उम्मीदवार और संसदीय चुनाव लडऩे वाली सियासी पार्टियां हुसैनीवाला बॉर्डर को खुलवाने के वायदे करती हैं और उनका चुनाव मैनीफैस्टो का पहला वायदा होता है कि हमें लोकसभा में भेजें, सरकार बनने पर हम हुसैनीवाला बॉर्डर खुलवाएंगे, लेकिन जीतने तथा लोकसभा में जाने के बाद अगले 4-5 सालों के लिए सांसद भी गायब हो जाते हैं। 

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