Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Feb, 2018 01:26 PM
जिले के गांव मांझी के ईंटों के भट्ठे पर काम कर रहे 4 परिवारों के कुल 24 मजदूरों को वीरवार सायं वालंटियर फॉर सोशल जस्टिस संस्था की ओर से बंधुआ मजदूरी से मुक्त करवाया गया जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं
होशियारपुर (अमरेन्द्र): जिले के गांव मांझी के ईंटों के भट्ठे पर काम कर रहे 4 परिवारों के कुल 24 मजदूरों को वीरवार सायं वालंटियर फॉर सोशल जस्टिस संस्था की ओर से बंधुआ मजदूरी से मुक्त करवाया गया जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। इनमें से 2 परिवार उत्तर प्रदेश में बरेली जबकि 2 बदायूं के रहने वाले बताए जा रहे हैं।
2015 से ईंटों के भट्ठे पर कर रहे थे काम
संस्था की प्रोग्राम मैनेजर रीना पाणिग्रही ने बताया कि उक्त लोग 1 सितम्बर 2015 को भट्ठे पर काम करने के लिए लाए गए थे। उस वक्त इनके जमांदार चरण सिंह ने इन्हें अग्रिम राशि के तौर पर क्रमश: 5, 6 व 7 हजार रुपए दिए थे जिसके बाद से ये लोग भट्ठे पर काम करते आ रहे थे। इन 4 परिवारों से संबंधित 24 लोगों से भट्ठे पर जबरदस्ती काम करवाया जाता था और इन्हें भट्ठे से बाहर नहीं जाने दिया जाता था। काम के बदले में इन्हें कथित तौर पर कोई वेतन भी नहीं मिलता था। पैसे मांगने पर भट्ठा मालिक इन्हें आधे पैसे देेने की बात कह कर टरका देता था।
इस तरह 2 वर्ष से संताप झेल रहे इन लोगों को वालंटियर्ज फॉर सोशल जस्टिस के बारे में पता चला तो उन्होंने संस्था से सम्पर्क कर उन्हें छुड़वाने की गुहार लगाई। इस पर संस्था के निदेशक जय सिंह, कानूनी सहायक योगेश प्रसाद और अन्य सदस्यों पर आधारित टीम यहां पहुंची और जिला प्रशासन से सम्पर्क किया। इसके बाद इस टीम के सदस्यों के साथ तहसीलदार अरविन्द वर्मा और लेबर ऑफिसर नवदीप सिंह ने उक्त भट्ठे पर रेड कर उन्हें वहां से मुक्त करवाया।
समाचार लिखे जाने तक सभी मजदूर और उनके परिजन तहसील परिसर में मौजूद थे, जहां उनके बंधुआ मजदूरी से छुड़वाए जाने संबंधी प्रमाण-पत्र बनाए जा रहे थे। प्रमाण-पत्र जारी होने के बाद उन्हें संस्था के सहयोग से अपने-अपने घर भेज दिया जाएगा।