बिना बस सुविधा के कैसे पढ़ेंगी सीमावर्ती गांवों की बेटियां

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Nov, 2017 11:38 AM

how to read the daughters of border villages

सरकारी बस सेवाओं के विस्तार के दावों के बावजूद सीमावर्ती गांवों में पढऩे वाली लड़कियां समुचित परिवहन सुविधा उपलब्ध न होने के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लक्ष्य से वंचित रह रही हैं।

अबोहर(भारद्वाज): सरकारी बस सेवाओं के विस्तार के दावों के बावजूद सीमावर्ती गांवों में पढऩे वाली लड़कियां समुचित परिवहन सुविधा उपलब्ध न होने के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लक्ष्य से वंचित रह रही हैं। 

भारत-पाक सीमा से मात्र डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर बसे गांव रूपनगर में सुविधा सम्पन्न सरकारी हाई स्कूल में शिक्षित होने के बावजूद लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त करना इसलिए कठिन हो रहा है क्योंकि पंजाब रोडवेज ने अबोहर उपमंडल में मौजूद ङ्क्षहदूमलकोट से फाजिल्का को जोडऩे वाली मुख्य सड़क पर बस सेवा प्रारंभ नहीं की। अभिभावकों द्वारा बच्चियों को अन्य साधनों से फाजिल्का या अबोहर भेजने में संकोच किया जाता है।


यदि रोजगार की बात करें तो पता चलता है कि इस गांव के केवल 10 युवाओं को सरकारी नौकरी मिली। इनमें से 4 केन्द्रीय सुरक्षा बल में कार्यरत हैं, जबकि 6 को सरकारी शिक्षक बनने का अवसर मिला है। पंजाब, राजस्थान व पाकिस्तान सीमा की त्रिवेणी पर स्थित इस गांव के लोग मौजूदा सरकार से बेहतर सेवाओं की उम्मीद लगाए बैठे हैं।शिक्षा के अलावा इस गांव के निवासी फसल विविधिकरण के  चाहवान भी है लेकिन उनका कहना है कि मक्की की बिजाई तो शुरू कर ली लेकिन भाव मात्र 1000 रुपए प्रति किं्वटल मिलने के कारण उन्हें निराशा का सामना करना पड़ रहा है। फसल बेचने के लिए किसानों को ख्योवाली ढाब स्थित ग्रामीण खरीद केन्द्र तक जाना पड़ता है।  

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